शाहजहां के कारनामे और संदेशखाली का संदेश
कुलदीप चन्द अग्निहोत्री
पश्चिमी बंगाल के एक ग्राम नंदी ग्राम को उस गाँव के लोगों के सिवा कोई नहीं जानता था । लेकिन सारी दुनिया के वे लोग जो विश्व के सामाजिक आन्दोलनों में रुचि रखते हैं , नंदी ग्राम को जानते हैं । नंदी ग्राम के लोगों ने पश्चिमी बंगाल की कम्युनिस्ट सरकार की तानाशाही का विरोध लाठी गोली खाकर भी किया था । लम्बे अरसे से सरकार में बने रहने के कारण कम्युनिस्टें ने सर्वहारा की तानाशाही का अर्थ सीपीएम की तानाशाही ही समझ लिया था । लेकिन उस वक़्त नंदी ग्राम में तानाशाही के खिलाफ इस आन्दोलन का नेतृत्व तमाम ख़तरे उठा कर भी वह ममता बनर्जी कर रही थी जिसमें सीपीएम को अपदस्थ करके कोलकाता के राईटरज भवन पर कब्जा किया था । उस वक़्त सत्ता के नशे में मदहोश कम्युनिस्ट नंदी ग्राम के संदेश को पकड़ नहीं पाए थे । इसका एक कारण यह भी था कि उनका सम्बध प्रदेश की आम जनता से टूट चुका था ।
लगता है बंगाल में इतिहास एक बार फिर अपने आप को दोहराने के मुहाने पर आ गया है । जिला
चौबीस परगना का संदेशखाली, जो सरकार चला रही तृणमूल कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, पिछले लगभग एक मास से सुर्खियों मे है । सुर्खियों में रहने का कारण तृणमूल कांग्रेस के एक बड़े नेता शाहजहाँ शेख के व्यवहार से हुआ लेकिन जब ज्वालामुखी फटा तो उसके नीचे से शाहजहाँ द्वारा बनाया गया ऐसा नर्क सामने आया जिससे किसी का भी दम घुटने लगे । शाहजहाँ तृणमूल कांग्रेस का नेता है और पार्टी की ओर से जिला परिषद का निर्वाचित सदस्य है । उसके अनेक प्रकार के धन्धे हैं । उनमें से एक मनी लांड्रिंग का भी है । मनीलांड्रिंग का अर्थ है काले धन को सफ़ेद करना । यानि नाजायज़ साधनों से प्राप्त नाजायज़ काले धन को सफ़ेद बनाना । हिन्दी वाले इसे धन शोधन कहते हैं ,यानि धन को शुद्ध करना । पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने मनी लांड्रिंग के मामलों को लेकर उसके घर छापा मारा था । अलबत्ता जब ईडी के बड़े अधिकारी शाहजहाँ शेख के घर पहुँचे तो उसने उनके स्वागत के लिए पुराने मुगल बादशाह शाहजहाँ की तरह की ही व्यवस्था कर रखी थी । उसके लोगों ने ईडी के अधिकारियों को घेर लिया और दौडा दौड़ा कर पीटा । किसी की यह हिम्मत कि शाहजहाँ के महल पर छापा मारे ? ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी की पुलिस भी शाहजहाँ शेख को मुगल बादशाह शाहजहाँ ही समझ रही थी । पुलिस ने ईडी के अधिकारियों की मदद करने की बजाए उन पर हमला कर रही शाहजहाँ की सेना की ही मदद करनी शुरु की । इतना ही नहीं ईडी के अधिकारियों पर केस दर्ज कर दिया कि उन्होंने शाहजहाँ के महल में चोरी की है । पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आग उगलनी शुरु कर दी । उनके लिए यह जरुरी था क्योंकि उनके आसपास के लोग उन्हें अग्निकन्या कहते हैं । अग्निकन्या का कहना था कि केन्द्र सरकार उनकी पार्टी के लोगों को बिना कारण के तंग कर रही है । लेकिन शाहजहाँ शेख इतना मूर्ख नहीं था । वह समझ गया था कि अग्निकन्या को अन्दाज़ा नहीं कि मामला ज्यादा बढ़ गया है । अब वह ममता बनर्जी की छत्रछाया में रहकर भी बच नहीं पाएगा । मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है । इसलिए वह संदेशखाली में अपना महल और सिंहासन छोड़ कर भाग निकला । अब भाग निकला या पुलिस ने ही भगा दिया , यह अपने आप में अलग जाँच का विषय है । वैसे ममता की पुलिस का कहना है कि वह उसे तलाश करने में आकाश पाताल एक कर रही है ।
जब वहाँ के लोगों को यक़ीन हो गया कि शाहजहाँ शेख अपनी खाल बचाता घूम रहा है तो उनमें भी अपना दर्द बयान करने का साहस आ गया । लेकिन जब वहाँ की औरतों ने अपना दर्द बयान करना शुरु किया तो सचमुच भूकम्प आ गया । उनका कहना था कि तृणमूल के कार्यकर्ता बाक़ायदा घरों में जा जाकर सर्वे करते हैं । पहली नज़र में कोई भी समझेगा कि इसमें क्या बुरा है
। सरकार अपनी लोक कल्याणकारी योजनाओं को असली ग़रीबों तक पहुँचाने के लिए यदि सर्वे कर रही है तब तो इसका स्वागत ही होना चाहिए । लेकिन पता चला की शाहजहाँ के कार्यकर्ता कल्याणकारी योजनाओं के लिए सर्वे नहीं कँपते बल्कि परिवारों में सुन्दर विवाहित/अविवाहित औरतों की तलाश में सर्वे करते हैं और जहाँ से भी सुन्दर औरत मिलती है , उसको उठाकर ले जाते हैं और सामूहिक बलात्कार करते हैं । उनका अपहरण करते हैं । कई परिवार तो शाहजहाँ के इस सर्वे के आतंक से अपनी युवा लड़कियों को बाहर रिश्तेदारों के पास भेजने लगे थे । यह भी आरोप लग रहे हैं कि इस सर्वे का शिकार हिन्दु लड़कियाँ ही होती थीं । इतने साथ सामूहिक बलात्कार होता था । इनके पतियों को या तो भगा दिया जाता था या फिर उन्हें वक़्त से समझौता करना पड़ता था । और उस मामले में उस वक़्त का नाम शाहजहाँ था । इतना ही नहीं लड़कियों को उठा लेने के बाद धीरे धीरे उनकी जमीन जायदाद पर भी कब्जा कर लिया जाता था । उन सब के लिए संदेश खली एक जीता जागता दोजख बन गया था । यह शाहजहाँ की वह ‘सरकार’ थी जहाँ हिन्दु औरतों को सैक्स के लिए दास बना लिया गया था । लगता है सत्ता के लालच में उन्होंने बंगाल के कुछ हिस्सों की ठेकेदारी कुछ शाहजहाँ जैसे ठेकेदारों को सौंप रखी है जो अपने इलाक़े की एक मुश्त वोटें ‘अग्निकन्या’ को दिलवा दें , उसके बाद वे अपनी ‘रिआया’ के साथ वह सब कुछ करें जो शाहजहाँ और उसकी सर्वे टीम संदेशखली में कर रही है ।
लेकिन ममता बनर्जी के लिए इन चीज़ों का कोई अर्थ नहीं है । वे संदेशखली को इस प्रकार देख रही थी जिस प्रकार कभी सीपीएम नंदी ग्राम को देखा करता था । वे संदेशखली की औरतों की पीड़ा या तो समझ नहीं पाई या फिर सत्ता के अहंकार में समझना नहीं चाहतीं । ध्यान रखना चाहिए कि संदेशखाली कोलकाता से महज़ 70 किलोमीटर दूर है । कोलकाता की नाक के नीचे “शाहजहाँ” ने वहाँ की महिलाओं के लिए जितना भयंकर नर्क तैयार किया हुआ था , वह सरकारी मशीनरी की प्रत्यक्ष – परोक्ष सहायता के बिना सम्भव नहीं है । पता चला है पुलिस यौन शोषण के प्रत्यक्ष गवाह माँग रही है । ममता बनर्जी ने संदेशखली की इन महिलाओं को सबक़ सिखाने की सोची । इन औरतों की इतनी हिम्मत की तृणमूल के “शाहजहाँ” को ललकारें । इसलिए ममता ने संदेशखली में किसी के भी जाने पर ही पावन्दी लगा दी । धारा 144 लगा दी । यानि तगड़ा मारे भी और रोने भी न दे । पत्रकारों को रोका ही नहीं गया बल्कि उनको कैमरों के सामने ही गिरफ्तार कर लिया । पश्चिमी बंगाल विधान सभा में विपक्ष के नेता शुभेन्दु अधिकारी को संदेशखाली जाने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट जाना पड़ा । न्यायालय के दख़लन्दाज़ी के बाद शुभेन्दु अधिकारी वहाँ पहुँचे तो पीड़ित महिलाएँ विलख विलख कर होने लगीं । भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा० सुकान्त मजूमदार को पुलिस ने बन्दी बना लिया । ममता की सरकार इतनी निर्मम हो गई है कि न तो उसे पीड़ित शोषित महिलाओं की चीख़ें सुन रही हैं और न ही वे किसी और को उनकी सहायता के लिए जाने देना चाहती हैं । रहा प्रश्न बंगाल के नए ‘शाहजहाँ’ का , कहा जाता है वह पुलिस की पकड़ से बाहर है । यह भी कहा जा रहा है कि सरकार ने क़ानून के लम्बे हाथ ही काट दिए हैं ताकि वे इस नए शाहजहाँ तक न पहुँच पाएँ । कोलकाता का उच्च नायायालय हैरान है कि शाहजहाँ पकड़ में क्यों नहीं आ रहा ।