होली खेल गये हुलियारे लेखक = स्वामी भीष्म जी महाराज
होली खेल गए हुलियारे।
ऐसी होली खेली जगत में बजा वेद का ढोल गए।।
सोतों को दिया जगा एक दम खोल पोप की पोल गए।
भारत नैया डूब रही थी इसको गए लगा किनारे-॥1॥
लाहौर में कई देहली में ऐसी खेल गए होली।
किसी ने खाया छुरा पेट में किसी ने सीने में गोली।।
लाखों आर्य धर्म की खातिर दे गए निज प्राण पियारे-॥2॥
कोई होली का कौर खेल गए कोई असेम्बली में देहली।
रास बिहारी और सुभाष ने सारी बला सिर पर ले ली।।
मशीनगन के आगे डटकर भारतीय वीर ललकारे-॥३॥
लक्ष्मीबाई होली खेलने सिर के खोलकर बाल चली।
मुख में घोड़े की लगाम और बांध कमर से लाल चली।।
अंग-अंग पर घाव लगे पर अंग्रेज सैकड़ों मारे-॥4॥
वीर पंजाबी जलियां वाले बाग में होली खेल गए।
खुदीराम से बंगाली अंग्रेज पै बम बगेल गए।।
महावीरों की होली देखकर अंग्रेज दहल गए सारे-॥5॥
इनकी होली देखों कीच गोबर डाले और नाच रहे।
हार जूतियों का गल में है बनके जनाने नाच रहे।।
निर्लज्जों को लाज नहीं है “भीष्म” क्या करें विचारे-॥6॥
स्वामी भीष्म जी महाराज का युवावस्था का दुर्लभ फोटो
जिसकी चर्चा स्वामी ओमानंद जी महाराज ने अपने संस्मरणों में कर रखी है।