Dr D K Garg
भाग 1
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चामुंडा माता के नाम से देश के विभिन्न राज्यों में मंदिर है। जिनमें हिमाचल प्रदेश ,राजस्थान ,उज्जैन , बिहार और गुजरात के मंदिर ज्यादा प्रसिद्व है। यहां चामुंडा नामक देवी की पूजा करते है और मन्नत मांगते हैं।
प्रचलित कथा और मान्यताये: दुर्गा सप्तशती में माता चामुण्ड़ा के नाम की उत्पत्ति कथा वर्णित है।कथा के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व धरती पर शुम्भ और निशुम्भ नामक दो दानवों का राज था।उनके द्वारा धरती व स्वर्ग पर काफी अत्याचार किया गया। दानवों को नष्ट करने के लिए देवताओ की आराधना के फल स्वरूप मां पार्वती ने अपने शरीर में से एक कुमारी कन्या को प्रकट किया। पार्वती जी के शरीर से प्रगट होने के कारण इस देवी का एक नाम कोशिकी भी पड़ गया। कोशिकी को शुम्भ और निशुम्भ के दूतो ने देख लिया शुम्भ और निशुम्भ ने अपना एक दूत देवी कोशिकी के पास भेजा कि शुम्भ और निशुम्भ तीनो लोकों के राजा है और दोनो तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहते हैं।
माता ने कहा कि मैं एक प्रण ले चुकी हूं कि जो व्यक्ति मुझे युद्ध में हरा देगा मैं उसी से विवाह करूंगी। यह सारी बाते दूत ने शुम्भ और निशुम्भ को बताई। तो वह दोनो कोशिकी के वचन सुन कर उस पर क्रोधित हो गये और शुम्भ और निशुम्भ ने दूत ने उसके केश पकड़कर उसे अपने साथ लाने के लिए आदेश दिया ।देवी के मना करने पर उन्होंने देवी पर प्रहार किया। तब देवी कौशिकी ने अपने आज्ञाचक्र भृकुटि (ललाट) से अपना एक ओर स्वरूप काली रूप धारण कर लिया और असुरों का उद्धार करके चण्ड ओर मुण्ड को संहार कर दिया।उन दोनो असुरो को मारने के कारण माता का नाम चामुण्डा पड गया।
भीलवाड़ा शहर के पास दूर पहाड़ियों पर स्थित मंदिर पर पैदल चलकर भक्त लोग आते थे। दर्शन का समय भी सूर्यास्त से पहले तक होता था. सुनसान होने के कारण सेवादार और पुजारी भी सूर्यास्त के बाद मंदिर में नहीं रुकते थे. अब यहां पक्की सड़क बन गई है।

देवी को अक्सर श्मशान घाटों या पवित्र अंजीर के पेड़ों के पास रहने के रूप में चित्रित किया जाता है। देवी की पूजा अनुष्ठानिक पशु बलि के साथ-साथ शराब की पेशकश द्वारा की जाती है। समाज में जागरूकता आने के कारण आजकल पशु बलि की प्रथा कम हो गई है ।
प्रमुख मान्यताएं :
१ .माता काली शक्ति और संहार की देवी है। जब-जब धरती पर कोई संकट आया है तब-तब माता ने दानवों का संहार किया है।
२.माता हर भक्त की मुराद पूरी करती है। यहां आने वाले भक्त अपनी मनोकामना दीवार पर लिखकर जाते हैं. किसी को नौकरी चाहिए या प्रेम विवाह करना हो, सभी यहां आकर अर्जी लगाते हैं. मंदिर की दीवारों पर ऐसी सैकड़ों अर्जियां लिखी हैं।

चामुंडा देवी विश्लेषण:
इसमें शत प्रतिशत संदेह है की बिना योग्यता और प्रयास के , मंदिर में अर्जी लगाने से नौकरी मिलेगी , मुकदमा जीत लेंगे आदि और देवी जी प्रेम विवाह करने में मदद करेंगी ,इस खोज को करने वाले को नमन ।
मंदिर मार्ग पर दिन छिपने के बाद सुरक्षा कारणों से प्रवेश बंद होने का मतलब है कि देवी जब अपने भक्ति रक्षा नही कर सकती ।
बताया जाता है कि जब पूरे विश्व पर संकट आते है तब देवी संकट दूर करती है तो फिर केवल भारत के गिने चुने राज्यों में ही देवी क्यों है? सच तो ये है की देवी जी के विषय में अन्य देशों में तो अता पता भी नही,मैने भी कुछ समय पूर्व सुना था।

आज पूरा विश्व युद्ध के कगार पर है और आतंक,भूकंप ,अपराध , कोरोना ,कैंसर आदि दिन रात बड़ रहे है।देवी जी और मंत्र पड़ने वाले मंदिर के पुजारी गहन निंद्रा में सोए है?
इस देवी की कई राज्यों में मंदिर है ,
क्या ये देवी ईश्वर की भांति सर्वव्यापक है ?
देवी के स्वरूप का अलंकरिक चित्रण: देवी का जो काल्पनिक स्वरूप दिखाया है ,दरअसल लगभग ऐसा ही चित्र अष्ट भुजी दुर्गा का है । इस स्वरूप का अलंकारिक विश्लेषण पूर्व में ही कर चुके है।

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