जब बाबरी ढांचा गिरा दिया गया था तो ओवैसी ने कहा कि अल्लाह का घर तोड़ दिया गया , एक तरह यह मक्का के काबा को अल्लाह का घर बताते हैं , फिर बाबरी ढांचा को अल्लाह का घर बता देते हैं , अगर अल्लाह काबा के आलावा कहीं और रह सकता है तो हिन्दू बनारस में मक्का के काबा जैसा बनारस में काबा क्यों नहीं बना सकते हैं , मुसलमानों को हज के लिए अरब नहीं जाना पड़ेगा , क्योंकि खुद मुस्लिम विद्वान् दावा करते हैं की अल्लाह निराकार है ,और कहीं भी रह सकता है ,और यदि यह लोग बनारस के काबा का विरोध करेंगे तो उनका दावा झूठ साबित हो जायेगा। लोग कहेंगे कि अल्लाह काबा में रहने वाला कोई व्यक्ति होगा जो मुहम्मद के साथ मर गया होगा
ऐसा हम इसलिए कह हैं की जब सन 1827 ई ० को उर्दू के प्रसिद्द शायर “मिर्जा ग़ालिब – مرزا غالب(1787-1868) ” कुछ दिन के लिए काशी यानी बनारस में रुके थे तो उन्होंने काशी के बारे में फारसी में “चिरागे दैर – چراغ دیر ” नामकी (Lamp of temple ) जो नज्म लिखी थी उसमे काशी के मंदिर को हिंदुस्तान का काबा और बनारस को असली जन्नत बताते हुए और कुरानी जन्नत को वीरान कह दिया था
फारसी की इस नज्म में 10 शेर हैं यहाँ मूल फारसी के साथ हिंदी अनुवाद दिया जा रहा है
बनारस रा मगर दीदस्त दर ख़्वाब
कि मी गरदद ज़े-नहरश दर दहन आब -1
अनुवाद- बनारस शहरका कोई सानी ,नहीं ,इसका कोई सानी है कोई सपने में भी नहीं सोच सकता है ,मुझे तब यकीन हुआ जब मैंने इसकी नदी (गंगा ) का पानी पिया
ज़हे आसूदगी बख़्श-ए-रवांहा
कि दाग़-ए-चश्म मी शूयद ज़ जांहा -2
अनुवाद- धन्य है धरती बनारस की जो हर इक आत्मा को शांति प्रदान करती है जो सारी आत्माओं से बुरी नज़रों के हर प्रभाव को धो डालती है हर बला को टालती है
सवादश पा-ए-तख़्त-ए-बुतपरस्तां
सरापायश ज़ियारत गाह-ए-मस्तां -3
अनुवाद- यह बस्ती एक मर्कज़ ख़ास है उन आस्थावानों का जिनको मूर्तिपूजक कहा जाता है कहा जाता है पूरे विश्व में यही आरंभ से ले अंत तक मस्तों का तीर्थस्थल है
इबादत ख़ाना-ए-नाक़ूसियानस्त
हमाना काबा-ए-हिंदोस्तानस्त -4
अनुवाद- मैं आंखों देखे और कानों सुने अपने अनुभव ज़ेहन में रखकर यह कहता हूं इक पावन इबादतख़ाना है बेशक यह हिंदुस्तान का काबा है
बिरादर-बा-बिरादर दर-सतेज़स्त
विफ़ाक़ अज़ शश-जिहत रू दर गुरेजस्त -5
अनुवाद-जो भाई तलवार से भाई को ही मारने में तुले रहते हैं ,वह यहाँ शांति और प्रेम का व्यवहार देख कर मुंह छुपा कर भाग जायेंगे
कि हक़्क़ा नीस्त साने रा गवारा
कि अज़ हम रीज़द ई रंगीं बिनारा -6
अनुवाद- हकीकत तो यह है कि क़ियामत होने पर भी खुदा इस सुन्दर नगर को नष्ट करना गवारा नहीं करेगा
बुलंद उफ्तादाये नामकीन ए बनारस
बुवद ऊ न ई अन्देश ना रस
अनुवाद- बनारस का दर्जा इतना बुलंद है कि कोई सोच नहीं सकता ,इसमें कोई शंका नहीं है
जुनूंनत गर बि-नफअस-ए-ख़ुद तमामस्त
ज़ि-काशी ताब: काशां नीम गामस्त-8
अनुवाद- अगर दीवानगी अपनी जगह भरपूर है तो फिर समझ लो काशी से काशान बस आधे क़दम ही दूर है .
मदेह अज़ कफ़ तरीक़-ए-मारिफ़त रा
सरत गर्दम ब-गर्द ईं शिश- जेहत रा -9
अनुवाद- तुम चाहे छःहों दिशाओं में घूम कर देखो सच्चा और अध्यात्म का मार्ग जैसा बनारस में है कहीं नहीं मिलेगा
,बि-काशी लख़्ते अज़ काशाना याद आर
दरीं जन्नत अज़ां वीराना याद आर -10
अनुवाद- काशी में रह कर जन्नत की अनुभूति लेते हुए उस वीरान जगह को याद करो जिसे तुम जन्नत मानते हो
1-बनारस में एक काबा बना दिया जाये
पिछले तीन वर्षों के अंदर मुस्लिमों ने मक्का के काबा जैसे तीन काबा बना दिए हैं जहाँ उसी तरह नमाज , हज ,तवाफ़ जैसी सभी रीतियों का पालन हो रहा है चूँकि मिर्जा ग़ालिब ने बनारस का काबा कह दिया है इसलिए हमारा सुझाव है कि काशी में भी एक काबा बना दिया जाये और जितने एक्स मुस्लिम हैं इस कार्य में पहल करें और हिन्दू सहयोग करें , क्यों जैसे मुस्लिमों ने हिन्दू देवताओं को बेघर किया था उसी तरह सब अल्लाह को बेघर कर दें और महादेव को स्थापित कर दें
यह बात लोगों को हास्यास्पद जरूर लगेगी परन्तु उन लोगों मिर्ची लगेगी ,जो हिन्दुओं को परेशां न करने के लिए रोज नए नए षडयंत्र करते रहते हैं ,कभी बीच रस्ते में मजार बना देना ,कभी रोड पर या प्लेटफॉर्म पर नमाज पढ़ना और कभी अजान के बहाने शोर मचाना इत्यादि , इसका एकमात्र यही उपाय है ,कि बनारस में सभी मिल कर काबा बना दें ,
2 -काबा कैसा होगा ?
हमने बताया था की कई बरसों पहले फारसी के एक यात्री ने बनारस में हिंदुस्तान के काबा का उल्लेख किया था , इसलिए बनारस में जो काबा बनाया जाये वह आकार और बनावट में मक्का के काबा जैसा होना चाहिए लेकिन उस पर मक्का के काबा की तरह काले गिलाफ की जगह भगवा गिलाफ चढ़ाना चाहिए , मुसलमान मक्का के काबा को ” बैतुल्लाह – البيتُ الله ” यानि अल्लाह का घर कहते ,हम इसे “बैतुल इलाह – البيت الاله ” यानी चंद्रमौलीश्वर का निवास कहेंगे , और मुस्लिम देशों के लोग इसे ” कअबतुल हिन्द – الكعبتُالهند ” के नाम से जानेगे , काबा के दरवाजे आगे एक दीवार पर एक सफ़ेद पत्थर लगा जाये जिसका नाम हमने “हजरुल अबयद – الحجر الابيض” यानि श्वेत पत्थर , जैसा मक्का में काबा पर लगा है जिसे मुस्लिम “हजरुल अस्वद – لْحَجَرُ ٱلْأَسْوَد, ” यानि काला पत्थर कहते हैं .लोग महादेव की पिंडी जैसे श्वेत पत्थर को चूमे नहीं ,बल्कि इस काबा का परिक्रमा करते हुए इसको नमस्कार करते हुए हर हर महादेव और इलाह अकबर का नारा लगाते रहें , इसके साथ इस काबा के परिसर में एक 20 फुट का ईंटों से बना एक स्तम्भ भी बना दिया जाये जिसका नाम हमने “अलहात – الهات ” रखा है , इलाह देव यानि महादेव के शत्रु का प्रतिक है , यह हिब्रू शब्द ” अलाह – עלו ” से बना है , इसका अर्थ अभिशापित (cursed ) है , इसका सम्बन्ध कुरान के अल्लाह से नहीं है ,क्योंकि इस्लाम के अनुसार तौरेत ,जबूर और इंजील भी अल्लाह की कताबें हैं ,लेकिन इनमे अल्लाह शब्द नहीं है , लेकिन इन तीनों में “अलाह – ” शब्द जगह जगह मिलता है जो शैतान का द्योतक है ,फिर भी जोभी हिन्दू इस काबा का हज करने जाए इस खम्भे पर पत्थर मारे और अलाह पर धिक्कार करे .
3-बनारस के काबा के अंदर क्या होगा ?
इस काबा में द्वार के साथ दौनों तरफ दो बड़ी खिड़कियां होंगी जिस से शुद्ध वायु आती जाती रहे , द्वार के सामने ही एक बड़े सिंहासन पर इलाह देवता यानि महा देव का प्रतिक चाँदी का अर्धचन्द्र स्थापित कर दिया जाये जैसा इस्लाम से पहले मक्की काबा में था , मक्का के काबा में न तो खिड़की है और न रोशनी का प्रबंध है , हो सकता है गर्मी और दमघुटने से अबतक अल्लाह भाग कर कहीं और चला गया हो , इसी लिए मुसलमान अल्लाह के बिना मुल्ला का आदेश मान कर अपराध करते रहते है , लेकिन इस काबा में ए सी भी लगी होगी , देवता ठन्डे दिल से उचित और कल्याणकारी आदेश देते इसी कारन ही तो अल्लाह ने कुरान में बेतुकी आयतें भर डाली हैं .
अगले एपिसोड में बताया जायेगा कि उपासना कैसे होगी और विरोधयों के तर्कों का जवाब कैसे दिया जा सकेगा
4-भारत की अजान कैसी हो ?
हमने आपको बताया है कि ईरानी यात्री ने काशी को अपनी फारसी कविता में हिंदुस्तान का काबा कहा है ,यह बात सभी जानते हैं कि इसलाम से पहले काबा के मुख्य देवता महादेव ही थे जिसे लोग इलाह कहते थे , इनके सर पर अर्धचंद्र सुशोभित था हम इनको संस्कृत में चन्द्रमौलीश्वर कहते हैं , हम चाहते हैं कशी में मक्का जैसा काबा बना दिया जाए जो इलाह यानि महादेव को अर्पित हो , इस से यह फायदा होगा कि अल्लाह काबा की कोठरी से आजाद हो जायेगा , और जो मुस्लिम मुल्लशाही से परेशान हो गए हैं काशी ही हज कर सकेंगे इसके बारे में विस्तार से आगे बताया जायेगा , कुछ दिन पहले हमारे घनिष्ठ मित्र , सहयोगी और मार्ग दर्शक श्री अवधेश शर्मा तहसीलदार जी ने सुझाव दिया था कि मुसलमानों द्वारा दी जाने वाली अजान का वैसा ही जवाब देना जरुरी है ,इसीलिए हम काशी की अजान दे रहे हैं
काशी की अजान
1-“لا الله الّا اله”
(ला अल्लाह इल्ला इलाह )
अर्थ – इलाह के सिवा कोई अल्लाह नहीं है
2-“مهاديو اِله اكبر ”
(महादेव इलाह अकबर )
अर्थ – महादेव बड़े उपास्य हैं
3-“اشهدُ انّ مهاديو اِله اكبر ”
(अश्हदु अन्न महादेव इलाह अकबर )
अर्थ – मैं गवाही देता हूँ ,महादेव बड़े उपास्य हैं
4-“اشهدُ انّ محمد بنِ عبد اله ”
(अश्हदु अन्न मुहम्मद बिन अब्दे इलाह ”
अर्थ – मैं गवाही देता हूँ मुहम्मद सिर्फ अब्दुल्ला का बेटा था
5-“الصلوٖة ام الفساد ”
(अस्सलात उम्मुल फसाद ”
अर्थ – नमाज दंगों की जननी है
6-السلام اُمُّ الهند
(अस्सलामु उम्मुल हिन्द )
अर्थ -वन्दे मातरम
पाठक मित्र इस काशी की अजान को ध्यान से पढ़ें और याद करके अपने विचार कमेंट के रूप में ,प्रकट करें और इस अजान को सब को शेयर करें
(501)
डॉ राकेश कुमार आर्य
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।