मोदी और कश्मीर में पीड़ांतक दवाई का प्रयोग
आजादी के बाद जब देश का संविधान लागू हुआ तो उस समय हमारे संविधान के भीतर धारा 370 को स्थापित करना तत्कालीन नेतृत्व की सबसे बड़ी गलती थी। एक ही देश के भीतर दो विधान- दो निशान और दो प्रधान की व्यवस्था करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं था। देश के राष्ट्रवादी लोगों की पहले दिन से ही यह मांग रही कि धारा 370 को हटाया जाए। कांग्रेस के शासनकाल में ऐसा दौर भी आया जब यह लगने लगा कि अब इस अस्थाई धारा को भी स्थाई धारा के रूप में लगभग मान्यता मिल चुकी है। लोगों के भीतर यह भाव पैदा कर दिया गया कि इस धारा को हटाने के लिए केंद्र में दो तिहाई बहुमत किसी एक पार्टी या सत्तारूढ़ गठबंधन का होना आवश्यक है। इसके पश्चात केंद्र के इस धारा को हटाने संबंधी प्रस्ताव को जम्मू कश्मीर की विधानसभा से भी इतने ही बहुमत से पारित कराया जाना आवश्यक है। इस प्रकार की भ्रांति ने लोगों के भीतर यह विचार पैदा कर दिया कि अब इस धारा को कभी हटाया नहीं जा सकेगा।
5 अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने साहसिक निर्णय लेते हुए इस राष्ट्र विरोधी संवैधानिक धारा को हटाकर ऐतिहासिक कार्य किया। इसके पश्चात जम्मू कश्मीर में अच्छे दिनों की बयार बहनी आरंभ हुई। जिस प्रकार का आतंकवाद वहां पर सरकार की नीतियों के लचर दृष्टिकोण के कारण फल फूल रहा था, उससे मुक्ति पाकर वहां का हिंदू समाज ही नहीं बल्कि मुस्लिम समाज भी अपने आपको आज खुश अनुभव कर रहा है। सरकार समर्थित आतंकवादी और अधिकारी मिलकर वहां युवाओं के हाथों में पत्थर पकड़ाते थे और सुरक्षा बलों पर उनसे हमला करवाकर फिर केंद्र पर यह दबाव बनाते थे कि यह लोग भूखे हैं, गरीब हैं और गरीबी के कारण यह ऐसा कार्य कर रहे हैं। इस प्रकार एक राष्ट्र विरोधी कृत्य को भी गरीबी से जोड़कर दिखा दिया जाता था। जिस पर केंद्र की सरकार से बड़े-बड़े आर्थिक पैकेज लेने में वहां की सरकार सफल हो जाती थी। जिसे सरकार में बैठे लोग, अधिकारी और आतंकवादी मिलकर चट कर जाते थे। आतंकवादियों के द्वारा युवाओं के हाथों में फिर पत्थर दे दिए जाते थे । क्योंकि उन्हें भेजे गए आर्थिक पैकेज में से एक पैसा भी नहीं दिया जाता था।
सेकुलरिस्ट गैंग यह दर्शाता था कि कश्मीर में वास्तव में लोग भुखमरी का जीवन जी रहे हैं और वह अपने गुस्से को देश के सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंक पर प्रकट करते हैं। किसी ने भी यह नहीं सोचा कि देश के अन्य प्रांतों में भी गरीबी है, पर वहां का युवा देश के सुरक्षा बलों पर पत्थर क्यों नहीं फेंकता ? इसके अतिरिक्त यह भी नहीं सोचा गया कि संसार के किसी अन्य देश में भी ऐसा नहीं देखा जाता, जहां बेरोजगारी से दु:खी युवा अपने देश की सेना पर ही पत्थर फेंकता हो । वह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर सकता है, नारेबाजी कर सकता है, अपने आक्रोश को व्यक्त करने के लिए संवैधानिक रास्ता अपना सकता है, पर अपने देश की सेना पर पत्थर फेंकने की हिमाकत नहीं कर सकता। पर भारत में यह सब हो रहा था। क्योंकि राजनीति वोटो की सौदागर बन चुकी थी। बस वोट की राजनीति के चलते देश की अस्मिता को तार-तार करने में राजनीतिक दल भी एक दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रहे थे।
देश के अन्य प्रधानमंत्री लगभग इस बात से समझौता कर चुके थे की धारा 370 को वे नहीं हटा सकते। प्रत्येक प्रधानमंत्री यह मानकर चलता था कि इस समस्या को आगे आने वाले के लिए छोड़ जाओ। राजनीति में आई इस प्रकार की शिथिलता को नरेंद्र मोदी जी ने एक झटके के साथ तोड़ दिया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि देश की बड़ी से बड़ी समस्या पर उनकी नजर है और वह उसके समाधान के लिए पूर्ण मनोयोग से समर्पित हैं। उन्होंने अपने आचरण से स्पष्ट किया कि उनके लिए राष्ट्र प्रथम है इसके अतिरिक्त अन्य कुछ भी उनके लिए प्राथमिक नहीं है। अपनी ऐसी सोच के चलते हुए प्रधानमंत्री ने धारा 370 को हटाने का ऐतिहासिक कार्य किया।
धारा 370 के हटने के बाद कश्मीर में अब आतंकवादी घटनाओं और भड़काऊ नारेबाजी के साथ-साथ पथराव जैसी घटनाओं में भी कमी आई है। बीते वर्षों में वहां पर विकास ने नई उड़ान भरी है। लोग देशभक्ति के विचारों से सराबोर होते दिखाई दे रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अब पाकिस्तान सहित कोई भी देश कश्मीर समस्या को पहले की तरह नहीं उठाता और ना ही भारत को किसी अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ता है। पाकिस्तान को अब कश्मीर लेने की चिंता नहीं है बल्कि पक उसके हाथों से ना खिसक जाए, इस बात को लेकर वह चिंतित दिखाई देता है। इस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने अपने साहसिक निर्णय से कश्मीर संबंधी विमर्श को ही बदल देने का कूटनीतिक प्रबंध कर दिया है।
धारा 370 को हटाकर प्रधानमंत्री मोदी ने मां भारती की 70 साल की पीड़ा को नष्ट किया। इस प्रकार उनके द्वारा जब भारत की संसद में धारा 370 को हटाने संबंधित प्रस्ताव आया तो वह कश्मीर के लिए प्रस्तुत की गई ‘पीडांतक’ नाम की औषधि थी, जिसका प्रत्येक राष्ट्रवादी देशभक्त ने स्वागत किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस साहसिक निर्णय से यह स्पष्ट किया कि उनका 56 इंची नहीं बल्कि 156 इंची सीना है।
धारा 370 के हटाए जाने के बाद से अब जम्मू कश्मीर पर भारत की सरकार या संसद के द्वारा बनाए जाने वाला प्रत्येक कानून लागू होने लगा है। जो लोग उस समय यह धमकी दे रहे थे कि यदि धारा 370 हटाई गई तो यहां खून की नदियां बह जाएंगी, उनकी उपस्थिति में धारा 370 को हटाया गया और खून की एक बूंद भी धरती पर नहीं गिरी। आज इन सब बातों को भारत का मतदाता याद रखते हुए मतदान करता है तो इसमें कोई बुरी बात न होगी। प्रधानमंत्री मोदी और उनकी टीम निश्चित रूप से अपने इस ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय पर लोगों के भारी समर्थन की आस लगाए बैठी है।
डॉ राकेश कुमार आर्य
(लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं।)