निवेदन -सभी पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करें और सनातन हिन्दू ,आर्यसमाज की साइटों में शामिल कराएं ,चूँकि मुझे अरबी सहित 23 भाषाएँ आती हैं इसलिए मैंने प्रमाण सहित सिद्ध किया के वर्त्तमान कुरान की पहली सूरा “फातिहा ” भारत में नाजिल हो चुकी थी
लेख का यह शीर्षक देखते ही कुछ लोग इसे मजाक या कोरी कल्पना समझेंगे लेकिन जो लोग हमारे लेख नियमित रूप से पढ़ते रहते हैं वह समझ जायेंगे की बिना प्रमाण के कुछ नहीं लिखते ,अधिकांश हम अपने प्रबुद्ध पाठकों की शंका निवारण के लिए या विधर्मियों के झूठे दावों का भंडा फोड़ करने वाला विषय लेते है और ऐसे प्रमाण देते हैं जिनका कोई खंडन नहीं कर सकता हैं ,5 अप्रैल 2024 को हमने एक लेख पोस्ट किया था जिसका शीर्षक था” सूरा फातिहा दोबारा नाजिल नहीं हुयी इसे सुधारा गया “इसमें हमने साबित किया कि मुसलमानों का यह दावा झूठा है की कुरान की सूरा फातिहा दो बा आसमान से नहीं उतारी गयी बल्कि मदीना में ही किसी व्यक्ति की सलाह से सुधारि गयी है ,लेकिन जैसे ही हमारे घनिष्ठ मित्र पाठक श्री शत्रुघ्न चतुर्वेदी जी ने लेख पढ़ा रात को 9 बजे ही फोन किया और पूछा कि कुरान की सूरा फातिहा में संशोधन किया गया है इसके और भी प्रमाण भेज दीजिये , हमने उनसे वादा किया कि कल आपको विस्तार सहित प्रमाण दे दूँगा
1-सूरा फातिहा कुरान की माता है
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया महान कुरान की माता वह सात आयतें हैं जो हर इबादत में दोहराई जाती हैं
Narrated Abu Huraira:
Allah’s Messenger (ﷺ) said, “The Um (substance) of the Qur’an is the seven oft-repeated verses (Al- Mathaini) and is the Great Qur’an (i.e. Surat-al-Fatiha).
“عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ ـ رضى الله عنه ـ قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم “ أُمُّ الْقُرْآنِ هِيَ السَّبْعُ الْمَثَانِي وَالْقُرْآنُ الْعَظِيمُ ”.
नॉट -इस हदीस में कुरआन की माता) यानि उसकी सात आयतों )को ” अल मसानी – الْمَثَانِيकहा गया है जिसका अंगरेजी अर्थ The Bladder -है इसका मतलब है सूरा फातिहा की सातों आयतों का संचय किसी ऐसी किताब से लिया गया है जो गुप्त है
Reference : Sahih al-Bukhari 4704
In-book reference : Book 65, Hadith 226
USC-MSA web (English) reference : Vol. 6, Book 60, Hadith 227
https://sunnah.com/bukhari:4704
2-कुरान तिलावत माता के साथ करो
अबू दाऊद ने कहा कि कुरान तिलावत उसकी माता (सूरा फातिहा ) से की जाए ,ऐसी अल्लाह की इच्छा है
And Abu Dawud has “Then read the Ummul-Qur’an (i.e. Surah al-Fatiha) and what ever Allah wishes”.
“وَلِأَبِي دَاوُدَ : { ثُمَّ اِقْرَأْ بِأُمِّ اَلْقُرْآنِ وَبِمَا شَاءَ اَللَّهُ } ”
Sunnah.com reference : Book 2, Hadith 145
English translation : Book 2, Hadith 0
Arabic reference : Book 2, Hadith 268
https://sunnah.com/bulugh/2/145
3- माता के बिना नमाज अधूरी है
आयशा ने कहा ,रसूल ने कहा जिस नमाज में कुरान की माता ( फातिहा ) नहीं पढ़ी गयी हो वह अपूर्ण है
It was narrated that ‘Aishah said:
“I heard the Messenger of Allah (ﷺ) say: ‘Every prayer in which the Ummul-Kitab (the Mother of the Book) is not recited is deficient.’”
“عَائِشَةَ، قَالَتْ سَمِعْتُ رَسُولَ اللَّهِ ـ صلى الله عليه وسلم ـ يَقُولُ “ كُلُّ صَلاَةٍ لاَ يُقْرَأُ فِيهَا بِأُمِّ الْكِتَابِ فَهِيَ خِدَاجٌ ” .
Reference : Sunan Ibn Majah 840
In-book reference : Book 5, Hadith 38
English translation : Vol. 1, Book 5, Hadith 840
https://sunnah.com/ibnmajah:840
4-कुरान की माता किसके पास है ?
कुरान की सूरा राद में किताब की माता यानि सूरा फातिहा के बारे में कहा है
“अल्लाह जो कुछ चाहता है मिटा देता है। इसी तरह वह क़ायम भी रखता है। किताब की माता तो स्वयं उसी के पास है।
“يَمْحُو اللَّهُ مَا يَشَاءُ وَيُثْبِتُ وَعِنْدَهُ أُمُّ الْكِتَابِ”Sura Rad 13:39
He wills and affirms (what He wills). And with Him is the Mother Book.’
नोट -इस आयात में अरबी में कहा है “इन्दहु उम्मुल किताब – عِنْدَهُ أُمُّ الْكِتَابِ ” इसका अर्थ है किताब की माता उसके पास है . (with Him Mother of Book)
आज तक कोई मुस्लिम विद्वान् पता नहीं बता सका कि वह कौन है जिसके पास कुरान की माता यानि मूल सूरा फातिहा मौजूद थी ,वह कोई और नहीं भारत ही है क्योंकि माता का जन्म बेटी से पहले होता है ,और लोगों को पता होना चाहिए कि इस्लाम के हजारों साल पहले ही वर्त्तमान सूरा फातिहा की 7 आयतों में से 6 आयतें भारत में नाजिल हो चुकी थीं जो आज भी भारत के पास हैं रहमान रहीम वाली आयात बाइबिल से ली गयी है ,कुरान की माता वैदिक सूरा फातिहा के लिए यह लिंक खोलिये
https://bhaandaaphodu.blogspot.com/2024/04/blog-post_8.html
कुरान की माता यानी मूल (Original) सूरा फातिहा इस्लाम से हजारों वर्ष पाहिले ही संस्कृत में भारत में वेद मन्त्र के रूप में नाजिल हो चुकी थी जिसमे 6 आयतें हैं
,हिन्दू आज भी इसी सूरा फातिहा से ईश्वर की उपासना करते हैं ,अंतर केवल इतना है की मुस्लिम अरबी में इबादत करते हैं और हिंदू संस्कृत में प्रार्थना करते हैं .लेकिन दौनों का अर्थ और आशय एकहि है ,इसलिए मुसलमान हिन्दुओं को मुशरिक और काफिर कहना बंद करे, क्योंकि हिन्दू तो तब से ही ईमान वाले हैं जब इस्लाम भी नहीं था यकीं नहीं हो तो संस्कृत और अरबी सूरा फातिहा को मिला कर देख लो
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बृजनंदन शर्मा
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