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Dr DK Garg
रामायण में भ्रांतियां पुस्तक से साभार ,
निवेदन: कृपया अपने विचार बताएं और शेयर करे।
एक प्रश्न है कि मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति पर सिन्दूर का लेप लगाते है। ऐसा क्यों है?
दरअसल हर मूर्खता,अज्ञानता के कार्य को वैज्ञानिक बताने और किसी न किसी किस्से कहानी से जोड़ने की प्रथा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आयी है और हिन्दू समाज हर तरह की दंत कथाओं पर अपनी संस्कृति को बचाने के नाम पर अपने को बाध्य समझता है।जबकि उसका कर्तव्य है कि यदि हिन्दू धर्म रूपी आभूषण में यदि कोई मैल आ रहा है तो सफाई करें।
प्रचलित कथा:
इस विषय में एक कथा सुनाई जाती है कि हनुमान जी ने सीता जी से पूछा कि माते आप सिन्दूर क्यों लगाती है? सीता माता ने उत्तर दिया कि भगवान राम की दीर्घायु के लिए सिन्दूर लगाती हूँ। यह सुनकर हनुमान जी ने कहा कि यदि सिन्दूर से भगवान की आयु दीर्घ होती है तो मैं पूरे शरीर पर सिन्दूर लगाऊँगा तब से अब तक हनुमान को सिन्दूर लग रहा है।
वैज्ञानिक विशलेषण:- ध्यान दें कि ये सिन्दूर सिर्फ मंदिर में ही पत्थर की मूर्ति पर ही क्यों लगाते है?जो व्यक्ति रामलीला में हनुमान जी का रोल करता है उसके शरीर पर सिंदूर क्यों नहीं लगाते?
दरअसल सिंदूर पारे से बनाया जाता है और जो भी इसको शरीर पर इस तरह लगाएगा उसकी मृत्यु निश्चिंत है। फिर हनुमान ऐसा क्यों करेंगे?
2यदि हनुमान जी की भी मृत्यु हुई है तो ये तर्क गलत सिद्ध होता है कि सिन्दूर लगाने से मृत्यु नही होगी।
3.बाल्मीकि रामायण में ऐसा कहीं नहीं लिखा है । रामायण काल 10000 वर्ष से ज्यादा का है। और
कवि तुलसी की काव्य रामायण 16 वीं शताब्दी मे लिखी गईं । जिसमें महाकवि तुलसी ने काव्य के माध्यम से अलंकार भाषा में उपमा दे देकर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है ।परंतु वहाँ भी हनुमान का अपने शरीर पर सिंदूर मलने का कोई उल्लेख नही है।
4.मेरा एक कर्मचारी हनुमान भक्त था और वह हनुमान की मुर्ति का सिंदुर उसने पुजारी की सलाह से चाटने लगा और वह कुछ दिन में पागल हो गया। नौकरी भी गई , हनुमान ने मदद नहीं की।
5.एक प्रमाण हनुमान चालीसा से दिया जाता है।
राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा।।
हनुमान के शरीर पर सिन्दूर लगाने की बात हनुमान चालीसा मे यहाँ भी नहीं मिलती है।
इस विषय पर आगे खोज की तो जवाब मिल ही गया।
1.विवाहित महिलाओ द्वारा माथे पर सिंदूर पति की उम्र बढ़ाने के लिए नही लगाया जाता ,इसके अन्य वैज्ञानिक कारण है।
2.माथे पर सिंदूर लगाने से पति की उम्र बढ़ेगी ,ऐसा कही भी वैज्ञानिक या आयुर्वेदिक साहित्य का प्रमाण नहीं मिलता है।
3 हनुमान के द्वारा शरीर पर सिंदूर लगाने का कोई प्रमाण बाल्मिकी रामायण में भी नही है।
4.इस प्रकार की कथाएं हमारे महापुरुष ,चारो वेदों के ज्ञाता ,भगवान राम के सेना नायक महावीर हनुमान को मुर्ख सिद्ध करने के अलावा और कुछ नही है।
5.हमारी त्वचा का रंग गोरा, लाल , कही ताम्बे की तरह लाल होता है। पूरी तरह से लाल तो नहीं है। लेकिन समय-समय पर त्वचा का रंग लाल होने में देर भी नहीं लगती जैसे गुस्से में लाल होना, धूप से लाल होना, चोट लगाने पर, तेल मालिश के समय आदि।
6.हनुमान का जन्म झारखण्ड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव में हुआ था।
चट्टानों की टूट-फूट और उनके भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन के फलस्वरूप जो अवशेष एक अलग रूप ग्रहण करता है, वह अवशेष ही मिट्टी कहलाता है। छोटानागपुर के पठारी भाग में मुख्यतः अवशिष्ट (Residual) प्रकार की मिट्टी पायी जाती है। यहाँ पाई जाने वाली मिट्टियों में विषमता रचना (Texture), रंग (Colour) तथा उर्वरता (Fertility) से संबंधित है। झारखण्ड की मिट्टियों में फेरिकऑक्साइड तथा बॉक्साइट का अंश अधिक रहता है, जिससे मिट्टियाँ अधिक लाल रंग की होती हैं। अधिकांश जगह ग्रेनाइट तथा नीस के कारण लाल मिट्टियाँ अलग-अलग रूपों में पाई जाती है। मिट्टियों में बालू का अंश ज्यादा रहता है।
राँची, देवघर,गोइडा, दुमका, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग जिले में नीस तथा ग्रेनाइट की बहुलता के कारण अधिकांश जगह मिट्टियों लाल रंग की पाई जाती हैं जबकि धनबाद, सिंहभूम की मिट्टियों में लाल एवं काली मिट्टी का मिश्रित रूप रहता है
हनुमान जी ब्रह्मचारी थे, तेल मालिश व्यायाम और पहलवानी भी करते थे।
पसीने के कारण शरीर पर मिट्टी चिपक जाती है और कभी कभी पहलवान भी पसीना ठंडा करने के लिए शरीर पर मिट्टी लगाते है ।
चूंकि उस क्षेत्र की मिट्टी का रंग लाल है। जो कि पसीना आने से शरीर से चिपक गई है ,इसलिए शरीर से चिपकी हुई लाल मिटटी सूर्य की किरण पड़ने के कारण ऐसा प्रतीत होने लगता है कि शरीर पूरा लाल है जिसको अलंकार की भाषा में ऐसा कहा गया की जैसे हनुमान ने शरीर पर लाल सिंदूर लगा लिया हो।
इस कहावत में तुलसी कवि ने उपमा अलंकार का प्रयोग किया है।
उपरोक्त कथन में सत्यता दिखती है जिसको आगे चलकर बिगाड़ दिया और सिंदूर की उपमा दे दी गयी। हनुमान जी एक विद्वान व्यक्ति थे, श्री राम की सेना के सेनानायक थे अतः उनका गलत चित्रण ठीक नही है।
हनुमान जी की पूजा का मतलब है कि हनुमान के आदर्श पर चले, व्यायाम करे,ब्रहमचारी बने ,शरीर मजबूत करें और अपने स्वामी के प्रति वफादारी बनें यदि उस पर कोई विपत्ति आए तो दिन रात उनका साथ दें।
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