मानव स्वास्थ्य, स्वच्छता और पर्यावरण
जिसने है खुद को स्वच्छता से जोड़ा।
उसने हरेक बीमारी से नाता है तोड़ा।।
स्वच्छता मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। मानव को मानवता की ओर ले जाने का श्रेय स्वच्छता को जाता है क्योंकि यदि मानव के जीवन से स्वच्छता नामक विषय को निकाल दिया जाए तो वह पशु की श्रेणी में गिना जाता है।
शास्त्रों में मानव जीवन से संबंधित चार सुखों की चर्चा की गई है-
पहला सुख निरोगी काया,
दूजा सुख घर में माया।
तीजा सुख सुत आज्ञाकारी,
सुख चौथा पतिव्रता नारी।।
उपरोक्त पद्यांश में मानव जीवन का पहला सुख निरोगी काया बताया गया है।
परंतु प्रश्न उत्पन्न होता है कि निरोगी काया का संबंध स्वच्छता से किस प्रकार जोड़ा गया है?
इस विषय को गहराई से समझने के लिए हमें संस्कृत भाषा की शरण में जाना पड़ेगा।
संस्कृत में इस विषय को बड़े विस्तार से समझाया गया है- शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम् अर्थात् जीवन का संपूर्ण कार्य करने का एकमात्र साधन शरीर ही है।
कहने का अभिप्राय है कि बिना स्वस्थ शरीर के मानव दुनिया का कोई कार्य नहीं कर सकता, जब तक वह अपने जीवन में स्वच्छता को जीवन का एक अभिन्न अंग नहीं बनाएगा, तब तक मानव स्वस्थ नहीं रह सकता।
स्वच्छता के विशेष महत्व को ध्यान में रखते हुए हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी द्वारा शास्त्रीजयंती (२अक्तूबर) के पावन अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान आंदोलन की शुरुआत की गई क्योंकि स्वच्छता से ही पर्यावरण तथा मानव का स्वास्थ्य अच्छा हो सकता है। पर्यावरण तथा मानव का स्वास्थ्य दोनों को दूषित होने से बचाने का एकमात्र साधन है- स्वच्छता।
प्रधानमंत्री जी ने सभी देशवासियों से आग्रह किया कि जैसे हम प्रतिदिन अपने तन तथा घर की नियमित साफ-सफाई करते हैं, ठीक उसी तरह हम अपने उस स्थान की साफ-सफाई का भी ध्यान रखें, जहां हम पढ़ते या काम करते हैं तथा अपने घर की ही भांति हम अपने समाज की सुरक्षा व स्वच्छता का पूर्ण निर्वहन करें।
स्वच्छता के बारे में मराठी भाषा में बड़ी ही सुंदर सूक्ति कहीं गई है- माझा कचरा माझी जिम्मेदारी।
यह सूक्ति प्रत्येक मानव को उपदेश देती है कि जो मनुष्य जाने-अनजाने में समाज को दूषित करते हैं, उसी मनुष्य का उत्तरदायित्व है कि वह अपने द्वारा फैलाई गंदगी को साफ कर स्वयं तथा अपने समाज को स्वस्थ रखने में अपनी भूमिका निभाए।
हम सबको स्वच्छता को है अपनाना
क्योंकि समाज को है स्वस्थ बनाना।।
वस्तुतः स्वच्छता की जिम्मेदारी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति अथवा किसी एक व्यक्ति विशेष की नहीं है क्योंकि समाज सबका है, इसको स्वच्छ रखने का उत्तरदायित्व भी सब नागरिकों का है।
स्वच्छता अपनाने का नारा लगाते हैं सब।
यह तो बताओ इसे जीवन में धारोगे कब।।
संत तुलसीदास जी ने स्वरचित रामचरितमानस में बड़ी ही सुंदर बात चौपाई के अंश में कही है- पर उपदेश कुशल बहुतेरे अर्थात् दूसरे को उपदेश देने या आदेश देने में सब बहुत ही दक्ष होते हैं परंतु उसी उपदेश को अपने जीवन में स्वयं धारण करने वाले लोग नाममात्र अर्थात् बहुत कम ही मिलते हैं इसीलिए विद्वानों का कहना है कि जो बात हम दूसरे को सिखाना चाहते हैं, पहले वह बात या वह विषय हम अपने जीवन में धारण करें।
मंच से जब प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छ भारत अभियान का नारा बुलंद किया, तब भारत के नागरिकों ने बडी तत्परता व आनंद के साथ स्वच्छता को आत्मसात् किया।
आज प्रत्येक भारतीय स्वच्छता के विषय को अपने जीवन में धारण ही नहीं कर रहा है अपितु अपने इष्ट मित्रों तथा पड़ोसियों को भी स्वच्छता से होने वाले लाभों के बारे में बताकर इस अभियान से जोड़कर स्वयं को तथा समाज को उन्नति के पथ पर अग्रसरित करने का हर संभव प्रयास कर रहा है।
हम भारतीय लोग बड़ी आत्मीयता के साथ शास्त्रों के विचारों को स्वीकार करते हैं। हम सब विश्वबंधुत्व की भावना को महत्व देते हुए शास्त्रों के विचारों को मानते हैं। कहा है-
अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम्।
उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम्। ।
हम भारतीय संपूर्ण पृथ्वी को अपना परिवार मानते हुए सब मनुष्य तथा अन्य जीवों के हित का ध्यान रखते हुए न केवल स्वयं स्वच्छता को अपनाते हैं अपितु दूसरों को भी स्वच्छता की ओर प्रेरित करते हैं।
आज स्वच्छता को अपनाने के कारण ही हम भारतीय कोरोना नामक वायरस से बच पाए हैं।
कोरोनावायरस के आरंभ में जिन देशों ने भारत के बारे में कहा था कि मई माह आते-आते भारत की आधे से ज्यादा जनता इसकी चपेट में आ जाएगी, परंतु हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व तथा सबका स्वच्छता, 2 गज दूरी, मास्क पहनना आदि बातों को ध्यान में रखने के कारण हम भारतीय अन्य समृद्ध देशों की अपेक्षा पूर्णतः स्वस्थ एवं सुरक्षित हैं और जो देश हमें सुझाव दे रहे थे, वे आज हमारे सामने कोरोनावायरस की दवा लेने के लिए हमारे ही सामने झोली पसारे नजर आ रहे हैं।
यह बड़े गर्व का विषय है कि हमने इस विषम परिस्थिति में स्वयं को भी संभाल कर रखा है और दूसरे कमजोर देशों की मदद के लिए भारत सबसे आगे खड़ा नजर आ रहा है।
यह सब कब हो पा रहा है? जब हम सब ने स्वच्छता की ओर पूरा ध्यान दिया ।
एक कदम बड़े स्वच्छता को
सब पा जाएं स्वस्थता को।
दूर रहेंगी बीमारियां सबसे
मिल जुल कर बात करें सबसे।।
अंत में यही कामना कहना चाहता हूं कि स्वच्छता ही मानव को मानवता की सीख पढ़ाती है जब दुनिया का प्रत्येक मानव स्वच्छता को जीवन में धारण कर लेगा तब यह धरती स्वर्ग में बन जाएगी ।
हर मानव जब अपनाएगा यह स्वच्छता
तब सच्चे अर्थों में कहलाएगी परिपक्वता,
ना रहेगा कहीं कोई रोगी सब बनेंगे योगी
सब होंगे सुखी ना होगी कोई जटिलता।
स्वच्छता से पर्यावरण एवं स्वास्थ्य की सुरक्षा
यह नियम यामें तो उत्तीर्ण हो हर एक परीक्षा।।
अंत में यही कहना चाहूँगा कि जब हम सब स्वच्छता को अपनाएंगे तब हमारा पर्यावरण शुद्ध तथा सुरक्षित होगा और तभी प्रत्येक मानव उत्तम स्वास्थ्य व नीरोगता को पाकर जीवन भरपूर आनंद लेते हुए जीवन यापन कर सकेगा।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्भाग्भवेत्।।
योगेंद्र शास्त्री निर्मोही