किसने नदियों और वनों को गर्जने के योग्य बनाया?
किसने नदियों और वनों को गर्जने के योग्य बनाया?
क्या कोई व्यक्ति युद्धों, विवादों या पापों में फंसना चाहता है?
हमें परमात्मा की संगति क्यों करनी चाहिए?
मानोअस्मिनमघवन्पृत्स्वंहसिनहितेअन्तः शवसः परीणशे।
अक्रन्दयोनद्यो३ रोरुवद्वनाकथा न क्षोणीर्भियसासमारत।।
ऋग्वेदमन्त्र 1.54.1
(मा) नहीं (नः) हमें (अस्मिन) यह (मघवन्) समस्त सम्पदाओं का दाता (पृत्सु) युद्धों में, विवादों में (अंहसि) पापों में (नहि) नहीं (ते) आपके (अन्तः) अन्त, सीमित (शवसः) बलों के (परीणशे) प्राप्त किया जा सकता है, लांघा जा सकता है (अक्रन्दयः) उलझे हुए, फंसे हुए, रोते हुए (नद्यः) नदियों को (रोरुवत्) गर्जना (वना) वन (कथा न) क्यों नहीं (क्षोणीः) धरती और उसके बच्चे (भियसा) भय से (समारत) प्राप्त, संगति।
व्याख्या:-
किसने नदियों और वनों को गर्जने के योग्य बनाया?
क्या कोई व्यक्ति युद्धों, विवादों या पापों में फंसना चाहता है?
हे परमात्मा, समस्त सम्पदा के दाता! कृपया हमें युद्धों, विवादों और पापों में न तो उलझाना, न फंसाना और न ही रोने के लिए छोड़ना। जैसा आपने नदियों और वनों को गर्जन करने के लिए बनाया है क्योंकि वे टेढ़ी-मेढ़ी अवस्था में होते हैं। कोई भी व्यक्ति आपकी शक्तियों की सीमाओं को न तो छू सकता है और न ही उन्हें लांघ सकता है। अतः, डर से ही, यह भूमि और उसके बच्चे आपको प्राप्त या आपकी संगति क्यों नहीं कर सकते।
जीवन में सार्थकता: –
हमें परमात्मा की संगति क्यों करनी चाहिए?
कोई भी व्यक्ति युद्धों, विवादों और पापों में अपना जीवन बिताना नहीं चाहता। सभी नदियाँ टेढ़े-मेढ़े प्रकार से चलते हुए गर्जना करती हैं। सभी वन बिना योजना के विकसित होने के कारण अकेलेपन में गर्जना करते हैं। हम परमात्मा की विस्तृत, असीमित और दिव्य शक्तियों को देख नहीं सकते जिसने सभी नदियों और वनों को बनाया है। विवादों और पापों का जीवन नदियों और वनों की तरह है। प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे जीवन से डरना चाहिए और इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को सर्वोच्च दिव्य शक्ति की संगति करनी चाहिए जिससे युद्धों, विवादों और पापों वाले जीवन से बचा जा सके।
अपने आध्यात्मिक दायित्व को समझें
आप वैदिक ज्ञान का नियमित स्वाध्याय कर रहे हैं, आपका यह आध्यात्मिक दायित्व बनता है कि इस ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचायें जिससे उन्हें भी नियमित रूप से वेद स्वाध्याय की प्रेरणा प्राप्त हो। वैदिक विवेक किसी एक विशेष मत, पंथ या समुदाय के लिए सीमित नहीं है। वेद में मानवता के उत्थान के लिए समस्त सत्य विज्ञान समाहित है।
यदि कोई महानुभाव पवित्र वेद स्वाध्याय एवं अनुसंधान कार्यक्रम से जुड़ना चाहते हैं तो वे अपना नाम, स्थान, वाट्सएप नम्बर तथा ईमेल 0091 9968357171 पर वाट्सएप या टेलीग्राम के माध्यम से लिखें।
अपने फोन मैं प्लेस्टोर से टेलीग्राम डाउनलोड करें जिससे आप पूर्व मंत्रो को भी प्राप्त कर सके।
https://t.me/vedas4
आईये! ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च शक्ति परमात्मा के साथ दिव्य एकता की यात्रा पर आगे बढ़ें। हम समस्त पवित्र आत्माओं के लिए परमात्मा के इस सर्वोच्च ज्ञान की महान यात्रा के लिए शुभकामनाएँ देते हैं।
टीम
पवित्र वेद स्वाध्याय एवं अनुसंधान कार्यक्रम
वाट्सएप नम्बर-0091 9968357171
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।