विदेश से आए प्रतिनिधि मंडल ने किया डी ए वी कॉलेज का दौरा : मुनेंद्र नाथ वर्मा पुस्तकालय का किया उद्घाटन

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यहां स्थित डी0ए0वी0 कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन में उपस्थित हुए विदेशी प्रतिनिधिमंडल के द्वारा दौरा किया गया। इस अवसर पर डी0ए0वी0 कॉलेज के प्रबंधन तंत्र की ओर से विदेशी प्रतिनिधिमंडल के विद्वान सदस्यों का विदाई समारोह के रूप में अभिनंदन भी किया गया। इस अवसर पर विद्यालय की रेक्टर श्रीमती संगीता संपत के द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए सभी विदेशी अतिथियों का वाचिक सत्कार किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए नेता डॉ. उदय नारायण गंगू ने कहा कि भारत की वैचारिक संपदा पर मॉरीशस का उतना ही अधिकार है जितना भारत के लोगों का है। हम अपने विदेशी अतिथियों को अपने बीच पाकर गदगदड़ हैं ।
इस अवसर पर बोलते हुए सुप्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपनी प्रस्तुति एक बहुत ही सुंदर गीत के माध्यम से दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में डी0ए0वी0 संस्थाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिससे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को वैश्विक विरासत बनाने में बहुत अधिक सफलता प्राप्त हुई है। इस अवसर पर ब्रिटेन से उपस्थित रही डॉ. अरुणा ने अपने संदेश में कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज की चिंतन धारा को महात्मा हंसराज जी के द्वारा डी0ए0वी0 संस्थाओं के माध्यम से प्रसारित करने का संकल्प लिया गया। मुझे बहुत खुशी है कि इस विचारधारा और संकल्प यात्रा को आगे बढाते हुए मॉरीशस में ये संस्थान महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

जबकि सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ मृदुल कीर्ति ने अपने संदेश में कहा कि वेद और वैदिक संस्कृति ही संसार को वास्तविक शांति का बोध कराने में सफल हो सकते हैं। इसलिए आज डी0ए0वी0 संस्थाओं के माध्यम से हमें वैदिक संस्कृति के साथ जुड़कर चलने की आवश्यकता है। इसी से भारत की वैश्विक विरासत को एक पहचान मिल सकती है। इस अवसर पर मुनेंद्र नाथ वर्मा पुस्तकालय का उद्घाटन भी किया गया। जिसे रविंद्र नाथ टैगोर यूनिवर्सिटी भोपाल से उपस्थित रहे वहां के वाइस चांसलर श्री संतोष चौबे द्वारा संपन्न किया गया। अपने महत्वपूर्ण संबोधन में डॉ0 चौबे ने कहा कि पुस्तक व्यक्ति का निर्माण करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पुस्तकों के माध्यम से हम ज्ञान के खजाने को ज्ञान की गंगा के रूप में छात्र-छात्राओं के मन मस्तिष्क में बहाने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं । उन्होंने वैदिक साहित्य की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि वेद का संदेश ही मानवता को बचा सकता है और इसके माध्यम से ही हम वैश्विक शांति स्थापित कर सकते हैं। इसलिए इन संस्थानों में वैदिक साहित्य का प्रचलन होना हम सबके लिए गर्व और गौरव का विषय है।
इस विदाई समारोह कार्यक्रम में संस्थान के प्रबंधन तंत्र के साथ-साथ अध्यापक अध्यापिकाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और जीत की सुंदर प्रस्तुति देकर विदेशी अतिथियों का अभिनंदन किया। महान साहित्यकार श्री मुनेंद्र नाथ वर्मा के सुपुत्र बैरिस्टर यतिन वर्मा ने इस अवसर पर सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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