हिन्दू जिहादी शायर के विरुद्ध केस करें !
भले ही मुसलमान कहते रहें कि हम राम मंदिर केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मानते हैं और सभी मुस्लिम संविधान और अदालत का सम्मान करते हैं लेकिन उनकी यह बात बिलकुल झूठ और दिखावा है ,और जो भी मुसलमानों की इस बात पर विश्वास करेगा उसे भारी संकट का सामना करना पड़ेगा क्योंकि ओवैसी हिन्दू विरोधी बाबर की औलाद मुस्लिमों को यही बात कह कर उकसा रहे है कि हिन्दू सरकार के दवाब से अदालत ने गलत फैसला दिया था और मुस्लिमों से बाबरी मस्जिद छीन ली थी ,इसलिए हिन्दुओं को मुसलमानों से सचेत रहने की जरुरत है जैसा की हिंदी कवी गिरधर ने कहा है से
जाकी धन धरती लयी ताको लियो न संग
जो संग लीनो ही पड़े , तो कर डारो अपंग
तो कर डारो अपंग भूल परतीत न कीजे
सौ सौगंधें खाय चित्त में एक न दीजे
कहें गिरधर कवी राय खुटक निकरे न बाकी
कबहुँ न लीजे संग लयी धन धरती जाकी
(यह कुण्डलिया नाम का छंद है इसमें पहला और अंतिम शब्द एक ही होता है )
यह बात इस से साबित होती है जिस समय पूरे भारत में हिन्दू भगवान राम का प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव मना रहे थे जिहादी मुस्लिम मातम मना कर सरकार और सुप्रीम कोर्ट अपमान करके मुस्लिमों को भड़का रहे थे ,उत्तर प्रदेश में लखनऊ में करीम शाकिर नामके एक सिद्धार्थ नगर शायर ने राम मंदिर के बारे में मुसलमानों को भड़काने के लिए जो नज्म सुनाई था वह शब्दों और ऑडियो में दी जा रही है
Karim Shakir Photo
http://tinyurl.com/muwem968
1-नज्म -बाबरी मस्जिद (Text)
गिरा कर जिसने मस्जिद को वहां मंदिर बनाया है ,
मिटा दे उस हुकूमत को दुआ तुझ से खुदाया है -1
तेरे घर को गिराकर जाबिरो जालिम बहुत खुश हैं ,
तेरे बन्दों को इस वाकये ने बस रुलाया है -2
कहीं पर जश्न का माहौल है ,जालिम उछलते हैं ,
कहीं पर दर्द का आलम है रंजो गम का साया है -3
मुसलमानों के हक़ को छीन कर जालिम अदालत ने ,
किया इंसाफ को रुसवा उन्हें नाहक सताया है -4
यह जालिम भूल बैठे हैं की तेरी हुक्मरानी से
पकड़ से कोई भी सितमगर कभी बच न पाया है
दुआ गिड़गिड़ा रब से करते हैं हम शाकिर
इन्हें बर्बाद कर जिन्होंने तेरा घर मिटाया है -5
2-नज्म -बाबरी मस्जिद (Audio )
http://tinyurl.com/43rdzn49
नोट -शाकिर नामके इस जिहादी शायर ने इस नज्म (कविता ) के शेर 1 में मुसलमानों से वर्त्तमान सरकार को मिटाने का आह्वान किया है अर्थात सरकार के विरुद्ध युद्ध करने को प्रेरित किया है ,यही नहीं शाकिर ने इसी नज्म के शेर 4 में सुप्रीम कोर्ट को जालिम अदालत बेइंसाफी करने वाला बता दिया है ,जो उच्तम न्यायालय की स्पष्ट अवमानना है
इसलिए हमारा सभी पाठकों विशेषकर कानून के जानकर वकील बंधुओं से अनुरोध है कि इस जिहादी शायर की नज्म यानि कविता को ध्यान पढ़ें और इस शायर इ ऊपर सम्बंधित क़ानूनी धाराओं के अधीन प्राथमिकी ( F.I.R) जरूर दर्ज करें क्योंकि इस आग की चिंगारी को अगर अभी नहीं बुझाया गया तो कई जगह आग भड़क जाएगी
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