*दुख और चिंतन का विषय*
Dr DK Garg
बचपन में महाशय मामचंद भजनीक एक भजन सुनाया करते थे
अखिल विश्व कल्याणकारी,वेद सभा घर घर हो,
ओम पताका फैराए जो,
आर्य समाज अमर हों
मुझे पिताजी अपने साथ पारायण यज्ञ में ले जाया करते थे और गुरुकुल के ब्रह्मचारियों का वेद पाठ मुझे प्रभावित करता था,इसी आलोक में मैं पीछे 18 साल से कालेज के विद्यार्थियों के साथी पारायण यज्ञ करता हूं।
आर्य समाज का एक नियम ये है
वेद का पढ़ना, पढ़ाना,और सुनना, सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है
लेकिन आजकल आर्य समाज में एक नई बीमारी सुरु हो गई हैं,वो है ; राम कथा
ऐसा क्यों,
क्या श्रद्धानंद, गुरुदत्त,महाशय राजपाल,आनंद स्वामी जी आदि विद्वान राम कथा से बने?
राम कथा कौन सा उद्देश्य पूरा करती है? ये ऊर्जा और समय की बरबादी ही है।
मैने नोएडा के आचार्य जयेंद्र जी से भी चर्चा की तो अत्यंत दुखी भाव से उन्होंने कहा की ये अति निंदनीय है ।राम के नाम पर तुकबाजी और लंबे भाषण में आर्य समाज को शामिल नही होना चाहिए।
प्रसंगवश किसी उद्बोधन में राम ,कृष्ण और स्वामी से सबंधित घटना का उल्लेख करे।
कृपया इस बीमारी से दूर रहे 🙏🙏