Categories
आज का चिंतन

अज्ञानता का नाश कैसे किया जाये?

एक दिव्य जीवन कैसे बना जाये?
एक दिव्य जीवन शत्रुता रहित कैसे होता है?

एभिर्द्युभिः सुमना एभिरिन्दुभिर्निरुन्धानोअमतिंगोभिरश्विना।
इन्द्रेणदस्युंदरयन्तइन्दुभिर्युतद्वेषसः समिषारभेमहि।।
ऋग्वेदमन्त्र 1.53.4

(एभिः) इसके साथ (द्युभिः) प्रकाशित करने वाला ज्ञान (सुमनः) महान्, पवित्र तथा दिव्य मन बनो (एभिः) इनके साथ (इन्दुभिः) महान् गुणों के साथ (निरुन्धानः) रोक दो, बाधित करो (अमतिम्) अज्ञानता आदि (गोभिः) गाय आदि, ज्ञानेन्द्रियाँ (अश्विना) प्राणों का जोड़ा (इन्द्रेण) इन्द्रियों का नियंत्रण करके (दस्युम्) धूर्त मानसिकता को (दरयन्त) नष्ट करते हुए (इन्दुभिः युत द्वेषसः) बिना शत्रुता के (सम – रभेमहि से पूर्व लगाकर) (इषा) दिव्य प्रेरणाओं के साथ (रभेमहि – सम रभेमहि) प्रत्येक कार्य को प्रारम्भ करें।

व्याख्या:-
अज्ञानता का नाश कैसे किया जाये?
एक दिव्य जीवन कैसे बना जाये?

अज्ञानता का नाश करने के लिए गऊओं अर्थात् ज्ञानेन्द्रियों के साथ, प्राणों के साथ तथा अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण करके अपने जीवन और अन्य लोगों के जीवन में से धूर्त मानसिकता का नाश करके एक पवित्र, महान् और दिव्य मन का निर्माण करें जिसमें प्रकाशित ज्ञान और महान् शुभ गुण हों। शुभ गुणों के साथ ही अन्य लोगों से शत्रुता किये बिना हम एक दिव्य जीवन बन सकते हैं। अपना प्रत्येक कार्य दिव्य निर्देशों के साथ प्रारम्भ करो।

जीवन में सार्थकता: –
एक दिव्य जीवन शत्रुता रहित कैसे होता है?

दिव्य जीवन के लक्षणों को निम्न प्रकार से सूचीबद्ध किया जा सकता है:-
(1) प्रकाशित ज्ञान, (2) महान् शुभ गुण, (3) स्वस्थ भोजन ग्रहण करके अच्छा स्वास्थ्य, (4) प्राणों के जोड़े पर नियंत्रण, (5) इन्द्रियों पर नियंत्रण तथा (6) प्रत्येक कार्य दिव्य प्रेरणाओं के साथ प्रारम्भ करना।
ऐसा महान्, पवित्र और दिव्य जीवन अन्ततः शत्रुता मुक्त ही होगा। न तो उसका किसी के प्रति शत्रुता भाव होगा और न किसी का उसके प्रति शत्रुता भाव होगा।


अपने आध्यात्मिक दायित्व को समझें

आप वैदिक ज्ञान का नियमित स्वाध्याय कर रहे हैं, आपका यह आध्यात्मिक दायित्व बनता है कि इस ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचायें जिससे उन्हें भी नियमित रूप से वेद स्वाध्याय की प्रेरणा प्राप्त हो। वैदिक विवेक किसी एक विशेष मत, पंथ या समुदाय के लिए सीमित नहीं है। वेद में मानवता के उत्थान के लिए समस्त सत्य विज्ञान समाहित है।

यदि कोई महानुभाव पवित्र वेद स्वाध्याय एवं अनुसंधान कार्यक्रम से जुड़ना चाहते हैं तो वे अपना नाम, स्थान, वाट्सएप नम्बर तथा ईमेल 0091 9968357171 पर वाट्सएप या टेलीग्राम के माध्यम से लिखें।

अपने फोन मैं प्लेस्टोर से टेलीग्राम डाउनलोड करें जिससे आप पूर्व मंत्रो को भी प्राप्त कर सके।
https://t.me/vedas4

आईये! ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च शक्ति परमात्मा के साथ दिव्य एकता की यात्रा पर आगे बढ़ें। हम समस्त पवित्र आत्माओं के लिए परमात्मा के इस सर्वोच्च ज्ञान की महान यात्रा के लिए शुभकामनाएँ देते हैं।

टीम
पवित्र वेद स्वाध्याय एवं अनुसंधान कार्यक्रम
वाट्सएप नम्बर-0091 9968357171

Comment:Cancel reply

Exit mobile version