जब प्रभु राम सबके हैं तो जातिगत द्वेष क्यों, मतदाता समझदार एवं सजग बने
- दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)
सम्पूर्ण विश्व जानता है की सैकड़ो वर्षों की तपस्या,त्याग,बलिदान और साधना के पश्चात प्रभु श्री राम के मंदिर का भव्य निर्माण श्री अयोध्या धाम में हुआ है । जिसको अगर राजनितिक रूप से देखा जाए तो भाजपा ही एक मात्र राजनितिक दल था जिसका मुख्य उद्देश्य ही प्रभु का मंदिर निर्माण करवाना था । यह स्वप्न सच भी भाजपा की ही सरकार में हुआ और हिन्दुओ के मताधिकार से भाजपा सत्ता में आयी इसमें भी कोई संदेह नहीं। जातियों में बटा समाज जब एक हुआ, जातिगत राजनीति को त्याग कर भाजपा को सत्ता सौंपी तब भाजपा ने भी अपने वादे को पूर्ण कर हिन्दू समाज की भावनाओं का पूर्ण सम्मान रखा। इन सबके पश्चात आज कुछ नेता जातिगत राजनीति कर भाजपा का नुकसान करने पर आतुर हैं जबकि यह नुकसान भाजपा से अधिक सनातन का होगा,राष्ट्र का होगा । आप सोचिए जब पुराने लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण हुआ था तो प्रत्याशी को जो मत मिले थे वो किसी एक जाती के आधार पर नहीं थे अपितु राष्ट्र निर्माण के नाम पर थे । पूर्व में जब उन जातियों को भाजपा द्वारा टिकट वितरण किया गया था जिसमें कुछ लोग आज भाजपा का विरोध कुछ चंद लोगों द्वारा भ्रमित होने पर कर रहे हैं तो अन्य समाज के लोगों को कोई नाराजगी नहीं थी तन, मन, धन तीनों प्रकार से सभी समाज के लोगों ने सहयोग कर भाजपा प्रत्याशी को विजयी कर लोकसभा में भेजकर राष्ट्रवादी विचारधारा को मजबूत कर मोदी जी को शक्ति प्रदान करी थी। अतः यदि कुछ टिकटों के वितरण में बदलाव हुआ है तो इसको जातिगत भेदभाव या सामाजिक द्वेष भावना से नहीं देखना चाहिए प्रत्याशी किसी भी जाति का हो देश को पूर्व की भांति ही मोदी सरकार को सामर्थ्य प्रदान कर राष्ट्र व सनातन को बल देना चाहिए । क्योंकि यह निश्चित मानिए की प्रभु राम मंदिर का उत्सव विपक्षी राजनीतिक दृष्टिकोण को न पहले स्वीकार था , ना अब है और ना ही भविष्य में होगा तो सोचना सभ्य समाज को है की उन्हें राष्ट्र से प्रेम है या जातिगत विष से जिसको पीने से पोषण नहीं पतन ही होता है ।
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