डॉ डी के गर्ग
गप्प कथा लिखने वालो ने सीता माता,द्रौपदी ,हनुमान ,और भी हमारे अनेको महापुरुष है जिनके जन्म को लेकर दुष्प्रचार किया गया। कथाकारों ने लिख दिया की द्रौपदी गर्भ से नहीं यज्ञ कुंड से उत्पन्न हुई।
पौराणिक कथा क्या है ?द्रौपदी के जन्म से जुडी पौराणिक कहानी अवश्य ही समझनी होगी, जो संक्षेप में कुछ इस प्रकार है पौराणिको के अनुसार महाराज द्रुपद ने द्रोणाचार्य से प्रतिशोध लेने के लिए कर्मकांडी ब्राह्मणों याज और उपयाज द्वारा यज्ञ करवाया और उस यज्ञ से उन्हें पुत्र धृष्टद्युम्न और पुत्री कृष्णा (द्रौपदी) की प्राप्ति हुई।
आगे ये भी लिख दिया है की द्रौपदी जन्म से ही युवा स्वरूप सुंदरी के रूप में पैदा हुई। इस विषय पर महाभारत के कुछ शोलोको का अर्थ इस प्रकार है :
१ कुमारी चापि पाञ्चाली वेदिमध्यात्समुत्थिता।
प्रत्याख्याते पृषत्या च याजके भरतर्षभ।। (४४)
भावार्थ : तत्पश्चात यज्ञ की वेदी में से एक कुमारी कन्या भी प्रकट हुई, जो पांचाली कहलायी। वह बड़ी सुंदरी एवम सौभाग्यशालिनी थी। उसका एक एक अंग देखने योग्य था, उसकी श्याम आँखे बड़ी बड़ी थी। (४४)
उसके शरीर की कांति श्याम थी। नेत्र ऐसे जान पड़ते मानो खिले हुए कमल के दल हो। केश काले काले और घुंघराले थे। नख उभरे हुए और लाल रंग के थे। भौहे बड़ी सूंदर थी। दोनों उरोज (स्तन) स्थूल और मनोहर थे। (४५)
वह ऐसी जान पड़ती मानो देवी दुरत ही मानवशरीर धारण करके प्रकट हुई हो। उसके अंगो से नील कमल की सी सुगंध प्रकट होकर एक कोस तक चारो और फ़ैल रही थी (४६)
उसने परम सुन्दर रूप धारण कर रखा था। उस समय पृथ्वी पर उसके जैसी सूंदर स्त्री दूसरी नहीं थी। देवता, दानव और यक्ष भी उस देवोपमय कन्या को पाने के लिए लालायित थे। (४७)
सुंदर कटिप्रदेश वाली उस कन्या के प्रकट होने पर भी आकाशवाणी हुई “इस कन्या का नाम कृष्णा है। यह समस्त युवतियों में श्रेष्ठ एवम सुंदरी है और क्षत्रियो का संहार करने के लिए प्रकट हुई है। (४८)
यह सुमध्यम समय पर देवताओ का कार्य सिद्ध करेगी। इसके कारण कौरवो को बहुत बड़ा भय प्राप्त होगा। (४९)
विश्लेषण : १ आज का युग विज्ञान का है, वे कथित स्वघोषित मजहबी पुस्तके जिनमे विज्ञानं का लेशमात्र भी समावेश नहीं है। ऐसी गप्प कथाये आज पुरे विश्व के लिए एक बड़ी समस्या और चुनौती बन गयी हैं। और कथाकारों ने और भी अंधविस्वास को जन्म दिया है की जो कुछ भी हिन्दू इतिहासिक ग्रंथो में लिखा गया, वह सब सत्य है, चाहे वह हनुमान जी का वानर के स्थान पर बन्दर रूप होना हो, द्रौपदी के मनगढंत चीरहरण की कथा हो, महासती द्रौपदी के पांच पति की अवधारणा हो, कृष्ण जैसे योगिराज की अनेको पत्निया और गोपियो के साथ रास रचाने की घृणित कथा हो आदि।
२ शिशु का जन्म कैसे होता है ? महीने में एक बार महिलाओं के अंडाशय (ओवरी) से एक अंडा (ओवम) निकलता है। पुरुषों के अंडकोष (टेस्टिकल्स) में से शुक्राणु (स्पर्म) निकलते हैं। शुक्राणु वीर्य (सीमेन) में पाया जाता है। वीर्य एक तरल पदार्थ जिसमे लाखों छोटे शुक्राणुओं होते हैं और यह मूत्राशय के ठीक पीछे ग्रंथियों द्वारा निर्मित होता है। यदि एक अंडा किसी एक शुक्राणु द्वारा निषेचित (फ़र्टिलाइज़) हो जाये, तो गर्भावस्था होती है।प्रसव को आम तौर पर तीन चरणों में बांटा जाता है। पहला चरण लगभग सबके लिए सबसे लंबा होता है, लेकिन इसकी लंबाई बहुत ही परिवर्तनशील होती है। एक घंटे से लेकर 20 घंटों के बीच तक की कोई भी अवधि सामान्य मानी जाती है।प्रसव की शुरुआत शिशु से मिलने वाले हॉर्मोनल ट्रिगर्स की अनुक्रिया के रूप में होती है। शिशु की एड्रीनल ग्लैंड (अधिवृक्क ग्रंथि) विकसित होकर कॉर्टीसोन नामक हॉर्मोन का स्राव करना शुरु करती है। इसकी अनुक्रिया में मां के अंदर प्रोस्टाग्लैंडिंस नामक हॉर्मोनों का स्राव होता है – और यही वे हॉर्मोन होते हैं जो गर्भाशय के संकुचन की प्रक्रिया आरंभ कराते हैं।
३ महाभारत में दिया गए उपरोक्त श्लोको से तीन बाते बताई है – पहली द्रौपदी युवा अवस्था में यज्ञकुंड के मध्य से उतपन्न हुई और द्रौपदी से पहले उसका भाई धृष्टद्युम्न उत्पन्न हुआ वह भी युवा ही था। दूसरी बात यहाँ धृष्टद्युम्न के शरीर की चर्चा केवल २-३ श्लोक में बताकर इतिश्री कर दी गयी, मगर द्रौपदी के रूप, शरीर, उरोज, कटिप्रदेश (कमर) आदि का विस्तारपूर्ण विवरण दिया गया थोड़ा अश्लीलता के साथ, अतः ये सिद्ध है ये भेदभाव व्यासमहाराज जी कभी नहीं करते, तीसरी बात यज्ञ किया गया था गुरु द्रोण का वध करने हेतु एक पुरुष संतान की प्राप्ति हेतु, मगर यज्ञ से दो संतान एक पुरुष और एक स्त्री की प्राप्ति हुई जिससे कौरवो के नाश की भविष्यवाणी बताई गयी, क्या द्रुपद महाराज का यज्ञ कौरवो के नाश के लिए भी किया गया था ? ये कितना बड़ा झूट है ,आप स्वयं निर्णय करने में समर्थ है।
४ द्रौपदी का जन्म रहस्यमयी नहीं, सामान्य स्थिति में ही हुआ था। यहाँ द्रुपद महाराज द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया गया था, यह पुत्रेष्टि यज्ञ बिलकुल उसी प्रकार है जैसे श्रीराम आदि बंधुओ को प्राप्त करने हेतु महाराज दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था, यदि पुत्रेष्टि यज्ञ से पुत्र व पुत्री हवन कुंड से उतपन्न होते तो श्रीराम आदि बंधू भी पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने पर हवन कुंड से उत्पन्न हो सकते थे, मगर ऐसा नहीं हुआ, पुत्रेष्टि यज्ञ एक विज्ञानं सम्मत यज्ञ है जिसमे यज्ञ द्वारा, चुनिंदा और संयमित समिधा, सामग्री आदि द्वारा इच्छित संतान की उत्पत्ति हेतु वैज्ञानिक आधार पर वीर्य और गर्भ को उत्तम और परिपक्व किया जाता है, ठीक उसी प्रकार जैसे आज निसंतान दंपत्ति के लिए अनेको प्रकार की दवाये उपलब्ध होती हैं, जो संतानप्राप्ति हेतु वीर्य और गर्भ के लिए आवश्यक हो।
५ द्रौपदी का जन्म रहस्यमयी नहीं, सामान्य स्थिति में ही हुआ था यह बात महाभारत ही स्वयं सिद्ध करती है, देखिए :
द्रुपदेषा हि सा जज्ञे सुता वै देवरूपिणी
(महाभारत आदिपर्व, वैवाहिकपर्व, १९६.१)
व्यासजी ने कहा : द्रुपद ! यह वही मुनिकन्या तुम्हारी पुत्री के रूप में पुनः उत्पन्न हुई है।
यदि द्रौपदी यज्ञ की वेदी से उतपन्न हुई, तो यहाँ व्यासजी ने द्रुपद के कुल में उत्पन्न हुई ऐसा क्यों कहा ? वनपर्व, आरण्यकपर्व, आदि अनेको स्थान पर महाभारत में द्रौपदी को द्रुपद कुल में उत्पन्न हुई ऐसा कहा है।
श्रीमदभागवत पुराण ने भी पुष्टि की है, महाराज द्रुपद से द्रौपदी, धृष्टद्युम्न उत्पन्न हुए, यही नहीं द्रौपदी और धृष्टद्युम्न से पूर्व भी द्रौपदी के ४ भाई धृष्टकेतु आदि पहले से उत्पन्न थे, इसी धृष्टकेतु के नाम पर धृष्टद्युम्न नाम भी रखा गया।
अन्य प्रमाण —
इसके अतिरिक्त वन पर्वान्तर्गत, मार्कण्डेयसमस्यापर्व अध्याय १८३ श्लोक २५ में कृष्ण महाराज, द्रौपदी और उनके भाइयो को सहोदर (एक ही गर्भ से उतपन्न) बताते हैं, देखिये :
राज्ये राष्ट्रीश्च निमन्त्र्यमाणाः
पित्रा च कृष्णे तव सोदरैश्च।
न यज्ञसेनस्य न मातुलानां
गृहेषु बाला रतिमाप्नुवन्ति ।।
उपरोक्त श्लोक में कृष्ण महाराज द्वारा द्रौपदी और उनके धृष्टद्युम्न आदि भाइयो को सहोदर अर्थात एक ही गर्भ से उतपन्न भाई बहन बताया गया है।