हम सनातन, हम सनातन,
युगों-युगों से इस धरा पर,
बस बचे हैं हम यहाँ पर,
हम अधुनातन हम पुरातन।
सृष्टि का आगाज हम हैं,
कल भी थे और आज हम हैं,
सहस्त्रों वर्षों की कहानी,
दुनिया भर में है निशानी।
विश्व भर से ये कहेंगे,
हम रहे हैं, हम रहेंगे
अपनी जिद पर हम अड़े हैं।
हिमालय जैसे हम खड़े हैं,
वेद हम पुराण हम हैं,
सृष्टि का प्रमाण हम हैं,
मंत्र व ऋचाएं हम हैं
ग्रंथ व गाथाएं हम हैं।
इस धरा पर सब हैं अपने,
इतना ही हम जानते हैं,
पूरा जग परिवार इक है,
बस यही हम मानते हैं।
विश्व बंधुत्व की गाथाएं,
हम सदा से गाते आए,
सत्य और न्याय हेतु,
हाथों में ध्वजा उठाएं।
साहस शांति सद्गुण का,
सर्वत्र फैला प्रकाश हम हैं,
सर्व हितकारी भाव लिए
अनंत असीम आकाश हम हैं।
देव लोक हो कहीं भी,
उसे भू पर उतार लाएं।
मानवता के त्राण हेतु,
इस धरा को स्वर्ग बनाएं।
विश्व के कल्याण हेतु
भले हमारे प्राण जाएं।
अस्थि-दान देने वाले
दधीचि इस धरा ने पाए।
इस जगत का सार ये है,
मिथ्या सब संसार ये है,
दृष्टि जहाँ भी रही है,
माय है जो दिख रही है।
जीवन दर्शन के प्रणेता
विभिन्न विषयों के अध्येता
विश्व ने माना हमेशा
ज्ञान के हम रहे हैं नेता
प्रार्थनाओं में हमने,
विश्व का कल्याण मांगा,
यश व धन नहीं हमने,
मुक्ति और निर्वाण मांगा।
– डॉ. शैलेश शुक्ला, मझगवाँ, पन्ना, मध्य प्रदेश