✍️मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
बीते रविवार को विपक्षी गठबंधन ने मुंबई के शिवाजी पार्क में अपना घोषणा-पत्र जारी किया था।
इस मौके पर राहुल गांधी ने कथिततौर पर शक्ति के खिलाफ लड़ने का बयान दिया। उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म में शक्ति शब्द होता है। हम शक्ति से लड़ रहे हैं, एक शक्ति से लड़ रहे हैं।”
विडम्बना देखिए कि यह बयान उस गांधी परिवार के चश्मेचिराग का है, जिसमें इंदिरा गांधी जैसी “शक्ति” पैदा हुई थीं। जिन्हें उनके धुरविरोधियों ने भी “दुर्गा शक्ति” कहकर सम्बोधित किया था।
भारतीय संस्कृति, सभ्यता और परम्पराओं में सदैव ही “शक्ति” की आराधना की गई है। सनातन संस्कृति में कहा जाता है कि “शिव बिना शक्ति के शव है”. यहां उल्लेखनीय है कि “शिव” का शाब्दिक अर्थ होता है “कल्याण”। अर्थात सनातन संस्कृति यह मानती है कि- “शक्ति के अभाव में प्राणिजगत का कल्याण असम्भव है”.
सनातन ही नहीं अपितु प्रत्येक धर्म/सम्प्रदाय में शक्ति का महत्व सर्वोपरि रखा गया है। जिस ईसाई धर्म से श्रीमान राहुल गांधी की पूजनीया माताश्री श्रीमति सोनिया गांधी आती हैं, उसमें भी मां मरियम का वर्णन “शक्ति” के रूप में ही आता है।
“शक्ति” के बिना तो संसार की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। यह शक्ति ही तो है जो जीवन देती है, दूसरे शब्दों में कहें तो “शक्ति” को जीवनदायिनी के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसीलिए तो सनातन संस्कृति में नारी जाति को “शक्ति” के रूप में परिभाषित किया गया है।
शास्त्रों में कहा गया है कि–
यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते, यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति) ।
अर्थात – “जहाँ नारी शक्ति की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं। और जहाँ नारी शक्ति की पूजा नहीं होती है, उनका सम्मान नहीं होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।”
राहुल गांधी शायद यह भी नहीं जानते कि शक्ति के विरुद्ध लड़ने वालों को राक्षस, असुर और दैत्य कहा जाता है।
महिषासुर, शुम्भ और निशुम्भ जैसे असुर और राक्षस इसी श्रेणी में आते हैं, इन सभी का संहार करने वाली मां जगदम्बा भी तो “शक्ति” स्वरूपा ही थीं।
अब यह तो श्री राहुल गांधी जी को तय करना होगा कि वह विपक्ष को असुरी सेना मानते हैं अथवा राक्षसों/दानवों का दल समझते हैं।
क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार देवताओं और मानवों ने तो सदैव “शक्ति” की आराधना की है, और आज भी कर रहा है, और सदैव करता ही रहेगा।
✍️समाचार सम्पादक, हिंदी समाचार-पत्र,
उगता भारत
👉यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं, इनसे आपका सहमत होना, न होना आवश्यक नहीं है।
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।