*अबकी बार अगर चूके तो…*
लोकतंत्र के पावन ध्वज को,
अम्बर पर फहराना है।
अबकी बार अगर चूके तो
जीवन भर पछताना है ।।
षड़यन्त्रों की काली आंधी,
सर्वनाश पर अड़ी खड़ी ।
और सनातन संस्कृति अपनी,
नागों से है घिरी पड़ी ।।
एक कालिया हो तो नाथें,
जिधर देखिये फन ही फन ।
इतना उगला जहर कि नीला,
जिससे पूरा पड़ा गगन ।।
खतरे में आरती भजन हैं,
यज्ञ हवन खतरे में हैं।
दुर्गन्धों से भरे धूम्र से,
आज पवन खतरे में है ।।
अब भी टूटी नहीं नींद तो,
मरघट बचा ठिकाना है।
अबकी बार अगर चूके तो,
जीवन भर पछताना है ।।
मत सोचो कि दंड धारण कर,
राम बचाने आयेंगे।
अथवा चक्र सुदर्शन लेकर,
कृष्ण प्रकट हो जायेंगे ।।
शिवजी के त्रिशूल नेत्र की,
आशा मिथ्या सपना है।
तुम ही राम, कृष्ण, शिव हो,
तुमको ही रण लड़ना है ।।
एक बटन ही राम धनुष है,
चक्र सुदर्शन वही बटन ।
अर्जुन का गाण्डीव वही है,
केवल छोटा एक बटन ।।
राष्ट्रवाद की जय की खातिर,
आज वही अस्त्र चलाना है।
अबकी बार अगर चुके तो,
जीवन भर पछताना है ।।
वेद मंत्र की तान न टूटे,
गीता श्लोक अशंक रहे ।
बेखटके हनुमत चालीसा,
अरदासें निर्बाध चलें ॥
कोई आंच न आने पाये,
मानस की चौपाई पर ।
और तर्जनी उठे न कोई
कबीरा मीराबाई पर ।।
धर्म यात्रा कोई भी हो,
पत्थर नहीं पुष्प बरसें ।
देशद्रोहियों के कुनबे फिर
अपने प्राणों को तरसें ॥
रामराज्य का स्वपन सलौना,
फिर साकार बनाना है ।
अबकी बार अगर चूके तो
जीवन भर पछताना है ।।
उत्सव पर्व लौट आते हैं,
अवसर सदा नहीं आते।
जिसने भी चूके हैं अवसर,
जन्मों-जन्म फिर पछताते ।।
कई नये अध्याय तुम्हें ही,
इतिहासों के लिखने हैं।
अपराजेय तुम्हारे मस्तक,
नहीं कहीं भी झुकने हैं।।
तुम्हें खरीदे किसी मोल भी
ऐसे कहीं कुबेर नहीं ।
विश्व गुरु बनना भारत को,
देर भले अंधेर नहीं ॥
हर विषधर का शीश कुचल
वंशी स्वर लहराना है।
अबकी बार अगर चूके तो,
जीवन भर पछताना है ।।
राष्ट्र नव निर्माण मे मतदान अवश्य करे…
संकल्प आज हम लेते हैं,
जन-जन को जगाएंगे…
सौगंध मुझे इस मिट्टी की,
हम भारत भव्य बनाएंगे…
नए भारत का वैश्विक संकल्प…
सनातन वैदिक धर्म…विश्व धर्म
अखंड हिंदु राष्ट्र भारत…विश्व गुरु भारत
धर्मो रक्षति रक्षितः…🚩
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