Categories
आओ कुछ जाने

रसूल की काबा तुड़वाने की इच्छा !

इस लेख के शीर्षक को पढ़कर लोग कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है ?लेकिन यह बात बिलकुल सत्य और प्रामाणिक है , सब जानते हैं की कुरान के बाद हदीसों को ही प्रमाण माना जाता है और उनकी संख्या कई हजार है अधिकांश मुस्लिम उनके नाम भी नहीं जानते इसलिए चालाक मौलवी मुसलमानों की इस अज्ञानता का फायदा लेकर तरह तरह के ऐसे फतवे देते रहते हैं जिस से मुसलमान भड़क जाएँ और देश में अशांति फ़ैल जाये , ऐसा ही फ़तवा कुछ दिन पहले दारुल देवबंद में दिया जिसका विषय गजवा तुल हिन्द है ,इसमें कहा था कि मुहमद की इच्छा भारत पर हमला करने की और भारत पर इस्लामी हुकूमत करने की थी ,इसलिए मुस्लिम यहाँ की काफिर सरकार को हटा कर इस्लामी राज कायम करने का जिहाद करें ,सामान्य मुस्लिम नहीं जानते कि यह मौलवी बड़े चालाक होते हैं और हदीसों से ऐसी हदीसें खोज निकलते है जिस से मुस्लिम भड़क जाये इसलिए हम मुसलमानों को बताना चाहते हैं की रसूल ने काबा को तोड़ने की भी इच्छा प्रकट की थी देवबंद के मुफ़्ती इसके बारे में फतवा देकर बताएं ,यह मुफ़्ती अगर गजवाये हिन्द की हदीस को मानते हैं तो उनको यह हदीस भी मानना चाहिए

1-रसूल की काबा को तोड़ने की इच्छा थी

(बुखारी की यह हदीस मूल अरबी हिंदी अंगरेजी अनुवाद सहित दी जा रही है )

“आयशा ने कहा कि रसूल ने मुझ से कहा कि मैं तुम्हें यह गुप्त बातें बता रहा हूँ ,फिर मेरे पूछने पर रसूल ने बताया कि आज भी लोग इस्लाम के पहले की जाहलियत भरी परम्परा से चिपके हुए हैं . मेरा इरादा है कि इस काबा को तुड़वा दिया जाए और इसमे दो दरवाजे बना दिए जाएँ ,एक अन्दर जाने के लिए और दूसरा बाहर जाने के लिए .इब्न जुबैर ने इस हदीस की पुष्टि की है ”

عَائِشَةُ تُسِرُّ إِلَيْكَ كَثِيرًا فَمَا حَدَّثَتْكَ فِي الْكَعْبَةِ قُلْتُ قَالَتْ لِي قَالَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم ‏ “‏ يَا عَائِشَةُ، لَوْلاَ قَوْمُكِ حَدِيثٌ عَهْدُهُمْ ـ قَالَ ابْنُ الزُّبَيْرِ بِكُفْرٍ ـ لَنَقَضْتُ الْكَعْبَةَ فَجَعَلْتُ لَهَا بَابَيْنِ باب يَدْخُلُ النَّاسُ، وَبَابٌ يَخْرُجُونَ ‏”‏‏.‏ فَفَعَلَهُ ابْنُ الزُّبَيْرِ‏.‏ ”

bn Az-Zubair said to me, “Aisha used to tell you secretly a number of things. What did she tell you about the Kaba?" I replied, "She told me that once the Prophet (ﷺ) said, 'OAisha! Had not your people been still close to the pre-Islamic period of ignorance (infidelity)! I would have dismantled the Ka`ba and would have made two doors in it; one for entrance and the other for exit.”

Reference : Sahih al-Bukhari 126
In-book reference : Book 3, Hadith 68
USC-MSA web (English) reference : Vol. 1, Book 3, Hadith 128
https://sunnah.com/bukhari:126

इस लेख के द्वारा हम लोगों को बताना चाहते है कि मुस्लिम मौलवी ,मुफ़्ती दोहरी नीति रखते है आधी बात छुपा देते है और अपने मतलब की बात प्रकट कर देते है , हमने गजवाये हिन्द के बारे में एक लेख पोस्ट किया था “रसूल की भारत सम्बन्धी भूतवाणी “यह हमारे लेख संख्या (200/136)का एक भाग है

(529)

बृजनंदन शर्मा

Comment:Cancel reply

Exit mobile version