पीपल पत्ता हिल रहा , बात कहे अनमोल।
दोहे
गाड़ी में मैं चल रहा, मन में बड़ा गुमान।
तन की गाड़ी कीमती, नहीं सका पहचान।। 1।।
पीपल पत्ता हिल रहा , बात कहे अनमोल।
क्षणभंगुर जीवन तेरा, बात हिय में तोल।। 2।।
इंसाफ तराजू तोल कर, जो करता इंसाफ ।
असली मुंशिफ है वही रखता पाक हिसाब।। 3।।
भ्रष्टाचारी जेल में, मांग रहे इंसाफ ।
पापी को निज पाप का, मिला सही इंसाफ।। 4।।
राम हमारे देश की, सही-सही पहचान ।
मर्यादा श्री राम की, भारत की है शान।। 5।।
वक्त भरता घाव को, वक्त सही उपचार ।
वक्त की कुछ ‘वक्त’ कर, वक्त की बुरी मार।। 6।
शहर बसाया चाव से , छोड़के अपना गांव।
हाथ कुल्हाड़ी धार के, ढूंढ रहे हैं छांव।। 7।।
दिल की दुनिया में बसे, तेरा घर – संसार ।
दिल से इन्हें संभालिए, निश्चय हो उद्धार।।8।।
रंगत फीकी पड़ गई, पड़ गया फीका नूर।
टूट गया दिल आईना, हुई जवान दूर ।।9।।
सच को लाए सामने, होता वही इतिहास।
कर वकालत झूठ की , कहें उसे बकवास।।10।।
डॉ राकेश कुमार आर्य
दयानंद स्ट्रीट, सत्यराज भवन, (महर्षि दयानंद वाटिका के पास)
निवास : सी ई 121 , अंसल गोल्फ लिंक – 2, तिलपता चौक , ग्रेटर नोएडा, जनपद गौतमबुध नगर , उत्तर प्रदेश । पिन 201309 (भारत)
चलभाष : 9911169917
email ID : [email protected]