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आज का चिंतन

युग प्रवर्तक महर्षि दयानन्द जी की 200वी जयंती के संदर्भ में-

           'विशेष शेर'

दयानन्द इस चमन का,
खिलता गुलाब था।
ज्ञान और तेज का,
वह आफत़ाब था ।।
करता रहा जिन्दगी में,
मुतवातिर शबाब था,
भारत माँ के ताज का,
वो हीरा नायाब था।
वो कमशीन था, इज्जोजिल था,
वागीश था वो पहुँचा हुआ दरवेश था,
वो प्रभु का कृपा पात्र विशेष था।

इज्जोजिल अर्थात् दिव्यता को प्राप्त यानि के इश्वरिय गुणो से भरपूर होना।

(प्रोफेसर विजेंदर सिंह आर्य
मुख्य संरक्षक ‘उगता भारत’ समाचार पत्र)

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