बुराईयों के बादलों के सर्वोच्च भाग को कौन और कैसे कंपित करता है?
बुराईयों के बादलों के सर्वोच्च भाग को कौन और कैसे कंपित करता है?
बुरे विचारों को नष्ट करने के लिए हम कैसे प्रेरित हो सकते हैं?
त्वंदिवोबृहतः सानुकोपयोऽ व त्मना धृषता शम्बरंभिनत्।
यन्मायिनोव्रन्दिनोमन्दिना धृषच्छितांगभस्तिमशनिंपृतन्यसि।।
ऋग्वेदमन्त्र 1.54.4
(त्वम्) आप (दिवः) प्रकाश के साथ, दिव्यताओं के साथ (बृहतः) बढ़ाते हुए (सानु) बादलों के उच्च स्तर पर (कोपयः) कम्पित करता है (अव) भिनत् से पूर्व लगाकर) (त्मना) धूर्त मन (धृषता) नष्ट करने की शक्ति के साथ (शम्बरम्) शांति को आवृत्त करने वाले (बुरे विचारों के साथ) (भिनत् – अव भिनत्) काटता है और अन्त करता है (यत्) जब (मायिनः) मायाबी आवरण के साथ (बुरे विचारों के) (व्रन्दिनः) कुटिल मनों का समूह (मन्दिनाः) आनन्द लेते हुए (बुरे मन) (धृषत्) नष्ट करने की शक्ति (शिताम्) तीव्र (गभस्तिम्) ज्ञान की शक्ति के साथ (अशनिम्) गतिविधियों की शक्ति के साथ (पृतन्यसि) विजय के लिए प्रेरित करता है।
व्याख्या:-
बुराईयों के बादलों के सर्वोच्च भाग को कौन और कैसे कंपित करता है?
अपने सर्वोच्च प्रकाश और अपनी दिव्यताओं के साथ आप बढ़ते हुए बादलों को हिला डालते हो। नष्ट करने की अपनी शक्ति के साथ, आप उन कुटिल मनों को काटकर समाप्त कर देते हो जो अपने बुरे विचारों से शांति को ढंक लेते हैं। जब बुरे विचारों का समूह अपने बुरे विचारों के मायावी आवरण के साथ मजे में जीता है तो आप अपनी प्रबल नाशक शक्ति का प्रयोग करके उन्हें ज्ञान और गतिविधियों की शक्तियों से प्रेरित करते हो।
जीवन में सार्थकता: –
बुरे विचारों को नष्ट करने के लिए हम कैसे प्रेरित हो सकते हैं?
बुरी प्रकृति की वृत्तियाँ सदैव बढ़ती रहती हैं जब तक सर्वोच्च दिव्य शक्ति की सहायता से उन्हें अपने जीवन से समाप्त करने का संकल्प न लिया जाये। इसका अभिप्राय यह है कि इस दिशा में सर्वोच्च दिव्यता के प्रति केवल पूर्ण समर्पण ही सहायक हो सकता है। बुरे विचारों की वृत्तियाँ वास्तव में मन की शांति को ढंक लेती हैं। यह वृत्तियाँ बढ़ती जाती हैं और एक बड़े बादल की तरह समूह गठित कर लेती हैं और उसी तथाकथित आनन्द में जीती हैं। परन्तु सर्वोच्च प्रकाश ऐसे लोगों को जीवन के हर कदम पर दो दिशाओं से प्रेरित करता है:-
(क) ज्ञान की शक्ति तथा
(ख) गतिविधियों की शक्ति।
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