20 कमरों से बना 100 किलोमीटर का शहर गाजियाबाद
सरदार मनजीत सिंह – विभूति फीचर्स
सन् 1740 में नवाब गाजीउद्दीन खान ने चार गेटों के अंदर एक सराय बनायी थी। ये चार गेट थे दिल्ली गेट, सियानी गेट, डसना गेट एवं जवाहर गेट, शाम को ये चारों गेट बंद हो जाते थे। इन चार दरवाजों के अंदर तब मात्र बीस कमरे हुआ करते थे पर अब फैलते फैलते ये आज 100 किलोमीटर का शहर गाजियाबाद बन गया है।
गाजियाबाद में जन्मे या यहां सालों से रहने वाले लोगों ने अपनी आंखों के सामने धीरे-धीरे गाजियाबाद को जवान होते देखा है। दिल्ली से आते हुए अर्थला पीर के बराबर में चुंगी हुआ करती थी और गाजियाबाद से दिल्ली जाते हुए की चुंगी हिंडन नदी के पास लगती थी। गाजियाबाद एक ऐतिहासिक शहर है। यह अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में विकास और प्रगति का केंद्र बन चुका है। स्थानीय जनता ने इस शहर को ऊंचाइयों तक पहुंचाया है जो आज दुनिया के नक्शे पर छाया हुआ है।
उत्तर प्रदेश के बड़े एवं विकसित शहरों में अग्रणी भूमिका निभाने का काम कर रहा गाजियाबाद फ्लाई ओवरों का शहर भी बन गया है। आज गाजियाबाद में मेट्रो नमो भारत जैसी ट्रेन भी चलती हैं।
गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से आपको दूरदराज जाने वाली सभी गाडिय़ां मिलती हैं। हिंडन एयरपोर्ट भी यही हैं जहां से हवाई उड़ान भरी जाती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में गाजियाबाद पूरे हिंदुस्तान ही नहीं दुनिया में भी अपना नाम कमा चुका है। स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज से लेकर बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज तक गाजियाबाद में स्थापित है। शिक्षा के क्षेत्र में भी गाजियाबाद का नाम देश-विदेश में जाना जाता है।
सभी सुविधाओं से संपन्न है शहर गाजियाबाद। अब बात चली है कि गाजियाबाद का नाम बदला जाएगा, इससे पूर्व भी उत्तर प्रदेश में कई शहरों के नाम बदले गए। गाजियाबाद की सड़कों के नाम पर आपको याद दिला देता हूं राजनगर एक्सटेंशन वाली रोड का नाम शहीद उधम सिंह मार्ग है। पटेल मार्ग वाली सड़क का नाम गुरु तेग बहादुर रोड रखा गया आज भी सभी इसे पटेल मार्ग ही बोलते हैं। बजरिया का नाम श्री गुरु गोविंद सिंह मार्ग रखा गया मगर आज तक किसी ने इस नाम से नहीं पुकारा। चौधरी मोड़ का नाम सरदार तेज सिंह मार्ग है नोएडा का नाम बदल गया गौतम बुद्ध नगर रखा गया मगर ज्यादातर लोग आज भी उसको नोएडा ही कहकर बुलाते हैं।
इसी तरह हापुड़ अमरोहा इलाहाबाद सबके नाम बदल गए। आजादी की लड़ाई में भी गाजियाबाद में अग्रणी भूमिका निभाने का कार्य किया। कहा जाता है कि अंग्रेजों को हिंडन नदी पार नहीं करने दी थी।
धौलाना में एक ही पेड़ से बांधकर बहुत से लोगों को शहीद कर दिया गया था कुल मिलाकर गाजियाबाद का इतिहास स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाने वाला है। (विभूति फीचर्स)
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