अमेरिका के एक परिवार ने भारत की राजधानी दिल्ली आकर वैदिक (सनातन) विवाह को विधि विधान से संपन्न कराया। अमेरिकी पुरुष स्काई (Skye) ने आयुष्मती तेजस्विता (बीटेक, एम एस आर्किटेक्चर) जो वीर खेड़ा बुलंदशहर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। हाल ही में परिवार दिल्ली में रहता है। यह दोनों अमेरिका में सर्विस कर रहे थे। स्काई (अमेरिकी) एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर (अध्येता) हैं और तेजस्विता भी एक कंपनी में आर्किटेक्चर के अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। भारत की वैदिक परंपरा अर्थात् प्राचीन स्वयंवर परंपरा में अपने गुण, कर्म, स्वभाव, शैक्षिक योग्यता के संस्कारों में बंधने का संकल्प लिया। यह युगल वैदिक (सनातन) परंपरा से प्रभावित था। कन्या तेजस्विता ने अपने माता-पिता क्रमशः श्रीमती विनय श्री एवं श्री नरेंद्र भारद्वाज को बताया कि मैंने स्वयंवर चुन लिया है, अतः आप वैदिक विधि से विवाह संपन्न कराने की तिथि निर्धारित करें। माता-पिता पर आर्य समाज का प्रभाव था तो उन्होंने 21 दिसंबर 2023 को विवाह निश्चय कर दिया।
देखो! भारत के दर्शन को विश्व समझ रहा है कि वैदिक संस्कृति ही पूर्णतया वैज्ञानिक है, प्रसन्नता तब हुई जब तेजस्विता के साथ-साथ चिरंजीवी स्काई ने कहा कि हम वैदिक संस्कारों को समझ कर ही विवाह रचाएंगे। इसी शृंखला में अमेरिका से वर परिवार विवाह से 10 दिन पूर्व भारत आ गया। विवाह से पूर्व लोकाचार की परंपराओं यथा तेल, हल्दी का उबटन आदि अनेक रीति रिवाजों का प्रसन्नता से निर्वहन किया। वर की माता जेनिफर चिसचिली गिलसन ने एक प्रश्न के उत्तर में अधोहस्ताक्षर कर्ता को बताया कि हम बहुत अधिक प्रसन्न हैं। विवाह के लिए मंथन करके एक टीम श्री सुरेश चंद्र आर्य के कुशल नेतृत्व में गठित की गई, जिसमें मुख्य आचार्य के रूप में गजेंद्र सिंह आर्य (वैदिक प्रवक्ता एवं पूर्व प्राचार्य) को नियुक्त किया गया। वेद पाठी सुरेश आर्य, संगीत शास्त्रज्ञ श्रीमती सावित्री आर्य, दिल्ली वाद्य यंत्र विशेषज्ञ गुलशन आर्य अलीगढ़ का विशेष योगदान रहा। सावित्री आर्य की स्वर लहरी पर वर स्काई को अतीव प्रसन्नता में झूमते निहारा गया। आवश्यकता अनुसार मुख्य आचार्य गजेंद्रार्य एवं वेद पाठी सुरेशार्य, कुछ विशेष मंत्रों का भाषा अनुवाद आंग्ल भाषा में भी कर रहे थे। साथ ही कन्या तेजस्विता आंग्ल भाषा में सहयोग कर आनंदित होकर स्काई (पति) को समझा रही थी।
जिस समय विवाह का कार्यक्रम प्रारंभ होने वाला था यज्ञ मंडप की पूर्ण तैयारी सुंदर छटा बखेर रही थी उसी समय मुख्य आचार्य गजेंद्र आर्य की ओर संकेत कर वर पक्ष की ओर से एक घंटा में विवाह संपन्न कराने हेतु आग्रह किया। मुख्य आचार्य ने जैसे ही बोलना प्रारंभ किया तो वर पक्ष की ओर से आग्रह किया गया की 2 घंटे ले सकते हो। बीच-बीच में मंत्रों के आंग्ल भाषा अनुवाद से बहुत प्रसन्न हो रहे थे। कहीं-कहीं बीच में समसामयिक सावित्री आर्य और गुलशन की स्वर लहरियों से चार चांद लग रहे थे। कन्या स्वीकारोक्ति पाणिग्रहण संस्कार पर मंत्रोच्चार के साथ संकल्प पाठ ओम तत्सत् श्री ब्रह्मणो ........ बोला गया तो सुधि श्रोतागण मंत्रमुग्ध थे। लाजाहोम तक आते-आते सप्तपदी तक कार्यक्रम की रोचकता को देखकर वर पक्ष के लोगों ने एक घंटे और कार्यक्रम को बढ़ाने के संकेत किये। सप्तपदी की भी व्याख्या आर्य भाषा एवं आंग्ल भाषा में सुनकर दोनों पक्षों के महानुभाव वैदिक सनातन विधि की प्रशंसा करते देखे गए। याद रहे सप्तपदी को केवल और केवल वैदिक पुरोहित ही कराते हैं। तथाकथित पौराणिक पुरोहित नहीं। जबकि विगत वर्षों से भारत का माननीय सर्वोच्च न्यायालय सप्तपदी को वैधानिक ठहराता है। बिना सप्तपदी के विवाह वैध नहीं है ।
सप्तपदी उपरांत हृदय स्पर्श ओम मम् व्रते ह्रदयं ........ मंत्र बोलकर दोनों ने एक दूसरे के हृदय को दक्षिण हाथ से स्पर्श करते हुए कहा हमारे चित्त, हृदय एक दूसरे के अनुकूल रहें। प्रजा पालक परमात्मा ने हमें एक दूसरे के लिए नियुक्त किया है। अंत में ध्रुव तथा अरुंधति दर्शन के साथ विद्वानों के द्वारा ओम सौभाग्यमस्तु। ओम शुभं भवतु । तुम्हारा सौभाग्य अचल हो और गृह में सब प्रकार का कल्याण हो, आशीष वचन कहे। वर पक्ष अमेरिका की ओर से सभी आगंतुकों को वर स्काई की माता जेनिफर ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए भाव विभोर होकर कहा कि हम सब अमेरिकनवासी इस वैदिक विवाह से बहुत अभिभूत हैं। इस वैदिक संस्कार ने हम सब की आंखें खोल दी हैं। हम इस वीडियोग्राफी और चलचित्रों के माध्यम से सनातन संस्कृति का प्रचार और प्रसार करेंगे। अपने-अपने परिवारों में आगे के कार्यक्रमों को इसी प्रकार करायेंगे। कन्या पक्ष की ओर से भी श्री नरेंद्र भारद्वाज और उनके शुभचिंतकों ने भी आर्य समाज के पुरोहितों की भूरि-भूरि प्रशंसा की, सभी का आभार व्यक्त कर सम्मान सत्कार के साथ विदा किया। इस विवाह संस्कार में पूरे 3 घंटे लगे, पूरी टीम ने बहुत ही मनोयोग से कार्य किया। तेजस्विता कन्या पर आर्य समाज का पूर्ण प्रभाव था, वही इस वैदिक विवाह की मुख्य नायिका थी। हम सब उसके अदम्य साहस की प्रशंसा कर वंदन और अभिनंदन करते हैं।
सादर अधोहस्ताक्षर कर्ता
गजेन्द्र सिंह आर्य (राष्ट्रीय वैदिक प्रवक्ता, पूर्व प्राचार्य)
जलालपुर (अनूपशहर), बुलंदशहर -२०३३९०
उत्तर प्रदेश
चल दूरभाष – ९७८३८९७५११
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।