यज्ञ जीवन हमारा,यज्ञ श्रैष्ठतम कर्म है
साहित्यिक सचेतना मंच के अन्तर्गत पटल पर विषय:-संलग्न चित्र आधारित काव्य संरचना प्रस्तुत है :-
(रचयिता:-आचार्य डा०श्वेत केतु शर्मा बरेली)
यज्ञ ही जीवन हमारा,यज्ञ ही श्रेष्ठतम कर्म है,
यज्ञ ही मानव कल्याण का,जीवन पाराहार है।
यज्ञ से प्रशस्त होता,मोक्ष मार्ग का आनन्द है,
जीवन को सुखद आनंदित कराता,यज्ञ-यज्ञ है।
(२)
शान्ति सुखद मंगलकारी सकारात्मक सोच देता,
प्रफुल्लित करता है मन,मानसिक तनाव से मुक्त।
रोम रोम में होता आनंद,कण कण करता सुगंध,
यज्ञ ही जीवन हमारा,यज्ञ ही श्रैष्ठतम कर्म है।
(३)
यज्ञ-अग्निहोत्र-हवन में होता आवाह्न अग्नि का,
ब्रह्म यज्ञ-देव यज्ञ-अतिथि यज्ञ-वलवैश्व देवयज्ञ।
पितृ यज्ञ का गुणगान करते कराते हैं वेद पुराण,
मानव कल्याण उत्थान को करते श्रृषि मुनि गण।
(४)
सनातन धर्म के सोलह संस्कारों,में होता यज्ञ कर्म,
जीवन को संस्कारित,करने का बोध कराते हैं यज्ञ।
धर्म अर्थ काम मोक्ष,के लिए मार्ग दर्शक होते यज्ञ,
यज्ञ ही जीवन हमारा,यज्ञ ही श्रेयस्कर श्रैष्ठ कर्म है।
(५)
यज्ञ न केवल कर्म काण्ड,यज्ञ वैज्ञानिक विधा है ,
वातावरण को करें प्रदूषणमुक्त,वायरस हो खत्म।
वैज्ञानिकों किया प्रमाणित, रोगों से होता बचाव,
यज्ञ ही जीवन हमारा,यज्ञ ही श्रैयस्कर श्रैष्ठकर्म है।
(६)
अतीश,हरीतिकी,नागरमोथा,इलाईची,दालचिनी,
तगर,कूट,वच,पीलीसरसों,गुग्गुल,नीम,अपामार्ग
वायरल-वैक्टेरियल-फंगस-ब्रण रोगों मे चिकित्सा
यज्ञ ही जीवन हमारा,यज्ञ ही श्रैयस्कर श्रैष्ठकर्म है।
(७)
राम-कृष्ण-हनुमान-देवता-श्रृषिगण करते थे यज्ञ,
पवित्र होता था आश्रम, सत्कर्म में होते थे प्रवीण।
यज्ञ से प्रशस्त होती पवित्र वुद्धि-पवित्रह्दय व तन,
यज्ञ ही जीवन हमारा,यज्ञ ही श्रैयस्कर श्रैष्ठकर्म है।
(८)
यज्ञ में है शक्ति शरीर से जीवाणुओं को करें निष्क्रीय,
सूक्ष्म वायु में बनौषधियां मिल वारावरण करें शुद्ध।
करोड़ों गुना सूक्ष्म हो कर शरीर होता है सुरक्षित,
यज्ञ ही जीवन हमारा,यज्ञ ही श्रैयस्कर श्रैष्ठकर्म है।
(९)
वैज्ञानिकों में डा फुन्दन लाल,डा सत्य प्रकाश,
डाॅ राम प्रकाश,डाॅ टेले,डाॅ टोकीन,डाॅ कर्नल।
डाॅ हाफकिन,डाॅ किंग ने किया यज्ञअनुसंधान,
प्रमाणित किया,यज्ञ से बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता।
(१०)
यज्ञ बढ़ाती श्वेत रक्त कणिकाएं,शरीर को मिलती उर्जा,
दर्शन,श्रवण,गन्ध इन्द्रियों से मिलती प्रत्यक्ष उर्जा।
वेदमंत्रों के उच्चारण से शरीर में प्राप्त होती है उर्जा,
तावें के पात्र तरंगों से बढ़ती है सकारात्मक उर्जा।
(११)
जीवन की यज्ञ से करो रक्षा,यज्ञ मेंअपार शक्तियां,
जीवन होता है सफल,निरोगी होती है काया।
ईश्वर के पहुंचते निकट,मोक्ष मार्ग होता प्रशस्त,
यज्ञ ही जीवन हमारा,यज्ञ ही श्रैयस्कर श्रैष्ठकर्म है।
रचनाकार/प्रस्तोता:-डा०आचार्य श्वेत केतु शर्मा बरेली
पूर्व सदस्य हिन्दी सलाहकार समिति भारत सरकार।
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