परमात्मा किसको संरक्षित करता है?
परमात्मा किसको सहन करता है?
सरकारें किसको संरक्षित करती हैं?
सरकारें किसको सहन करती हैं?
स शेवृधमधि धा द्युम्नमस्मेमहि क्षत्रं जनाषळिन्द्रतव्यम्।
रक्षा च नोमघोनः पाहिसूरीन्राये च नः स्वपत्याइषे धा।।
ऋग्वेदमन्त्र 1.54.11
(सः) वह (शेवृधम्) प्रसन्नता देता और बढ़ाता है (अधि धाः) अधिकता में धारण करता है (द्युम्नम्) गौरवशाली सम्पदा (अस्मे) हमारे लिए (महि) महान् (क्षत्रम्) बल और शक्तियाँ, राज्य (जनाषाट) लोगों को सहन करता है (इन्द्र) सर्वोच्च शक्ति, परमात्मा (तव्यम्) शक्तिशाली (रक्षा) रक्षित करता है (च) और (नः) हमारा (मघोनः) त्याग करते हुए, यज्ञ करते हुए (पाहि) संरक्षण करें (सूरीन्) महान् विद्वान् (राये) सम्पदा के लिए (च) और (नः) हमारे लिए (स्वपत्यै) उत्तम सन्तान के लिए (इषे) आपकी इच्छा के लिए, संगति के लिए (धाः) धारण करो।
व्याख्या:-
परमात्मा हमारे लिए क्या धारण करता है और क्यों?
परमात्मा किसको संरक्षित करता है?
परमात्मा किसको सहन करता है?
वह सर्वोच्च ऊर्जा, परमात्मा, हमें प्रसन्नता देने के लिए और हमें आगे बढ़ाने के लिए गौरवशाली सम्पदा धारण करता है। वह सभी महान् शक्तियाँ और बल धारण करता है। वह लोगों को सहन करता है। वह उन लोगों को संरक्षित करता है जो त्याग पूर्वक यज्ञ करते हैं। वह सभी महान् विद्वानों को संरक्षित करता है। वह हमारे लिए तथा हमारी सन्तानों के लिए सम्पदा को धारण करता है और संरक्षित करता है। वह हमें भी धारण करता है जिससे हम उसकी इच्छा और संगति कर सकें। अन्यथा वह सबको सहन करता है।
जीवन में सार्थकता: –
सरकारें किसको संरक्षित करती हैं?
सरकारें किसको सहन करती हैं?
प्रत्येक राष्ट्र को एक कल्याणकारी राज्य होना चाहिए। सरकारें सभी सम्पदाएं और सम्पत्तियाँ नागरिकों की प्रसन्नता के लिए ही धारण करती हैं। एक अच्छी सरकार महान् विद्वानों और उन नागरिकों को बढ़ाती है जो त्याग कार्य अर्थात् सबके कल्याण के कल्याण के लिए यज्ञ करते हैं। एक अच्छी सरकार भावी पीढ़ियों की प्रसन्नता भी सुनिश्चित करती हैं। इनके अतिरिक्त सरकार अन्य लोगों को सहन करती है जो न तो विद्वान् हैं और न यज्ञ कार्य करते हैं।
प्रत्येक सत्ता, चाहे वे हमारे उच्चाधिकारी हों या हमारे माता-पिता, श्रेष्ठता को धारण करते हैं और अन्यों को सहन करते हैं।
अपने आध्यात्मिक दायित्व को समझें
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