लेख का यह शीर्षक देखते ही मुस्लिम पाठक बुरी तरह से बौखला जायेंगे और हमें पागल समझने लगेंगे , क्योंकि मौलवियों ने अब तक उनके दिमागों में यह बात ठूँस ठूँस कर भर दी है ,कि अल्लाह सबसे बड़ा है , और उसके जैसा कोई और नहीं है ,इसलिए सिर्फ अल्लाह की ही उपासना करना चाहिए ,इस्लामी मान्यता में ऐसे विचार को तौहीद यानी एक अल्लाह को मानना है , और अल्लाह की इबादत करने का जो सही तरीका है उसका सामान्य नाम नमाज है .लेकिन जब अल्लाह भी नमाज पढ़ने लगे तो ,इसका यही मतलब होता है कि जरूर कोई ऐसी शक्ति या कोई ऐसा व्यक्ति जरूर है जो अल्लाह से भी बड़ा है , इस बात को और स्पष्ट करने के पहले यह समझना होगा कि ,
1 -नमाज क्या होती है ?
वास्तव में “नमाज – نَماز” शब्द अरबी का नहीं फारसी शब्द का है , इसका अर्थ स्तुति , नमस्कार और प्रार्थना है ((“prayer, worship).अरबी में नमाज के लिए “सलात – صلاة ” शब्द आया है , इसका बहुवचन ( Plural ) “सलवात – صلوات ” है , अरबी शब्दकोष में इसका अर्थ ” दुआ – دُعَاء ” दिया गया है . इस्लाम के मुख्य पाँच स्तम्भों में सलात दूसरी है , सलात का हिंदी में अर्थ वंदन करना है , इसलिए मुस्लमान नमाज में अल्लाह की वन्दना करके उस से दुआ मांगते हैं ,
2-सलात का आदेश
कुरान में जगह जगह सलात यानी नमाज अदा करने का हुक्म मिलता है , नमाज में खड़े होना ,झुकना और सजदा करना भी शामिल है ,देखिये
وَأَقِيمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتُوا۟ ٱلزَّڪَوٰةَ وَٱرْڪَعُوا۟ مَعَ ٱلرَّٰڪِعِينَ- Qur’an 2:43
(अकीमुसस्सलात व आ तुज्ज़कात वर्र राकिउ मअर्राकि ऊन )
अर्थ -नमाज पर कायम रहो , जकात दो और झुकने वालों के साथ झुको , नमाज में झुकाने को रुकू कहा जाता है यह एक प्रकार का आधा सिजदा होता है , सिजदे में माथा जमीन पर रख दिया जाता , यह भी अनिवार्य होता है , तभी नमाज पूरी मानी जाती है
“and be constant in prayer, and spend in charity, and bow down in prayer with all who thus bow down
3-नमाज के अनिवार्य नियम
नमाज जब भी पढ़ी जाती है उसके कुछ नियम ऐसे हैं ,जो सबके लिए अनिवार्य है , पहला ,नमाज पढ़ते समय नमाजी का मुंह काबा की तरफ होना चाहिए ,दूसरा हर नमाज में पहले कुरान की सूरा फातिहा पढ़ना जरुरी है , क्योंकि इसमें अल्लाह की तारीफ़ करते हुए उस से सीधा रास्ता दिखाने के लिए दुआ मांगी जाती है (आप कहीं से भी सूरा फातिहा देख सकते हैं ) और अंतिम शर्त यह है कि हर सिजदे पर ” अल्लाहु अकबर ” बोलना भी जरूरी है ,
लेकिन आप सबको यह जान कर बड़ा आश्चर्य होगा कि जिस अल्लाह को मुसलमान सबसे बड़ा बताते हैं , जिसके लिए रोज नमाज पढ़ते हैं , और अल्लाह के नाम पर जिहाद करके करोड़ों की हत्या कर चुके ,और आज भी कर रहे हैं , वही अल्लाह खुद भी नमाज पढ़ता है , बड़ी खोज के बाद हमें यह हदीस मिली है , जो प्रामाणिक है ,इस हदीस को जमा करने वाले का नाम “अब्दुलाह बिन अहमद है
4-इमाम अहमद का परिचय
इनका पूरा नाम “अहमद इब्न मुहम्मद इब्न हम्बल अबू अब्दुल्लाह अश्शेबानी – احمد بن محمد بن حنبل ابو عبد الله الشيباني ” है , इनका काल ईस्वी 780–855 CE/164–241 AH,यह सुन्नियों के हम्बली फिरके के विद्वान् , और हदीसों के ज्ञाता थे यही नहीं इन्हों कई हदीसें भी जमा की थीं ,हदीसों के इनके संकलन की किताब का नाम “किताब अल सुन्नाह -كتاب السنة ” है इसी किताब में एक ऐसी बात दी गयी है , जो अल्लाह के बड़े होने की पोल खोलने के लिए काफी है ,देखिये हदीस ,
5-मुहम्मद ने अल्लाह को नमाज पढ़ते देखा
इमाम अहमद की “in Kitab Al Sunna by Abdullah bin Ahmad, vol.1, p.27
में लिखा है “जब मुहमद मेराज (जन्नत यात्रा ) सातवें आसमान पर गए तो उनका सामना जिब्राईल से हुआ ,तो उसने इशारे से रोका और कहा ठहरो अभी अल्लाह नमाज पढ़ रहे हैं ,रसूल ने पूछा क्या अल्लाह भी नमाज पढ़ता है ?जिब्राइल बोलै हाँ , अल्लाह भी नमाज पढ़ता है . फिर रसूल ने पूछा ?अल्लाह नमाज में क्या पढ़ता है ?तब जिब्राइल ने कहा अल्लाह कहता है ‘ स्वामी की जय हो !या स्वामी की बड़ाई हो
when Muhammad reached the 7th heaven during the Isra and Mi’raj, he encountered Gabriel, who immediately said “Shh! Wait, for Allah is praying (Sala).” Muhammad asked: “Does Allah pray?” to which Gabriel said, “Yes, he prays.” Muhammad then asked, “What does he pray?” and Gabriel said “Praise! Praise the Lord!”
عندما وصل محمد إلى الجنة السابعة في الإسراء والمعراج ، قابل جبرائيل ، الذي قال على الفور: “ص! انتظر ، لأن الله يصلّي (سالا). سأل محمد: “هل يصلي الله؟” الذي قال جبريل: “نعم ، يصلي.” سبح الرب
كتاب السنة ـ الإمام عبد الله بن الإمام احمد-
vol.1, p.27
(Kitab Al-Sunnah by Abdullah bin Ahmad 1/468 Hadith 437)
6-हदीस का वाक्य विश्लेषण
इस हदीस के मुख्य वाक्यों को हम अलग अलग करके देखते है जिस से बात स्पष्ट हो जाये ,
1-मुहमद से जिब्राइल ने कहा ” श श प्रतीक्षा करो , अल्लाह नमाज पढ़ रहा है -“”ص! انتظر ، لأن الله يصلّي-श इंतजर लि इन्नल्लाह यूसल्ली .
2-मुहम्मद ने पूछा क्या अल्लाह भी नमाज पढ़ता है ?-हल युसल्ली अल्लाह “هل يصلي الله؟”
3-जिब्राइल ने कहा हाँ नमाज पढ़ता है .नअम युसल्ली -نعم ، يصلي
4-इस बात को स्पष्ट करते हुए जिब्राइल बोला “अपने स्वामी की स्तुति करता है – सब्बिह अर्रब -سبح الرب
7-अल्लाह के ईमान वालों से सवाल
हमें पूरा यकीन है कि इस हदीस के मुताबिक कोई भी इमान वाला जिब्राइल और मुहम्मद को झूठा कहने की हिमाकत नहीं करेगा , इसलिए जो भी मुस्लिम इसे पढ़े बराये मेहरबानी इन सवालों का जवाब दे ,
1.अल्लाह को नमाज पढ़ने की जरुरत क्यों पद गयी ?
2.जब काबा मक्का में है ,तो अल्लाह किसकी तरफ नमाज पढ़ रहा था ?
3-नमाज में सूरा फातिहा पढ़ना जरुरी है , जिसमे अल्लाह की तारीफ है , तो क्या अल्लाह जन्नत में नमाज के अंदर अपनी ही तारीफ कर रहा था ?
4-जब खुद जिब्राइल ने मुहम्मद को बताया कि अल्लाह नमाज में ‘रब यानि स्वामी की वंदना करता है , तो अल्लाह का” रब – الرب ” कौन है ?
5-और अंतिम सवाल है , अगर इस अल्लाह या जन्नत के अल्लाह का भी कोई स्वामी या रब है तो अल्लाह की इबादत करना और उसकी तारीफ करना मूर्खता नहीं तो और क्या है ?
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बृजनंदन शर्मा