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एक बार फिर शिवराज को कामयाबी दिलाएंगी लाडली बहनें

प्रमोद भार्गव-

प्रमोद भार्गव

            मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  को लाडली बहनाओं का साथ मिल गया तो, वे मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले प्रत्याशी हो सकते हैं ? वैसे भी मतदान में इस आधी आबादी की लगभग बराबर की हिस्सेदारी है। प्रदेश में 2,73,87,122 महिला मतदाता हैं, जो कुल मतदाताओं की 47.75 फीसदी हैं। इनमें से एक करोड़ 29 लाख से अधिक लाडली बहनाओं को 1250 रुपए प्रतिमाह मिल रहे हैं। उज्जवला योजना की 80 लाख और पात्र लाडली बहनों को 450 रुपए में रसोई गैस सिलेंडर मिल रहा है। महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान मुख्यमंत्री शिवराज के कार्यकाल में ही हुआ है। महिला स्व-सहायता समूह की 62 लाख सदस्यों में से 15 लाख लखपति दीदी हैं। विषेश पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति की 2 लाख 33 हजार महिलाओं को पोषाहार भत्ता का प्रावधान शिवराज के समय ही हुआ था। इसीलिए हम देख रहे हैं कि विदिशा संसदीय क्षेत्र से शिवराज के प्रत्याषी घोत होने के बाद शिवराज भैया को चुनाव लड़ने के लिए धन दे रही हैं। विदिशा को शिवराज का गढ़ माना जाता है। 19 साल बाद शिवराज इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जनता ने उनसे भाई और मामा का रिश्ता बना हुआ है। भांजे-भांजी उनके लिए गुल्लक में पैसे इकट्ठे करके दे रहे हैं। एक मोची ने शिवराज  को 10 रुपए का चंदा दिया। यहां धनराशि को छोटी या बड़ी राशि के रूप में देखने की बजाय उसे शिवराज की लोकप्रियता के रूप में देखने की जरूरत है।  

2018 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 2023 में 1.52 प्रतिशत मतदान अधिक हुआ था। इसे लाडली बहनों का करिश्मा बताया गया है। शहर से कहीं ज्यादा ग्रामीण मतदाता की मतदान के प्रति जागरूकता दिखी है। इसीलिए ग्रामों में महिलाओं की लंबी-लंबी कतारें देखने में आईं थीं। साफ है, जिस उत्साह से मतदाता घर से बाहर निकला उससे उसका लोकतंत्र के प्रति दायित्व बोध झलका ही, वराज के प्रति विश्वास भी नजर आया था। यही करिश्मा विदिशा लोकसभा सीट पर दिखाई देगा। इस बहुचर्चित विदिशा संसदीय क्षेत्र में 7 मई को मतदान होना है। यह सीट वैसे भी जनसंघ और भाजपा का गढ़ मानी जाती रही है। यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर सुषमा स्वराज भी लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं। स्वयं वराज इस सीट से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। यहां से कांग्रेस ने प्रताप भानु शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। शर्मा सातवीं और आठवीं लोकसभा में विदिशा से सांसद रह चुके हैं। वे कोई ज्यादा दमखम दिखा पाएंगे ऐसा लग नहीं रहा है। इसलिए शिवराज का पलड़ा ही भारी दिख रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की उदार कार्यशैली का परिणाम ही रहा था कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को 166 सीटों पर बड़ी जीत मिली थी। शिवराज सिंह चैहान के नवाचार निरंतर देखने में आते रहे हैं। बालिकाओं की संख्या कम होना किसी भी विकासशील समाज के लिए बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती से तभी निपटा जा सकता है, जब स्त्री की आर्थिक हैसियत तय हो और समाज में समानता की स्थितियां निर्मित हों ? इस नजरिए से मध्यप्रदेश में ‘लाडली लक्ष्मी योजना‘ एक कारगर औजार साबित हुई और इसीलिए इसे देख के नवाचारी मॉडल के रूप में मान्यता मिली। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब ने ही नहीं पूरे देश ने इस योजना का अनुसरण किया और बेटी बचाने के लिए जुट गए। क्योंकि बेटी बचेगी, तभी बेटे बचेंगे और सृष्टि की निरंतरता बनी रहेगी। जैविक तंत्र से जुड़े इस सिद्धांत को हमारे ऋषि -मुनियों ने भलि-भांति आज से हजारों साल पहले समझ लिया था, इसीलिए भगवान शिव-पार्वती के रूप में अर्धनारीश्वर के प्रतीक स्वरूप मंदिरों में मूर्तियां गढ़ी गईं, जिससे पुरुश संदेश लेता रहे कि नारी से ही पुरुष का अस्तित्व अक्षुण है। किंतु हमने शिव-पार्वती की पूजा तो की, परंतु उनके एकरूप में अंतर्निहित अर्धनारीश्वर के प्रतीक को आत्मसात नहीं किया।

मुख्यमंत्री चैहान की करीब 18 साल के नेतृत्व की सार्वजनिक यात्रा का अवलोकन करें तो यह साफ देखने में आता है कि उनकी कार्य संस्कृति अन्य मुख्यमंत्रियों से भिन्न रही है। वे प्रकृति, कृषि व किसान प्रेमी हैं और युवाओं को कौशल दक्ष बनाने की प्रखर इच्छा रखते हैं। इसीलिए प्रदेश में अनेक प्रकार की छात्रवृत्तियां हैं, जिससे छात्र को आर्थिक बाधा का सामना न करना पड़े। गांव से यदि पाठशाला कुछ दूरी पर है तो बालिका को आने-जाने में व्यवधान न हो, इस हेतु साइकिल है। होनहार छात्रों को पढ़ाई में बाधा नहीं आए, इस नाते विद्यार्थियों को मोबाइल और लैपटाॅप दिए। ये योजनाएं मुख्यमंत्री के अंतर्मन में आलोड़ित संवेदनशीलता को रेखांकित करती हैं। शिवराज कविता तो नहीं लिखते, लेकिन दूरांचल वनवासी-बहुल जिले झाबुआ में परंपरागत ‘आदिवासी गुड़िया हस्तशिल्प‘ कला को संरक्षित करने और इसे आजीविका से जोड़ने का उपाय जरूर करते हैं। फलस्वरूप अब स्थानीय लोगों के नाजुक हाथों द्वारा निर्मित यह कपड़े की गुड़िया मध्य-प्रदेश सरकार के ‘एक जिला, एक उत्पाद‘ योजना के अंतर्गत व्यापारिक उड़ान भरकर जर्मनी और आस्ट्रेलिया के बच्चों का खिलौना बन गई है। सामाजिक सरोकार से इस संरचना की महिमा वही नवाचारी समझ सकता है, जो कल्पनाशील होने के साथ अपने दायित्वों के प्रति उदार और जनता के प्रति संवेदनशील हो। शिवराज के ये नवाचारी काम ऐसे हैं, जो उनकी जीत की आश्वस्ति प्रदान करते हैं। तय है, विदिशा संसदीय क्षेत्र में महिलाओं का धु्रवीकृत शिवराज के पक्ष में मतदान उनकी मप्र में सबसे बड़ी जीत का आधार बन सकता है।

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