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इसलाम और शाकाहार

सपने में कुर्बानी और हकीकत में जीवहत्या !

यह 8 साल पुराना लेख है इस साल भी ईद आने वाली है
अगले महीने सितम्बर 2016 को मुसलमानों का प्रमुख त्यौहार “ईदुल अजहा – عيد الأضحى‎‎ ” आने वाला है , मुसलमान इसे बलिदान का पर्व (Sacrifice Feast ) बताते हैं . यह शब्द अरबी के दो शब्दों से मिल कर बना है ,

,जिनके अरबी में सही अर्थ इस प्रकार है ” ईद -عيد “अर्थात आनंद ( joy ) और ” अजहा – الأضحى ” अर्थात क्रूरता ( Cruelity “इन शब्दों का सही अर्थ क्रूरता का आनंद (Joy of cruelity ) है , जो बिलकुल सही है क्योंकि इस ईद में सिर्फ दो दिनों के अंदर पूरे विश्व में मुसलमान 100 million मूक प्राणियों की निर्दयता से हत्या कर देते हैं ,जिनमे बकरे भेड़ ,गाय ,बैल ऊंट और अन्य जानवर भी शामिल हैं , और इस क्रूरता पूर्ण कार्य पर ख़ुशी मानते हैं . मुस्लमान इतने धूर्त हैं कि हिन्दुओं को धोखा देने के लिए इस ईद का नाम “बकरीद – بقر عید ” रख दिया है ,ताकि अज्ञानी लोग ऐसा समझें की इस ईद में बकरों की क़ुरबानी होती होगी ,लेकिन इस से बकरे का कोई सम्बन्ध नहीं है ,क्योंकि अरबी शब्द ‘बकर – بقر ” का अर्थ गाय (Cow ) होता है ,

बकरीद में मुसलमान जानवरों की हत्या क्यों करते हैं ? क्या इब्राहिम ने अपने लडके की क़ुरबानी की थी ? क्या अल्लाह ने इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए अपने लड़के की क़ुरबानी करने का हुक्म दिया था ?मुहम्मद ने कुर्बानी का त्यौहार क्यों चालु किया था ?
ऐसे ही कुछ सवालों के प्रमाणिक जवाब इस लेख में दिए जा रहे हैं

1-इब्राहिम को क़ुरबानी की प्रेरणा शैतान ने दी थी

मुस्लिम विद्वान् दावा करते हैं कि खुद अल्लाह ने इब्राहिम की ईश्वर निष्ठां की परीक्षा लेने के लिए अपने पुत्र की क़ुरबानी करने का निर्देश दिया था , यह कहानी मुहम्मद की मौत के 250 साल हदीसों में जोड़ दी गयी थी , वास्तव में इब्राहिम को शैतान ने बहका दिया था , जाइए की कुरान में लिखा है

“हे ईमान वालो शैतान के कदमों का अनुसरण नहीं करो ,और जो कोई उसका अनुसरण करेगा तो वह उनको बुराई की प्रेरणा ही करेगा
” सूरा -अन नूर 24:21

“हे आदम की संतानो कहीं शैतान तुम्हें धोखे में नहीं फसा दे , जैसे उसने तुम्हारे माता पिता को जन्नत से निकलवा दिया था ”
सूरा -अल आराफ 7 :27

2-अल्लाह किसी के पुत्र की क़ुरबानी नहीं माँगता

इब्राहिम को अपने पुत्र की क़ुरबानी करने की प्रेरणा शैतान दी थी, जैसा कि कुरान में लिखा है ,

“हे मुहम्मद तुम से पहले जो भी नबी और रसूल हमने भेजे शैतान ने उनकी कामना में असत्य मिला दिया था , “सूरा अल हज 22:52

,और अगर अल्लाह इब्राहिम को अपने पुत्र की कुरबानी करना चाहता तो कुरान में यह आदेश क्यों देता ?

” बेशक अल्लाह हमेशा न्याय और भलाई करने और अपने रिश्तेदारों की रक्षा करने का हुक्म देता है ”

सूरा अन नह्ल 16:90

3-इब्राहिम ने सपने में क़ुरबानी की थी

इब्राहीम को न तो अल्लाह ने अपने पुत्र की क़ुरबानी करने को कहा था और न वास्तव में इब्राहिम ने लड़के की कुर्बानी दी थी ,बल्कि इब्राहिम ने सपना देखा था कि वह अपने पुत्र की क़ुरबानी कर रहा है ,यह बात खुद कुरान में दी गयी है ,

“”जब वह बच्चा चलने फिरने योग्य हुआ तो ,एक दिन इब्राहिम ने उस से कहा , बेटा मैंने सपना देखा कि मैं तुझे जिबह कर रहा हूँ अब तू सोच तेरा क्या विचार है ,वह बोला मेरे बाप आप ने जो निश्चय किया है , वैसा ही करिये , आप मुझे सब्र करने वालों में पाएंगे ,फिर दौनों ने अपने आप को इस काम पर समर्पित कर दिया , फिर इब्राहिम ने उसे माथे के बल लिटा दिया , तभी हमने पुकारा इब्राहिम तूने सपने को सच कर दिया ,बेशक हम अच्छे लोगों को ऐसा ही बदला देते हैं , यह एक परीक्षा थी , और हमने लड़के की जान के बदले बड़ी क़ुरबानी दी ”

सूरा -अस साफ्फात -37 :102 से 107 तक

कुरान की इन आयतों की तफ़सीर में लिखा है कि इब्राहिम से सपना देखा था कि वह अपने बेटे को ज़िब्ह कर रहे हैं ,लेकिन हकीकत में उन्होंने बेटे को ज़िब्ह नहीं किया था , यह कहानी बाइबिल और अरबों में प्रचलित दंतकथा पर आधारित है , जिसमे बाद में यह कहानी भी जोड़ दी गयी कि जब इब्राहिम बेटे को ज़िब्ह करने लगे तो एक फ़रिश्ते ने बेटे की जगह एक “मेंढा ( Ram ) रख दिया था . कुरान में यह कहीं लिखा कि इब्राहिम ने उस मेंढे को ज़िब्ह किया था या उसे मार कर खाया था .

(देखिये कुरान की सूरा अस साफ्फात 37 :102 -107 के हिंदी अनुवाद की टिपण्णी 41 से 44 तक। पेज 804 , प्रकाशक मकतबा अल हसनात रामपुर )

4-प्राणीओं की हत्या कुरान के विरुद्ध है ,

मुहम्मद अच्छी तरह से जानता था कि लाखों निर्दोष मुूक प्राणियों की हत्या करना कुरान के हुक्म के खिलाफ है , जैसा कि कुरान में कहा गया है ,

“किसी भी जीव को निष्कारण नहीं मारो , अल्लाह ने इसे हराम ठहराया है .
“وَلَا تَقْتُلُوا النَّفْسَ الَّتِي حَرَّمَ اللَّهُ إِلَّا بِالْحَقِّ ”
“सूरा -अल अनआम 6:152

-“and do not kill a soul that God has made sacrosanct, save lawfully.”6:152

5-जीवहत्या पाप है
प्रसिद्ध सूफी विद्वान् ने अपनी किताब मसनवी में लिखा है
मी आजार मूरी कि दाना कुशस्त -कि जां दारद औ जां शीरीं खुशास्त

अर्थात -एक चींटी को भी नहीं मारो उसमे भी जान होती है और हरेक को अपनी जान प्यारी होती है
6-परम्परा का पालन
क़ुरबानी के पक्ष में मुसलमान यही तर्क देते हैं की हम तो इब्राहिम का अनुसरण करते हैं यह रिवाज तो पहले से चलता आया है

यहाँ पर विचार करने की बात यह है कि इतना जानने पर भी मुहम्मद ने ईदुल अजहा जैसे क्रूरतापूर्ण त्यौहार को क्यों शुरू किया ? पहले तो मुहम्मद ने यह तर्क दिया जो कुरान में मौजूद है

7-क़ुरबानी एक कुरीति है
“और जब यह कोई अनैतिक काम करते हैं ,तो कहते हैं की हमने यह अपने पूर्वजों को ऐसा करते हुए पाया है , हमें तो अल्लाह ने यही हुक्म दिया है ”
सूरा -अल आराफ 7:28

मुहम्मद का आशय था कि क़ुरबानी का रिवाज इस्लाम से पहले से ही प्रचलित था , अर्थात इब्राहिम के अनुयायी यहूदी और ईसाई भी क़ुरबानी करते थे , लेकिन यह बात झूठ है , यद्यपि िबहिम की कथा बाइबल में भी है लेकिन यहूदी और ईसाई करोड़ों जानवरों की हत्या नहीं करते

8-कुर्बानी के असली कारण

पहला कारण तो यह है कि बाइबिल के अनुसार इब्राहीम ने अपनी वैध पत्नी साराह से उत्पन्न बड़े पुत्र इसहाक की क़ुरबानी करना चाही थी , और ईश्वर ने इसहाक के वंशजों यानी यहूदियों को आशीर्वाद दिया था
,(Bible-genesis 22: 1 and2)

इस से मुहम्मद को यहूदियों से ईर्ष्या होने लगी , और हदीसों में इब्राहिम के बड़े बेटे का नाम इशाक की जगह इस्माइल लिख दिया गया , मुहम्मद खुद को इस्माइल का वंशज बताते थे , लेकिन बाइबिल में इस्माइल के बारे में जो लिखा है वह मुहमद पर फिट बैठता है , बाइबिल में लिखा है ,

,”जब इब्राहिम की लौंडी गर्भवती हुई तो यहोवा के दूत ने उस से कहा ,देख तू एक पुत्र को जनेगी ,और उसका नाम इश्माएल रखना ,और वह एक जंगली गदहे के समान उद्दण्ड होगा , और वह जिन लोगों के बीच बसेगा उसका हाथ उन्हीं के ऊपर उठेगा। और सबके हाथ भी उस पर उठेंगे ”

बाइबिल -उत्पत्ति अध्याय 16 आयत 11 से 13

हदीस के अनुसार इब्राहिम की रखैल “हाजरा – هاجر‎‎” से उत्पन इस्माइल की शादी “जुरहुम – جرهم” कबीले की लड़की “रमला बिन्त मुदाद इब्न अम्र बिन जरहम – رمله انت مُداد ابن امر ابن جُرهم ” से हुई थी , जो गैर अरब थी , कहा जाता है ,मुहम्मद का वंश इन्हीं से निकला है

.Sahih al-Bukhari, Volume 4, Book 55, Number 583:

क़ुरबानी का त्यौहार शरू कराने का दूसरा कारण यह था कि मुहम्मद के कोई लड़का नहीं था जिसकी इब्राहिम की तरह क़ुरबानी करके अल्लाह का प्रिय सिद्ध कर सकता , दूसरे वह इब्राहिम की दासी के पुत्र का वंशज था , इसलये मुहम्मद ने एक तीर से दो शिकार करने की योजना बनाई , एक तो कर्बानी करके मुस्लमान क्रूर और निर्दयी बन कर जिहादी बन जाएँ , और सोचा की शायद बच्चे की जगह जानवरों की हत्या करके अल्लाह मुहम्मद के वंशजों को क़यामत तक राज करने का आशीर्वाद दे देगा , यद्यपि मुहम्मद को पता था कि बेबस मूक पशुओं की हत्या कराने का फल भुगतना पड़ेगा ,इसीलिए मुहम्मद ने मुसलमानों को कह दिया था कि वह हर नमाज में यह दुआ जरूर पढ़ा करें , इसे दरूदे इब्राहिम कहा जाता है
9-दरूदे इब्राहिम

अल्ला हम्म सल्ले अला मुहम्मदिन व् अला आले मुहम्मदिन कमा सल्लैत अला आले इब्राहिम व् आला आले इब्राहिम इन्नक हमीदून मजीद

अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिन व अला आले मुहम्मदिन कमा बारक्ता आला इब्राहिम व अला आले इब्राहिम इन्नक हमीदुंन मजीद ,

अर्थ -हे अल्लाह मुहम्मद और उसके वंशजों पर अनुकम्पा करो जैसे इब्राहिम और उसके वंशजों पर की है ,हे अल्लाह मुहम्मद और उसके वंशजों को वैसी ही बरकत दे जैसे तूने इब्राहिम और उसके वंशजों को दी थी .

मुसलमान लगातार मुहम्मद और उसकी संतानों के लिए दुरूद की दुआ करते रहे लेकिन मुहम्मद ने कुरबानी के बहाने करोड़ों प्राणियों की जो हत्याएं करवाई थी उसका फल उसको भुगतना पड़ा जैसा कि कुरान में लिखा है ,

” जो भी एक कण बराबर भी भलाई करेगा उसका फल देखेगा ,और जो भी एक कण बराबर बुराई करेगा वह उसका भी फल देखेगा ”
सूरा -जिलजाल 99:7 -8
10-मुहम्मद को जीवहत्या का फल क्या मिला ?

मुहम्मद ने इब्राहिम के सपने की क़ुरबानी के बहाने करोड़ों पशुओं की हत्या की जो परंपरा निकाली उसका पहिला फल यह मिला कि मुहम्मद के वंश का नष्ट हो गया , आज पूरे विश्व में मुहम्मद का एक भी वंशज नहीं है , मुहम्मद की दस पीढ़ी तक लगातार हत्याएं की जाती रहीं ,जैसा की हमने अपने लेख ‘मुहम्मद का वंश आबाद या बर्बाद (187 /107 में कहा था ‘
11-जैसी करनी वैसी भरनी

यह एक शाश्वत और अटल और ईश्वरीय नियम है इसे मुसलमानों का अल्लाह भी नहीं बदल सकता , मुहम्मद द्वारा कुर्बानी का जो तरीका निकाला गया था उसके अनुसार बकरा ,गाय बैल या भेड़ के गले की मुख्य धमनी को काट दिया जाता है ,जिस से उस पशु का रक्त बहने लगता है और वह तड़प तड़प कर कष्टदायीं पीड़ा होकर मर जाता है , मुहम्मद भी इसी तरह मरा था

12 -मुहम्मद कैसे मरा ?
इसके बारे में कुछ प्रामाणिक हदीसें दी जा रही हैं .मुहम्मद जीवन भर लोगों को जिहाद क्रूरता और क़ुरबानी के बहाने पशुओं की हत्या सिखाते रहे , इसलिए उनकी मौत भी कष्टदायी हुई थी .(पूरा लेख 200 /78 ) अनुरोध करने पर मिल सकता है )

हदीस -1
इब्न अब्बास ने कहा , कि मेरे साथ उमर बिन खत्ताब ,और अब्दुर्रहमान बिन ऑफ बैठे हए थे , उमर ने मुझ से कहा कि मैं आपका सम्मान करता हूँ , क्योंकि आपका दर्जा ऊंचा है .क्या आप सूरा -नस्र 110:1 की इस आयत का खुलासा करेंगे “जब अल्लाह की मदद आएगी ,तो विजय हो जाए ” यह बात रसूल की बीमारी के बारे में हो रही थी .उमर ने कहा मुझे इसका मतलब समझ में नहीं आया .क्योंकि रसूल आयशा से कह रहे थे ,”आयशा मैंने खैबर में जो खाना खाया था . उसी के कारण यह भयानक दर्द हो रहा है . ऐसा लग रहा है कि उसी खाने के जहर से मेरी मुख्य धमनी (Aorta ) को कोई काट रहा है ”
(Narrated ‘Aisha: The Prophet in his ailment in which he died, used to say, “O ‘Aisha! I still feel the pain caused by the food I ate at Khaibar, and at this time, I feel as if my aorta is being cut from that poison.)
बुखारी -जिल्द 4 किताब 59 हदीस 713
हदीस -2
अबू हुरैरा ने कहा ,खैबर में एक यहूदिन ने एक भेड़ पकाकर रसूल को दावत खिलाई थी .जिसमे तेज जहर मिला हुआ था . रसूल ने उस गोश्त को खाया .जब “बिश्र अल बरा इब्न मासूर अंसारी “उस गोश्त को खाते ही मर गया , तो रसूल ने उस औरत को क़त्ल करा दिया . तब तक जहर का असर रसूल पर होने लगा था .वह दर्द से कराहने लगे और कहने लगे ,ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई मेरी मुख्य धमनी (Aorta)को काट रहा है .
” الأَكْلَةِ الَّتِي أَكَلْتُ بِخَيْبَرَ فَهَذَا أَوَانُ قَطَعَتْ أَبْهَرِي ‏ ‏.‏”

सुन्नन अबू दाऊद – किताब 41 हदीस 18

(Reference Sunan Abi Dawud 4511,English translation : Book 40, Hadith 4496 )

(मुसलमानों को समझना चाहिए कि जब निर्दोष प्राणियों की हत्या करवाने पर रसूल ऐसी दर्दनाक मौत मरे , तो जो आम मुसलमान क़ुरबानी के बहाने लाखों पशुओं की हत्या करते हैं उनका अंजाम क्या होगा ? इसलिए जानवरों की हत्या करने की जगह जानवर किसी को दान कर दें ,जिस से वह व्यक्ति उसे पाल कर उसके दूध का व्यवसाय करके अपना गुजारा कर सके और आपको दुआए देता रहे
अल्लाह मारने वाले से नहीं बचाने वाले से खुश होता है

हमारी सभी मुस्लिम पाठकों को चुनौती है कि इस लेख में दिए गए सबूतों को गलत साबित कर के दिखाएँ !

(336)

बृजनंदन शर्मा

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