आओ मिलकर दीप जलाएं, और मनाएं दिवाली।
शुभ पर्व हमारा सबका है,आओ सजाएं हम थाली।।
हजारों वर्ष के संघर्षों की, करनी गाथा याद हमें।
शौर्य और पराक्रम का, फिर से करना नाद हमें।।
लाखों दिए बलिदान आज हम उनको याद करेंगे सब।
दीप जलाएंगे हर घर में, उत्साहित परिवेश करेंगे सब।।
आज हमारे घर में राम नहीं, कुछ और भी आने वाले हैं।
राजा सुहेलदेव से योद्धा , हमारे मन में छाने वाले हैं।।
जय राजकुंवरि की गाथा ,हर ललना को हमें सुनानी है।
रणविजय पतिदेव थे उनके, यह बात उन्हें बतलानी है।।
मीरबकी को मारने वाली, पूजन योग्य वह नारी थी।
राम मंदिर की रक्षा हेतु रणविजय संग ललकारी थी।।
महताब थे राजा भीटी के, बलिदान दिए थे लाखों में।
देवीदीन पांडे सा योद्धा , नहीं लाल मिलेगा लाखों में।।
आओ ! कर लें याद उन्हें, जो आजादी के रक्षक थे।
संस्कृति के रक्षक थे, और वे हर शत्रु के भक्षक थे।।
राम केवल नहीं हमारे , वह तो मानवता की थाती हैं।
सारा विश्व परिवार था उनका , भारत मां की ख्याति हैं।।
हर घर में दीप जलाएंगे, और श्रद्धा से शीश झुकाएंगे।
निश्चित है जीवन में फिर से कभी ना यह पल आएंगे।।
डॉ राकेश कुमार आर्य
22 जनवरी 2024