ललित गर्ग
बिहार की राजधानी पटना में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बयान कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास परिवार ही नहीं है। वो हिंदू नहीं हैं। हिंदू अपनी मां के श्राद्ध में दाढ़ी-बाल बनवाता है। मोदी की माताजी का जब देहांत हुआ तो उन्होंने बाल-दाढ़ी क्यों नहीं बनवाया? इस तरह के बेतूके, आधारहीन एवं अमर्यादित बयान के विरोध में पूरी भारतीय जनता पार्टी उतर आई है। अब भाजपा और विपक्षी दलों के बीच ’परिवारवाद’ के मुद्दे पर वार-पलटवार जारी है। मोदी के परिवार एवं विपक्षी दलों के परिवारवाद को लेकर बड़ी बहस चल रही है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को विपक्ष के एक आरोप ‘चौकीदार चोर है’ का भारी लाभ मिला था, तब भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान चलाया था। उसी तरह वर्ष 2024 के आम चुनाव से पूर्व ’मोदी का परिवार’ अभियान शुरू कर दिया है, जिसका भाजपा को भरपूर लाभ मिल सकता है, विपक्षी दलों की इस भूल के कारण भाजपा न केवल 370 सीटों के लक्ष्य को हासिल करेंगी, बल्कि उनका गठबंधन 400 से पार जायेगा। निश्चित ही चुनाव का समय बहुत संवेदनशील होता है, जिसमें विवादित एवं व्यक्तिगत बयानों से बचना जरूरी होता है। विशेषतः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी चुनावी रणनीति से भड़के कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव एवं विपक्षी दलों के नेता अपनी जुबान संभाल नहीं पा रहे। जैसे-जैसे मोदी एवं भाजपा का चुनावी अभियान तीक्ष्ण, उग्र एवं नियोजित होता जा रहा है, वैसे-वैसे उनके प्रति विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की बौखलाहट बढ़ती जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने परिवार ना होने को लेकर विपक्ष के हमले पर पलटवार करते हुए सोमवार को पूरे भारत को अपना परिवार करार दिया और अपने जीवन को एक खुली किताब बताते हुए कहा कि लोगों की सेवा करने के सपने के साथ उन्होंने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया था। लगता है मोदी के परिवारवादी राजनीति के बयानों का विपक्ष के पास कोई प्रभावी जबाव नहीं है, तभी ऐसे बचकाने बयानों से दूषित राजनीति करने से विपक्षी दल स्वयं को बचा नहीं पा रहे हैं, दूसरी ओर मोदी ने ऐसे राजनेताओं एवं राजनीतिक दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं एवं दलों के अलग-अलग चेहरे हो सकते हैं, लेकिन झूठ और लूट का उनका चरित्र समान है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मां की मृत्यु पर मुंडन न कराने के लालू के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण में आकंठ डूबे इंडी गठबंधन के नेता बौखलाते जा रहे हैं। मोदी निश्चित रूप से एक बड़े 140 करोड़ लोगों के परिवार से जुडे हुए हैं। देश की जनता के सामने मोदी का जीवन खुली किताब जैसा है। देशवासी मोदी को भली-भांति जानते हैं, समझते हैं। उनकी पल-पल की खबर रखते हैं। देर रात तक अगर मोदी काम करते है तो देश से लाखों लोग उन्हें इतना काम नहीं करने एवं कुछ आराम करने की सलाह देते हैं, यह प्यार है मोदी परिवार का उनके प्रति। निश्चित ही मोदी एक सपना लेकर बचपन में घर छोड़ा था। वे देशवासियों के लिये जीने का एक सपना लेकर चले थे। मोदी का कोई निजी सपना नहीं है, देश एवं देशवासियों के सपने ही उनके संकल्प हैं। इसलिए देश के 140 करोड़ लोग ही उनका परिवार हैं, जिसमें युवा, बेटियां, बुजुर्ग सभी हैं। जिनका कोई नहीं है, उनके मोदी हैं। मेरा भारत मेरा परिवार, इसी भावना का विस्तार लेकर वे सपनों को सच के साथ सिद्ध करने के लिए जी रहे हैं। पूरा देश मोदी का परिवार है। भाजपा के बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया एक्स पर अपने नाम के आगे लिखा- ‘मोदी का परिवार’ लिखने का एक महा-अभियान शुरु कर दिया है, जो विपक्षी दलों के लिये भारी पड़ने वाला है।
चुनाव के माहौल में विपक्षियों के बयान को भाजपा ऐसा मुद्दा बना लेती है, जिससे खुद विपक्षी नेता घिरते नजर आते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में रफाल की डील को लेकर जब राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ कहा तो भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार’ की ऐसी मुहिम चलाई कि वह विपक्ष पर ही भारी पड़ी। लालू के बयान के बाद अब ‘मोदी का परिवार’ मुहिम को भाजपा उसी तरह फोकस कर रही है। भाजपा नेताओं के मुताबिक, यह पूरी मुहिम चुनाव प्रचार के दौरान भी दिखाई देगी। यह अभियान चुनाव तक जारी रहेगा। भाजपा कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन पर परिवारवाद को लेकर निशाना साधती रही है। हाल ही में हुए भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी गृहमंत्री अमित शाह ने परिवारवाद को लेकर विपक्ष पर खूब तंज कसा था। लोकसभा के आखिरी सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने परिवारवाद क्या है, इसकी पूरी परिभाषा ही दे डाली थी। अब जब लालू यादव का मोदी को लेकर बयान आया तो भाजपा परिवारवाद पर और उग्र हुई है।
नरेन्द्र मोदी के दर्शन, उनकी व्यापक सोच, उनके विकासमूलक कार्यक्रमों, उनके व्यक्तित्व, उनकी बढ़ती ख्याति व उनकी कार्य-पद्धतियां पर विपक्षी दल एवं उनके नेताओं द्वारा कीचड़ उछालने की हदें पार हो रही हैं, उनके खिलाफ अमर्यादित भाषा का उपयोग हो रहा हैं, चुनावी सभाओं एवं चर्चाओं में भाषा की मर्यादा बिखर रही है, लेकिन मोदी ने अपने उद्बोधन में भाषा की मर्यादा को कायम रखते हुए कडवे सच एवं यथार्थ को भी शालीनता एवं सहजता से परोस रहे हैं। विपक्ष के बेतूके बयानों एवं आरोपों से चुनावी परिदृश्य पल-पल बदलते हुए भाजपा की जीत को सहज बना रहे हैं। देखा जाये तो प्रधानमंत्री ने समूचे देश को अपना परिवार कहकर विपक्ष के बुने जाल में फंसने के बजाय उसके इरादों पर पानी फेर दिया कि ऐसे अशालीन एवं बचकाने बयानो से उन्हें हराया नहीं जा सकता। उनके इस कथन का कोई मतलब है तो यही कि विपक्ष जो कुछ कहने और सिद्ध करने की कोशिश कर रहा है, उसमें कोई दम नहीं। क्या अब भी विपक्ष मोदी को निशाना बनाने से परहेज करेगा, राहुल गांधी, लालू एवं विपक्ष अपनी ऐसी ही बेवकूफी से अपनी ही जड़े खोद रहा है। क्योंकि मोदी को निशाना बनाने की राजनीति विपक्ष के लिये हमेशा नुकसानदायी रही है, मोदी अधिक चमके हैं, अधिक सशक्त बने हैं। इसका जबाव भी मोदी ने ही दिया कि भारतीय समाज नकारात्मकता को सहन कर लेता है, स्वीकार नहीं करता है।’ आज जैसे बुद्धिमानी एक ”वैल्यू“ है, वैसे ही बेवकूफी भी एक ”वैल्यू“ है और मूल्यहीनता के दौर में यह मूल्य काफी प्रचलित है। लेकिन आज के माहौल में इस ”वैल्यू“ को फायदेमंद मानना राजनीति की एक अपरिपक्वता एवं नासमझी ही कही जायेगी। कांग्रेसी नेताओं एवं अन्य दलों के नेताओं की फिसली जुबान ने भाजपा को संजीवनी ही मिल रही है।
मोदी का जहां तक संबंध है, विपक्ष के आरोपों को उन्होंने हमेशा बहुत गंभीरता से लिया है, उनके आहत मन को उनकी चुटकियों और उक्तियों में समझा जा सकता है। अपशब्दों और आरोपों से वह आहत है और उन्होंने यह भी छिपाया नहीं। उन्होंने अपनी ओर से भी शालीनता से सुनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। विपक्ष परिवार एवं परिवारवादी राजनीति के शोर के साथ विरोध में जुट रहा है, मोदी देश की असंख्य जनता के दिलों में जगह बनाने में कामयाब हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि ‘ये लोग तो अपने और अपने लोगों के लिए जी रहे हैं, लेकिन मोदी देश के 25 करोड़ परिवारों का सदस्य है। मेरे लिए 25 करोड़ परिवार ही सुरक्षा कवच हैं, जिसे आप इन शस्त्रों से कभी भेद नहीं सकते।’ यह एक तरह से विपक्ष की ओर इशारा भी है कि हमले की उसकी तैयारी मुकम्मल नहीं है, निस्तेज एवं आधारहीन आरोपों की विपक्षी संस्कृति उसके लिये ही नुकसान का कारण बनती रही है। प्रधानमंत्री के जवाब ने बता दिया कि मजबूत सत्ता पक्ष के सामने बिखरे हुए विपक्ष की मंजिल अभी दूर है।