जिनके लिए संसार में , मनुआ पाप कमाय।
विशेष जाग जाओ, धोखे में मत रहो :-*
विशेष जाग जाओ, धोखे में मत रहो :-
जिनके लिए संसार में ,
मनुआ पाप कमाय।
एक दिन ऐसा आयेगा,
इनसे धोखा खाय॥2587॥
विशेष : – आत्मस्वरूप को कौन जानता है ? :-
आत्मवित ही जानता,
अपना आत्मस्वरूपा ।
अवगाहन करे ब्रह्म में,
हो जाता तद् रूप॥2588॥
आत्मवित अर्थात् आत्मा को जीतने वाला अथवा मन को जीतने वाला
अवगाहन- रमण करना
तद् रूप – उस जैसा होना ।
विशेष शेर :-बोलने से पहले बोलने का सलीका सीखो: –
कौन सी बात,
कहाँ कही जाती है ?
बोलने का सलीका हो ,
तो बात सुनी जाती है॥2589॥
*"शेर"*
कोई दीवाना कहता है,
कोई पागल समझता है।
मगर धरती की बेचैनी ,
केवल बादल समझता है॥2590॥
(कुमार विश्वास)
गुरू गोविन्दसिंह की प्रेरक पंक्तियाँ –
हम हैं परम पुरुष के पासा।
देखन आए जगत तमाशा॥
ध्यान रहे, जगत का तमाशा ।
देखो, तमाश खुद मत बन जाना॥2591॥
विशेष शेर :- गुरु गोविन्दसिंह के तप-त्याग के संदर्भ में –
इधर भी तू
उधर भी तू
जो होती न तू
तो जग समुन्नत न होता।
ग़र उठाई न होती ,
गुरु गोविन्द सिह ने तलवार ।
तो चारों तरफ सुन्नत ही होता अनजान॥2592॥
विशेष :- राष्ट्रकवि रामधारीसिंह की प्रेरक पंक्तियाँ –
i – मिट्टी सोने का,
ताज़ पहन इठलाती है।
सिंहासन खाली करो ,
कि जनता आती है।
ii – रे रोक युधिष्ठिर को न यहाँ ,
जाने दे उनको स्वर्ग धीर।
फिर से दे दे गाण्डीव गदा,
लौटा दे अर्जन -भीम वीर ॥
कह दे शंकर से आज करे ,
वे प्रलय-नृत्य फिद्धएक बार॥
सारे भारत में गूँज उठे , हर-हर बम का फिर महोच्चार॥
व्यक्तित्त्व मापन के संदर्भ में :-
जीवन हो उस कोटि का,
जिस कोटि का ज्ञान।
गुणी-ज्ञानी का जगत में ,
होता है सम्मान ॥2593
क्रमशः