श्याम विवर( ब्लैक होल ) सृष्टा की सृष्टि का रहस्य*।

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लेखक आर्य सागर खारी 🖋️।

सुदूर अंतरिक्ष में ग्रह, उपग्रह तारे तो हमें आंखों से दिखाई देते हैं .. लेकिन एक खगोलीय संरचना जिसे ब्लैकहोल या श्याम विवर कहा जाता है दुनिया भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों खगोल भौतिकशास्त्री के लिए चुनौती बना हुआ था.. इसका घनत्व व गुरुत्वाकर्षण बल इतना शक्तिशाली होता है यह प्रकाश को भी निगल लेता है| प्रकाश इसके गुरुत्वीय क्षेत्र से नहीं बच पाता यही कारण है यह दिखाई नहीं देता इसके सिर्फ किनारे दिखाई देते हैं जिसे वैज्ञानिक इवेंट होराइजन याघटना क्षितिज कहते हैं| यदि हमारी पृथ्वी को कंप्रेस किया जाए उसकी त्रिज्या 12000 किलोमीटर से मटर के दाने जितनी कुछ mm रह जाए तो वह भी एक छोटे से ब्लैक हॉल में तब्दील हो जाएगी|

ब्लैक होल हमारी जैसी लाखों पृथ्वी और सूर्य जैसे मध्यम तारे को भी निगल सकते हैं. .| आप इन्हें अंतरिक्ष के दानव कह सकते हैं.. परमेश्वर ने बड़ी ही रहस्यमी खगोलीय सरंचना ब्लैक होल के रूप में बनाई है इसका कोई ना कोई आवश्यक उद्देश्य जरूर होगा । वैज्ञानिकों को काम उद्देश्य ढूंढना नहीं होता उनका काम यह होता है यह कैसे बना है?

बुधवार 10 अप्रैल 2019 को वैज्ञानिकों ने 8 बड़े बड़े टेलिस्कोप से इसकी तस्वीरें लीं हैं उन्हें दुनिया के सामने पहली बार जारी किया है यह ब्लैक होल की पहली प्रमाणित वैज्ञानिक तस्वीर है ,M87 आकाशगंगा के केंद्र में हमारी पृथ्वी से 50करोड 50 लाख प्रकाश वर्ष (1प्रकाश वर्ष वह दूरी है जो प्रकाश एक साल में तय करता है 300000 किलोमीटर प्रति सेकंड के वेग से )दूर है यह ब्लैक हॉल ।इसका मतलब यह है कि प्रकाश जिसकी रफ्तार 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड है उसको भी 5 करोड़ 50 लाख साल लग जाएंगे हमारी पृथ्वी तक पहुंचने में तब कहीं जाकर हम इसको देख पाएंगे इसका एक मतलब और निकलता है आज जो वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की तस्वीर ली है वह 5 करोड़ 50 लाख वर्ष पुरानी है इसे आप ऐसे समझ सकते हैं हम सूर्य को लगभग 9 मिनट पुराना देखते हैं क्योंकि सूर्य से चलने वाले प्रकाश को लगभग 9 मिनट का समय लग जाता है हमारी पृथ्वी तक पहुंचने हमारी आंखों से टकराने में |

दुनिया भर के चोटी के शीर्ष खगोल शास्त्री केवल ब्लैक होल की अभी तक केवल तस्वीर ही खींच पाए हैं ब्लैक होल में जैसे ही कोई चीज ग्रह तारा जाता है उसका क्या होता है इस विषय में अभी काफी कुछ खोज जाना बाकी है स्टीफन हॉकिंग ने अपनी गणितीय गणनाओं से बताया था यह गृह तारों उपग्रह को निगलकर ऊर्जा को छोड़ता है धीरे-धीरे यह नष्ट हो जाता है लेकिन किसी ग्रह तारे की इनफार्मेशन भी क्या इसके साथ नष्ट हो जाती है इस समस्या को इनफॉरमेशन पैराडॉक्स कहा जाता है ।यह पैराडॉक्स ब्लैक होल को लेकर जो आज भी अबूझ पहले बना हुआ है।

हो सकता है यह प्रलय में सहयोगी खगोलीय संरचना हो।

सचमुच दिमाग चकरा जाता है ईश्वर की अद्भुत व्यवस्था को देख कर.. !

        "  अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं में

         कोई वस्तु नहीं ऐसी जिसे सेवा   में लाऊं मैं

           बनाता जो है सब जग को उसे कैसे बनाऊं मैं"

आर्य सागर खारी ✒✒✒

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