ऋषि दयानंद सरस्वती जी की चिंता यही थी मानव समाज को केवल और केवल सत्य के साथ जोड़ना |
ऋषि दयानन्द जी चाहते थे मानव मात्र को यथार्त से परिचित कराना या सत्य से रूबरू कराना, मुसीबत उन्हों ने अपने ऊपर लिया की आने वाला समय मेरे संतानों को मुसीबतों का सामना करना न पड़े |
जितना भी दुःख ऋषि ने झेला उसका मूल कारण यही था की मानव समाज सत्य से जूड़ें, सत्य को जाने और पहचानें भी |
इसमें भी अनेकों ने ऋषि को रोकना चाहा, जान से मारने का भी प्रयास किया लोगों ने आखिर क्या बिगाड़ा था ऋषि ने किसी का ?
वह लोग पाखण्ड फैलाना चाहते थे ऋषि पाखण्ड को रोकना चाहते थे, इसी का ही विरोध था नहीं तो और कुछ बात भी नहीं थी |
अब सवाल पैदा होता है जिस पाखण्ड से ऋषि ईसाई, मुस्लिम, जैन, बौध,शिख पंथ दादू पंथ चार्वक्य आदि को यथार्थ जवाब दे कर शास्त्रार्थ में परास्त किया, जहां जैसा हुआ ऋषि ने सबका मुकाबला किया पहाड़ की चट्टान बनकर सबका मुकाबला किया |
क्या आर्य समाज के विद्वान् इस बात को भूल गए काशी के पंडा पुजारियों से जब उत्तर नहीं बना तो ऋषि को ईंटों और पत्थरों से घायल कर दिया शारीर लहू लोहान हुआ ऋषि का |
बात क्या थी सत्य और असत्य की, वेद विरुद्ध आचरण करने वालों का पर्दा फाश करने को लेकर काशी में पंडितों के साथ विद्या और अविद्या की बातें थीं, ऋषि ने बे हिचक पंडितों को सत्य के वल पर सबको मात दिया |
आज उसी आर्य समाज के विद्वान कहला कर गुरुकुलीय अपने को बता कर अविद्या को सत्य सिद्ध किस लिए करने लगे हैं ? जो शास्त्र विरुद्ध है ऋषि मान्यता विरुद्ध है उसी को जबरदस्ती करने लगे और ऋषि के नाम को कलंकित करने लगे किस लिए ? ऊपर से सीनाजोरी भी कर रहे हैं क्या यही दयानन्द की मान्यता हैं ?
जो विद्वान ऋषि दयानन्द जी की त्याग और तप को वलिदान को सत्य के खातिर हुआ समझते हैं उन्हें तो कमसे कम एक जुट होकर ऋषि का सपना साकार करने के लिए इन पाखंडियों का पर्दा फाश करना चाहिए |
और विशेष कर आर्य समाज को पाखंड मुक्त समाज बनाने का प्रयास करना चाहिए |
आज चरों तरफ से पाखंडियों ने अआर्य समाज को घेर रखा है जहां देखें वहीँ पाखण्ड विद्वान से लेकर कार्य कर्ता अधिकारी सब अपने स्वार्थ के लिए पाखण्ड फैला रहे हैं, केवल लक्य्े है धन क्या इस पाखण्ड की मिटाने के लिए पाकिस्तान से लोग आयेंगे ? अथवा हमें और आप को ही इसके लिए प्रयास करना होगा ?
अनेक विद्वानों की सहमती इस काम में मुझे प्राप्त हुआ है जो जो विद्वान बहु कुण्डी और वेद पारायण यज्ञ को ऋषि मान्यता के विरुद्ध मानते हैं ऐसे विद्वानों का समर्थन मुझे निरंतर मिल रहा है |
मैं औरों से भी चाहूँगा पाखंड मुक्त भारत का सपना ऋषि दयानन्द जी का था, तो क्या हम लोग ऋषि की बनाई गई आर्य समाज को पाखण्ड मुक्त क्यों नहीं बना सकते ? क्या यह हमारा फ़र्ज़ नहीं है ?
आप विद्वानों से आग्रह है की ऋषि ऋण से छुटकारा पाना चाहते हैं तो यही एक सच्चा रास्ता है आप लोग आयें और हम आर्य समाज से पाखण्ड को उखाड फेंकने का प्रतिज्ञा करें |
धन्यवाद के साथ महेंद्र पाल आर्य 27/3/2024
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