सुभाष आनंद – विभूति फीचर्स
पंजाब के किसानों द्वारा धान की पराली को आग लगाने के कारण प्रदूषण बढऩे लगा है। इसी कारण पंजाब के बड़े-बड़े शहरों और कस्बों में बच्चों के फेफड़े कमजोर हो रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों में बढ़ते प्रदूषण के लिए सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही है,इससे फेफड़ों की कार्य क्षमता लगातार कमजोर हो रही है। शरीर में आक्सीजन का स्तर सामान्य से कुछ कम होने के कारण प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती जा रही है। पिछले दिनों पंजाब के शिशु रोग विशेषज्ञों की एक बैठक में डाक्टरों ने कहा कि जिस प्रकार प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहहा है,उससे चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं।
फिरोजपुर सिविल अस्पताल और मैडीकल कालेज फरीदकोट मे ंतैनात शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बाल रोग विभाग की अस्थमा क्लीनिक में सांस से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसमें 5 वर्ष से 16 वर्ष तक के बच्चों के आंकड़ों को शामिल किया गया है।
अस्थमा से पीडि़त लोगों को सांस लेने में बहुत मुश्किल पेश आ रही है। 30 फीसदी बच्चों में रक्त जांच करने के पश्चात पाया गया है कि प्रदूषण से शरीर में आक्सीजन का स्तर सामान्य से कम मिला,इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो रही है।
मौसम परिवर्तन के कारण बच्चे सर्दी जुकाम बुखार एवं दूसरी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। एलर्जी से पीडि़त लोग भी ओपीडी में आ रहे हैं।
बच्चों में निमोनिया भी हो रहा है,शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि 50 फीसदी से अधिकतर बच्चों में सांस लेने में तकलीफ की समस्या है। बार-बार बच्चों के बीमार होने के कारण उम्र के हिसाब से बच्चों का शरीरिक विकास नहीं हो रहा है। शारीरिक रूप से कमजोर बच्चे स्कूल में भारी बैग उठाने से थकान महसूस करते हैं,खेलते खेलते उन बच्चों का दम फूलने लगता है। सीढिय़ां चढ़ते समय उनकी सांस फूलने की समस्या उभर कर सामने आती है।
एंटी बायोटिक दवाईयां हो रही है बेअसर- पंजाब के अधिकतर बाल रोग विशेषज्ञों का एक मत कहना है कि बच्चों में ज्यों ज्यों फेफड़ों की बीमारी हो रही है,इसमें एंटीबायोटिक्स दवाईयां असर नहीं कर रही। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कार्य योजना बनाना सरकारों की ड्यूटी है। स्कूल बच्चों को स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराए।
डा. शील सेठी का कहना है कि कुछ चिंताजनक हैं, इसमें बच्चों का शीघ्र थकान महसूस करना, सांस फूलना तथा सामान्य बीमारियों में दवाईयां प्रभावहीन होना है, डाक्टरों ने तो वृद्धों को सुबह की सैर न करने की भी सलाह दी है,क्योंकि किसान रात्रि के समय परालियों को आग लगाते हैं,जिससे वायु प्रदूषित हो जाता है। (विभूति फीचर्स)
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