14 जून की एक विशेष घटना
14 जून 1033 की घटना है । जब भारत पर महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद ने 11 लाख की सेना लेकर भयंकर आक्रमण किया था । स्पष्ट है कि 11 लाख की सेना सेना नहीं होती , अपितु एक ऐसा भयंकर तूफान होता है जिसके सामने किसी का भी रुकना असंभव होता है , लेकिन बहराइच के राजा सुहेलदेव ने इस भयंकर तूफान का सामना करने की प्रतिज्ञा ली । उसका साथ देने के लिए हमारे कुल 17 राजाओं की एक राष्ट्रीय बनी और उन सबने मिलकर उस विदेशी आक्रांता को धूल चटाई । इस तथ्य की साक्षी विनोद कुमार मिश्र ने अपनी पुस्तक ” विदेशी आक्रमणकारी का सर्वनाश: भारतीय इतिहास का एक गुप्त अध्याय ” में बड़े गौरवपूर्ण ढंग से दी है ।
सालार मसूद को सहायता देने के लिए ईरान के शाह ने भी अपनी सेना भेजी थी। इतनी बड़ी सेना का सर्वनाश करने में 17 राजाओं ने हमारे राजा सुहेलदेव का साथ दिया । ये सब आज के इतिहास से मिटा दिए गए हैं । हमें 17 बार किए गए गौरी के आक्रमणों को तो बार-बार बताया गया है , लेकिन 17 राजाओं ने राष्ट्रीय सेना बनाकर विदेशी आतंकी को यहां से भगाया, यह नहीं बताया जाता । ‘ मीराते मसूदी ‘ के अनुसार सलार मसूद की सेना 11 लाख की सारी सेना हिन्दुओं ने मार काट कर खत्म कर दी थी । उक्त पुस्तक का लेखक हमें बताता है कि इसके बाद 200 वर्ष तक मुसलमानों का साहस भारत पर आक्रमण करने का नहीं हुआ। मंदिरों में घंटियां बजने लगी, और भारत आगे बढ़ने लगा । इस साक्षी को देखकर हमारे शत्रु इतिहास लेखकों लज्जा आनी चाहिए जो हमारे विषय में यह मत रखते हैं कि भारत तो सन 712 से ही पराधीन हो गया था । अलबरूनी ने बड़े साहस के साथ लिखा है :- ” अपने समय के मुसलमानों में महमूद गजनवी था जो काफिर देशों में अधार्मिकता मिटाने में संलग्न रहता था । हिंदुओं के लिए वह भीषण हूण था । जिसने उनके पवित्र मंदिरों को नष्ट कर दिया था , उनकी आत्मा को अत्यधिक कष्ट दिया और उनकी धार्मिक मान्यताओं और भावनाओं को कुचल दिया था । ”
अलबरूनी के इस तथ्य को लिखने तक से भी भारत में धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाती है।
जिन्होंने वह राष्ट्रीय सेना बनाई थी , उन राजाओं के नाम इस प्रकार थे :- राजा राय रईब , सुईब ,अर्जुन , बीरबल , कनक, कल्याण, मकरू, सबरू , करण सिंह , प्रभु , बीरबल, जयप्रपाल , हरपाल , स्कंद , श्रीपाल , देवनारायण और राय नरसिंह । राजा सहार देव और वरुणा सराय हरदेव भी पर्वतीय क्षेत्रों से चलकर अपनी सेना लेकर आए थे।
राष्ट्रीय सेना के निर्माता उन सभी राष्ट्रप्रेमी राजाओं और उनके पौरुष को नमन ।उनकी राष्ट्रवादी भावना को श्रद्धा पूर्ण पुष्पांजलि , जिनके कारण यह देश 200 वर्ष तक सुरक्षित रहा । ( लेखक की पुस्तक ” भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास , भाग – 1 से उद्धृत )
राकेश कुमार आर्य
संपादक उगता भारत