वीर हकीकत के बलिदान की प्रासांगिकता” पर गोष्ठी संपन्न* *देश धर्म के बलिदानी अमर रहते हैं -आचार्या श्रुति सेतिया*

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गाजियाबाद,सोमवार 5 फरवरी 2024, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में ‘वीर हकीकत के बलिदान की प्रासांगिकता ” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 615 वां वेबिनार था।

वैदिक विदुषी आचार्या श्रुति सेतिया ने कहा कि यूं तो सभी लोग इस नश्वर जगत में पैदा होते हैं,जीते हैं और अंत में मर जाते हैं,पर उन्हीं का जीना और मरना सार्थक होता है जो देश,जाति और धर्म के लिए जीते और मरते हैं।वास्तव में ऐसे ही मनुष्य सच्चे वीर हैं क्योंकि उनका अंत हो जाने पर भी उनकी अमर कीर्ति, उनकी शहादत कभी नहीं भुलाई जा सकती है।वे स्वयं मर कर जाति को अमर कर जाते हैं।ऐसे ही वीरात्मा शहीदो में बालक हकीकत राय का नाम भी स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।इस बालक ने अपनी जान,धर्म के लिए कुर्बान कर दी परंतु इस्लाम धर्म कुबूल नही किया।जब जिस जाति का राज्य होता है,वह जाति अपने धार्मिक सिद्धांतो को सर्वोपरि समझती है।उस समय भारत में मुसलमानों का शासन था। शांति प्रिय हिंदू लोग जबरदस्ती मुसलमान बनाए जाते थे।जो मुसलमान नहीं बनते वे निर्दयता से मार डाले जाते थे।वीर बालक हकीकत राय के समक्ष यही समस्या उपस्थित थी।हकीकत राय को रसूल और कुरान की तौहीन करने की सजा के रूप में मौत के घाट उतार दिया गया।वीर बालक अमरत्व का बीज अपनी आत्मा में धारण किए हुए मृत्यु का प्याला पीने को तैयार हो गया। खुशी खुशी अपने प्राणों की बलि दे दी परंतु इस्लाम धर्म कदापि स्वीकार नहीं किया।बाल हकीकत राय अपने धर्म पर कुर्बान हो गया।इसके बाद लाहौर में हकीकत राय की समाधि बनाई गई।मुसलमानों का शासन अब ना रहा,पर धर्म के लिए बलिदान होने वाले हकीकत राय का नाम आज भी जीवित है और जब तक इस पृथ्वी तल पर हिंदू जाति जीवित है तब तक राम और कृष्ण के प्यारे भक्त हकीकत राय का नाम अमर रहेगा।
मुख्य अतिथि आर्य नेत्री सोनियां आनंद व अध्यक्ष राजश्री यादव ने भी उनके बलिदान की चर्चा कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया उन्होंने कहा कि जो देश धर्म के लिए जीते हैं वह सदा अमर रहते हैं।राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

गायिका कुसुम भंडारी, पिंकी आर्य, प्रवीना ठक्कर, कमला हंस, नरेंद्र आर्य सुमन, विजय खुल्लर, संतोष धर, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, प्रतिभा कटारिया आदि के मधुर भजन हुए।

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