सुभाष चंद्र बोस के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
ओउम् परमपिता परमात्मा नमो नमः (ओउम् कृण्वन्तो विश्वमार्यम)
23 जनवरी सन 1897 में इस भारत की धरा पर एक अद्भुत आत्मा ने जन्म लिया था जो वीर सुभाष चंद्र बोस के नाम से विख्यात हुए।ये कोई साधारण आत्मा नही थी।इस राष्ट्र के सूत्राधार ओर कर्णधार यदि कोई थे तो इसमें सुभाष चन्द्र बोस के नाम सबसे अग्रणी है।आज कुछ रहस्य मयी वार्ताओं का उद्घाटन हम आपके समक्ष करना चाहते है।जिसके विषय में स्वयं पू०गुरुदेव ब्रह्मऋषि कृष्णदत्त जी(त्रेतायुगीय श्रृंगी ऋषि की आत्मा जिसने महाराजा दशरथ के यह पुत्रेष्टि याग कराया था और फलस्वरूप भगवान राम, लक्ष्मण,भारत ओर शत्रुघ्न ने जन्म लिया था) ने उल्लेख अपने प्रवचन में किया है।कुछ बिंदुओं के रूप में वो वार्ताएँ आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
- सन 1956 में जनवरी के महीने में गुरुदेव के शिष्य महऋषि महानंद मुनि ने सुभाष चंद्र बोस के विषय में प्रश्न किया।तब गुरुदेव अपनी यौगिक अवस्था मे पहुंचकर प्रवचन करते है।और उस प्रवचन के श्रोता आज भी हमारे मध्य उपस्थित है।मेरे पूज्य पितामह कालूराम त्यागी जी, स्व०मांगेराम बाबाजी, स्व०रणवीर बाबाजी, स्व०शिवनाथ बाबाजी एवं अन्य वृद्धजन।
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यह प्रवचन ग्राम दिनकरपुर(मु०नगर) में हुआ ।उस समय रिकॉर्डिंग की कोई व्यवस्था नही थी,इसलिए ये प्रवचन कही किसी पुस्तक में उपलब्ध नही है।किंतु इसका प्रमाण मैने ऊपर दिया है जिसने ये प्रवचन श्रवण किया।
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पू० गुरुदेव ने बताया था कि वीर सुभाष द्वापर काल मे हुए महाभारत के वीर योद्धा ओर भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त वीर अर्जुन की आत्मा थी।जो मंगल लोक में तीन वर्ष रहकर आये और यंत्रो का निर्माण किया।
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एक भ्रांति जो अधिकतर भारत वासियों में व्याप्त है, की सुभाष की मृत्यु सन 1945 में विमान दुर्घटना में हुई थी।किंतु गुरुदेव ने सन 1956 में जनवरी माह में हुए प्रवचन में उद्घाटित किया है की आज से 6 माह पूर्व वीर सुभाष की आत्मा हम सबको छोड़कर अपने गंतव्य पर चली गई। अर्थात उनकी मृत्यु विमान दुर्घटना में नही हुई थी।
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एक ओर आश्चर्य चकित वार्ता पू गुरुदेव महऋषि महानंद जी को बताते है कि सन 1950 के बाद वीर सुभाष अपने भारत देश मे आ गए जर्मनी, जापान से।ओर उत्तराखंड की भूमि परहिमालय पर्वत की कंदराओं में आकर रहने लगे।वह उनोहने योग साधना की , तपस्या की ओर आपने आध्यात्मिक जीवन का निर्वहन किया।तत्पश्चात अपने योगबल के द्वारा अपने प्राणों का त्याग किया।
० गुरुदेव बताते है की ऐसी आत्मा किसी विशेष उद्देश्य के लिए इस धारा पर आती है और अपना कार्य समाप्त करके चली जाती है।वास्तव में आश्चर्यचकित वार्ता का उल्लेख किया।
- स्वतन्त्रता संग्राम का वास्तविक सेनानायक अगर कोई था तो वो थे वीर सुभाष चंद्र बोस। देश के लिए योगदान और अन्य किसी भी स्वतंत्र सेनानी का कम नही था।किंतु सुभाष चंद्र बोस की जो भूमिका थी वो वास्तव में सबको हैरान करने वाली थी।और ये किसी से छुपा नही है।
*आजादी के सेनानायक, इस राष्ट्र के कर्णधार, अंग्रेजो को धूल चटाने वाला महान व्यक्तित्व, हिटलर जैसो ने भी जिसका लोहा माना ऐसे वीर सुभाष चंद्र बोस उनके जन्मदिवस पर हम श्रद्धा सुमन अर्पित करते है।
जय भारत वंदेमातरम।
(इस पोस्ट को पढ़ने के पश्चात अगर किसी के मन मे कोई भी भ्रांति हो तो वो रेफरेंस के लिए मेरे पितामह श्रीमान कालूराम के जी और अन्य गांव के वृद्धजनों से संपर्क कर सकते है।वैसे तो ये प्रवचन ऋषि आत्मा के द्वारा दिया गया है तो इसमें संशय की संभावना ही नही है कही भी)
(तुम मुझे खून दो, मै तुम्हे आजादी दूंगा) वीर सुभाष का उद्घोष
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