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लेखक आर्य सागर खारी🖋️
यह प्रश्न प्रत्येक तार्किक सत्यग्राही भारतीय के मस्तिष्क में उठता है। भारत लगभग साढ़े सात दशक पहले अंग्रेजों की दासता से मुक्त हो गया लेकिन फलित ज्योतिष के नाम पर ग्रहों तारों की दासता से आज तक भी मुक्त नहीं हुआ है। यह जग जाहिर इतिहास में प्रसिद्ध है भारत जैसा महान देश सितारों की दासता के कारण भी भौगोलिक व राजनीतिक तौर
परतंत्र हुआ अलग-अलग शक्तियों के अधीन रहा।
महावीर राणा सांगा को यदि ज्योतिषी पोप फलित ज्योतिष के नाम पर भ्रमित नहीं करते यह कहते हुए की महाराज ग्रह आपके अधीन नहीं है यदि आप युद्ध करेंगे तो आपकी हार होगी तो राणा सांगा से सदैव भयभीत रहने वाला बाबर कभी भी युद्ध में ना जीत पाता। पोपो की कथित भविष्यवाणी से राणा की सेना का बाल आधा हो गया था।
इतिहास में जो हुआ सो हुआ आज के 21वीं सदी के उभरते हुए भारत में आते हैं फलित ज्योतिष के नाम पर आज भी क्या इंजीनियर क्या डॉक्टर क्या अफसर क्या नेता नौजवान वर्ग फलित ज्योतिष व इसके कुख्यात कुंडली नामक दस्तावेज की क्रूर कुंडली में पिस रहा है। कथित कुलीन अभिजात्य वर्ग का यह मानसिक रोग अब गांव देहात के किसान वर्ग में भी घुसने लगा है। दिल्ली एनसीआर के ग्रामीण अंचल में कुछ दशक पहले कुंडली नाम की बीमारी को कोई नहीं जानता था।
कुंडली क्या है अर्वाचीन भ्रांत स्वार्थ मूलक फलित ज्योतिष के आधार पर बनाया गया 12 खानों का एक दस्तावेज है। यदि आपके जन्म के समय इन 12 खानों में प्रथम चौथे सातवें बारहवें आदि खानों में मंगल ग्रह आकर बैठ गया तो आपके लड़के या लड़की को ज्योतिष के पोप मंगल दोष से ग्रस्त अर्थात मंगला या मांगलिक घोषित कर देते हैं। भावी वर वधू के मामले में पगड़ी मांगलिक या चुनरी मांगलिक जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल करते हैं यह पोप। यहीं से शुरू होता है मंगली दोष दूर करने का मानसिक आर्थिक शोषण का खेल। किसी भी अदालत में इस क्षण के विरुद्ध कोई उपचार नहीं मिलता। उधर वही आप पोपो से इतर इसका कहीं भी उपचार नहीं पा सकते।
कितने ही उच्च शिक्षित कुलीन सर्वगुण संपन्न लड़का लड़की आज इस मंगल दोष के पाखंड के नाम पर अविवाहित बैठे हुए हैं। पोप तर्क देते हैं की मंगल ग्रह अविवाहित है इसको गृहस्थियों का सुख नहीं सुहाता ऐसे में मंगल दोष से युक्त यदि किसी लड़के लड़की का विवाह किया जाता है तो उनका दांपत्य जीवन सफल नहीं होता क्लेश रहता है ऐसा विवाह जल्दी ही टूट जाता है। बेचारे मंगल ग्रह को जो पृथ्वी का पड़ोसी है सूर्य से दूरी के स्थान पर चौथे स्थान पर है ठोस ग्रह है ठीक-ठाक उसका परिवेश है पृथ्वी को छोड़कर अन्य ग्रहों की अपेक्षा उसको कुंवारा घोषित कर दिया मैं पूछता हूं शेष आठ ग्रहों का विवाह संस्कार किसने कराया और मान भी ले अन्य ग्रहों का विवाह हुआ है मंगल ग्रह के साथ यह अत्याचार है क्योंकि मंगल की अपेक्षा बुध शुक्र सूर्य के अधिक निकट भयंकर ताप से युक्त विषम परिस्थितियों के ग्रहों को विवाहित बता दिया है पोपो ने।
हमारे प्राचीन स्मृतिकारो ऋषियों ने विवाह का आधार लड़का व लड़की की शारीरिक मानसिक योग्यता गुण कर्म स्वभाव विद्या को माना है वहां फलित ज्योतिष जैसी भ्रांत धारणा का कोई स्थान प्राचीन कल्प सुत्रो में नहीं मिलता यह फलित ज्योतिष जैसा पाखंड मध्यकाल की उपज है।
बुद्ध के बाद महर्षि दयानंद ने सर्वाधिक इस पाखंड पर कुठाराघात किया ज्योतिष वेद का नेत्र है गणित ज्योतिष अपने आप में अनूठा विज्ञान है जिसका विकास वेदों से हुआ ऋषियों ने अपने-अपने काल पर अनुपम ग्रंथ गणित ज्योतिष पर लिखे उच्च गणित की सभी शाखाएं गणित ज्योतिष से निकली है गणित ज्योतिष का विकास अंतरिक्ष जगत को समझने के लिए किया गया वैदिक पर्व अनुष्ठानों ऋतु चक्र मौसम विज्ञान को नियमबद्ध करने में इसका उपयोग हुआ लेकिन फलित ज्योतिष स्वार्थी पाखंडी पोपो के मस्तिष्क से निकला है। गणित के नियमों को मानव व्यवहार पर घटा दिया परम सत्ता ईश्वर मानव की कर्म की स्वतंत्रता उसके पुरुषार्थ तर्क कौशल को उपेक्षणीय मानकर धता बताकर।
सवेरे होते ही टीवी चैनलों पर बैठकर ज्योतिष के यह पोप दावा करते हैं कुंडली के 12 खानों में प्रत्येक एक खाने से किसी भी जातक अर्थात जन्म लेने वाले मनुष्य के जीवन से जुड़ी चार लाख घटनाओं की पूर्व भविष्यवाणियां की जा सकती है वाह जी वाह!
कितने ही परिवारों को मैं जानता हूं जिनके सर पर कुंडली मिलाने का भूत सवार रहता है 36 गुण मिलाए जाते हैं कथित तौर पर 22 से अधिक गुण यदि आपकी संतान के मिल गए तो कहना ही क्या? । भले ही आपकी संतान चरित्र हीन हो कुसंस्कारी हो यह पोप उसका वैवाहिक जीवन सुखमय घोषित कर देते हैं! कुंडलियों के मिलने से वैवाहिक जीवन सफल नहीं होता वैवाहिक जीवन होता है पति-पत्नी के परस्पर विश्वास समझ सद्गुणों के कारण।
कुंडली बनाने व कुंडली मिलाने के ऑनलाइन ऐप्स ने तो आग में घी का काम किया है।
फलित ज्योतिष एक मानसिक व्याधि है यह एक व्यापक अंधविश्वास है किसी भी समाज राष्ट्र के जीवन पर इसका बड़ा ही घातक प्रभाव पड़ता है भारत इस मामले में सदियों से पीड़ित रहा है।
आज ही इस पाखंड को तलांजलि दे दीजिए। अपने बच्चों को आपसे अधिक कोई नहीं जानता आपके जो अच्छे या बुरे संस्कार सामाजिक परिवेश से मिले संस्कार वही बच्चों में आते हैं। बेचारे मंगल जैसे ग्रहों का क्या दोष?
लेखक आर्य सागर खारी