विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर समूचे हिन्दी प्रेमी देशों में हिन्दी पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसी क्रम में नेपाल की राजधानी काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास में भी विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर एक गरिमामयी व भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।
प्रसन्नता का विषय है कि इस अवसर पर नेपाल दूतावास में भारत की ओर से हिन्दी पर व्यक्तव्य देने हेतु प्रवीण गुगनानी का नेपाल प्रवास हुआ है।
विश्व हिन्दी दिवस पर नेपाल के भारतीय दूतावास में अपने मंतव्य में प्रवीण गुगनानी ने भारतेन्दु हरिश्चंद्र की प्रसिद्ध कविता “निज भाषा उन्नति गहे सब उन्नति को मूल - बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को शूल” का पाठ करते हुए नेपाल में हिन्दी भाषा के इतिहास, वर्तमान व भविष्य के संदर्भ में अनेक तथ्य रखे।
श्री गुगनानी ने इस अवसर गत वर्ष फ़िजी में संपन्न बारहवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के अनुभवों को साझा किया। श्री प्रवीण ने अपने उद्बोधन में फ़िजी सम्मेलन के विषय “हिन्दी पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेघा तक”, पर बोलते हुए कहा कि हिन्दी अब समूचे विश्व में रोज़गार प्राप्त करने का अवसर बनती जा रही है। हिन्दी अब प्रतिष्ठित वेदों, पुराणों के पूजित स्वरूप से भी आगे बढ़कर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस अर्थात् कृत्रिम मेघा की भी एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गई है।
विश्व में हिन्दी के स्थान को लेकर श्री प्रवीण गुगनानी ने कहा कि आज हिन्दी विश्व में सर्वाधिक अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गई है। विश्व में भाषाओं के स्थान के क्रम में हिन्दी पहले स्थान पर 156 करोड़ दूसरे स्थान पर अंग्रेज़ी 148 करोड़ एवं मण्डारिन 123 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। यह अध्ययन देहरादून हिन्दी शोध संस्थान द्वारा किया गया है। इस शोध के निष्कर्ष को तीस चरणों में परीक्षण करके रखा गया है। प्रवीण गुगनानी ने अमेरिका के एथनोलाग संस्थान के सर्वे पर भी प्रश्न उठाये जो कहता है कि हिन्दी विश्व में तीसरे नंबर पर बोली जानी वाली भाषा है। उन्होंने एथनोलाग संस्थान से अपनी रिपोर्ट में सुधार करने की माँग भी की।
काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास में आयोजित हिन्दी दिवस के इस कार्यक्रम में श्री आदि उपस्थित थे।
विदेश मंत्रालय भारत सरकार में सलाहकार के रूप में कार्यरत प्रवीण गुगनानी अपने नेपाल प्रवास के दौरान अन्य स्थानों पर भी हिन्दी दिवस के कार्यक्रमों में जाएँगे। नेपाल के सबसे पुराने और सबसे बड़े विश्वविद्यालय में भी अपना व्यक्तव्य देने जाएँगे।
भारतीय दूतावास कांठमांडू में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से भारत के राजदूत श्री प्रसन्न श्रीवास्तव, विवेकानंद केंद्र नेपाल की निदेशक आसावरी बापट जी, भाषा आयोग नेपाल के अध्यक्ष गोपाल ठाकुर, सत्येंद्र दहिया संस्कृति एवं भाषा प्रभारी नेपाल, एवं राष्ट्रपति नेपाल के प्रतिनिधि रूप में उनके सहायक उपस्थित थे।
सभी मित्रों, सहयोगियों व शुभचिंतकों में प्रवीण भाई के इस नेपाल राजदूतावास के प्रवास हेतु हर्ष व्याप्त है व सभी ने उन्हें बधाई प्रेषित की है।