वन्दे मातरम का विरोध अज्ञान नहीं हिन्दू द्वेष है !
जब महाराष्ट के विधायक वारिस पठान ने सदन में बार बार चिल्ला कर कहा कि मैं वन्दे मातरम नहीं बोलूंगा , चाहे मुझे जान से क्यों न मार दिया जाये . इस से प्रश्न उठता है कि वन्दे मातरम् में ऐसी कौन सी बात है जिस से इस्लाम को खतरा हो जायेगा ? क्या इन शब्दों में इस्लाम को कोई गाली या अपशब्द है ?क्या इन शब्दों से मूर्तिपूजा की प्रेरणा मिलती है ? क्या अपने देश की तारीफ़ करना इस्लाम में गुनाह है ?
इस बात का खुलासा इस लेख में दिया जा रहा
आनन्दमठ’ बंकिमचन्द्र चट्टोपध्याय का सर्वाधिक आलोचित विवादस्पद उपन्यास है। यह उपन्यास सन् 1882 ई0 में पुस्तकाकार प्रकाशित हुआ था। इससे पहले ‘बंगदर्शन’ नामक पत्रिका में यह धारावाहिक रूप में प्रकाशित होता रहा था। ‘वन्देमातरम् गीत इसी के अन्तर्गत पहली 15 पंक्तियाँ ही राष्ट्र गीत के लिए चुनी गयी हैं , मदरसे की तालीम से मुसलमानों के दिमागों में हिन्दुओं के विरुद्ध द्वेष भर गया है कि वे कोई न कोई ऐसा मुद्दा निकाल लेते हैं जो भारतीय मान्यताओं और हिन्दुओं की आस्था को आहत करने वाला है , ऐसा लगता है कि जैसे मुसलमानों ने कसम खा रखी है कि हिन्दुओं की जो भी आस्था होगी हम उसका उल्टा काम जरूर करेंगे , कुछ समय इन कट्टर मुल्लों ने घोषणा की थी कि अगर कोई मुस्लिम ” भारत माता की जय “बोलेगा तो उसे मुस्लिम नहीं माना जायेगा , मुल्लों का तर्क था कि भारत एक निर्जीव भूमि है ,उसकी संतान नहीं हो सकती तो उसे माता नहीं माना जा सकता है , हमने इसका उत्तर दे दिया था ,अब इन मुस्लिम नेताओं ने कहना शुरू कर दिया की हम ” किसी भी दशा में वन्दे मातरम ” नहीं बोलेगे , क्योंकि “वन्दे ” का अर्थ पूजा करना ,या उपासना करना है , और मुस्लिम अल्लाह के सिवा को प्रणाम नहीं करते , ऐसा बोलने से हम इस्लाम से ख़ारिज हो जायेंगे ,
मातरम् का अर्थ माता (Mother ) है ,इस बात पर कोई विवाद नहीं है , लेकिन मुल्लों ने “वन्दे ” शब्द का अर्थ “प्रशंसा (Praise ) की जगह जानबूझ कर “उपासना (Prays ) कर दिया ,ताकि अज्ञानी मुस्लिमों को दंगे करने का मौका मिल जाये
लोगों के दिमागों से यह गलतफहमी दूर करने के लिए “वन्दे “का अरबी ,अंगरेजी और उर्दू में सही अर्थ दिए जा रहे हैं
1-वन्दे का सही अर्थ
वन्दे शब्द संस्कृत की मूल धातु (root Verb ) “वन्द ” से बना है , इसी से वंदन शब्द बना है , संस्कृत हिंदी शब्दकोष में वंदन के यह अर्थ दिए गए हैं ,
1-वंदन=अभिवादन=salutation-अरबी में -تحية
2-वंदन=प्रशंसा=respects.-अरबी में -احترام
वन्द् धातु आत्मनेपद की धातु है जिसको वंदन किया जाता है उसकी द्वितीया विभक्ति बनेगी और जब किसी का वन्दन या प्रशंसा की जाती है वन्द धातु की आत्मने पद वन्दे शब्द बन जाता है , जो विभक्तियों और वचनों के अनुसार बन् जाते हैं जैसे ‘
वन्दे = अभिवादन / प्रशंसा , करता/ करती हूँ
वन्दामहे = हम सब अभिवादन / प्रशंसा करते हैं
वन्दते =वह अभिवादन / प्रशंसा करता / करती है
वन्दन्ते = वे सब अभिवादन / प्रशंसा /करते / करती हैं
वयं कृषकं वन्दामहे =हम किसान का अभिवादन / प्रशंसा करते हैं
ते सर्वे वैज्ञानिकान् वन्दन्ते = वे सब वैज्ञानिकों का अभिवादन / प्रशंसा करते हैं
इस से साफ सिद्ध होता है की वन्दे अर्थ उपासना करना , या पूजा करना नहीं , बल्कि मातृभूमि की तारीफ़ करना है , वन्दे मातरम गीत की अगली पंक्तियाँ पढ़ने से लोगों का भ्रम दूर हो जायेगा ,
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शान्त,
कटाई की फ़सलों के साथ गहरा,
माता!
उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
उसकी ज़मीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।
3-वन्दे मातरम के अर्थ
यहाँ पर कुछ भाषाओँ में वन्दे मातरम के सही अर्थ दिए जा रहे हैं
1-अंगरेजी -I respect mother
2-गुजराती -हुँ माता नु सम्मान करूँ छुं (હું માતાનું સન્માન કરું છું)
3-पंजाबी -मैं मां दा सतकार करदा हाँ (ਮੈਂ ਮਾਂ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਦਾ ਹਾਂ)
4-मराठी – मी आईचा आदर करतो
5-सिंधी -मा माअ जो एहतराम कर्यां थो (مان ماء جو احترام ڪريان ٿو)
6-तमिल -नान अम्मावै मदिक्कारेन (நான் அம்மாவை மதிக்கிறேன்)
7-उर्दू -मैं मां को सलाम करता हूँ (میں ماں کو سلام کرتا ہوں)
8-फारसी -मन बि मादर सलाम मी कुनम (من به مادر سلام می کنم)
अथवा -मन बि मादर एहतराम मी गुजारीम (من به مادر احترام می گذارم)
9-अरबी -अना तह्यातु लिल उम्म (أنا تحية للأم)
3-कुतर्की मुल्ले जवाब दें ?
मुसलमान हमेशा दोगली निति अपनाते हैं , एक तरफ कहते हैं कि हम देशभक्त हैं , और संविधान का आदर करते हैं , लेकिन जब वन्दे मातरम् बोलने को कहा जाता है ,तो मना कर देते है , और कहते हैं कि बताइये ऐसा करना संविधान में कहाँ लिखा है ?
ऐसे मुल्ले बताएं ?
1 -कुरान में खतना करना कहाँ लिखा है ?
2 -कुरान में पूरा कलमा कहाँ लिखा है ? जिसे जिहादी अपने झंडे पर लिखे रहते हैं ?
3 – कुरान में पांच बार नमाज पढ़ने का हुक्म कहाँ लिखा है ?
4 -कुरान में अजान देना और अजान में बोलने वाले शब्द कहाँ लिखे हैं ?
इन मुल्लों को समझाना चहिये कि हरेक देश में अभिवादन करने के लिए तरीके और सम्मान प्रकट करने के लिए शब्द अलग होते हैं , यदि मुहम्मद सचमुच महान व्यक्ति होते और भारत में आते तो हम उनके लिए कहते ,
“श्री मुहम्मदाय नमः ” या कहते “वन्दे रसूलम “लेकिन वह इसके योग्य नहीं है ,पाठक इसका कारण खुद समझ जायेंगे हमें बताने की जरुरत नहीं है
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बृजनंदन शर्मा