महायज्ञ एवं महाव्रत अनुष्ठान”*
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1- *” यज्ञरूप प्रभु से प्रेरणा – ईश्वर की असीम अनुकम्पा से महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज की 200 वीं जन्मशता ब्दी एवं आर्य समाज मंदिर, मुरार, ग्वालियर के 95 वे स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में *” सामवेद पारायण महायज्ञ एवं भव्य शोभायात्रा” का समायोजन ” दिनांक- 9,10,11,12 दिसम्बर,2023 में प्रातः- 9 से 12 बजे तक। शाम- 3 से 6 बजे तक “ महायज्ञ में सपरिवार श्रद्धा से आहुति देकर पुण्यार्जन प्राप्त करें।
2- ” यजमान परिवार से प्रेरणा “ महायज्ञ की मुख्य यजमान श्रीमती सुशीला यादव एवं श्री महेश सिंह यादव ( संपूर्ण परिवार ) है। आपके जीवन में यज्ञभावना,यज्ञसंकल्प एवं यज्ञव्रत का दिव्यभाव पूज्य गुरु जी रामदेव जी महाराज तथा पूज्य पिता श्री बद्रीसिंह जी यादव प्रधान जी और प्रिय भाई श्री यज्ञदत्त जी की पावन प्रेरणा है। धन्य हैं- ऐसे यज्ञनिष्ठ परिवार।
3- महायज्ञ एवं शोभा यात्रा की संपूर्ण व्यवस्था के समायोजक कर्मनिष्ठ समाजसेवी श्री रामप्रकाश वर्मा प्रधान, श्री सुरेन्द्र राणा मन्त्री, श्री विकास घई कोषाध्यक्ष तथा समस्त सदस्यगण एकाग्रता से समर्पित हैं।
3- ” यज्ञ से प्रेरणा” यज्ञभूमि, यज्ञवेदि एवं यज्ञशाला दिव्यभावों, दिव्यसंकल्पों, दिव्यप्रवृत्तियों और दिव्यऊर्जा का महास्रोत है। अपनी सकारात्मकशक्ति एवं प्रवृत्ति का सतत संवर्धन करें।अपनी शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक एवं आत्मिक समुन्नति एवं जागृति का जागरण करें।
4- ” स्वाहा से प्रेरणा” यज्ञ में उच्च स्वर से स्वाहा बोलें, अपनी बुरी वृत्तियों का त्याग करें, परनिन्दा में रस न लें, बुरा न बोलें।
” वाचस्पतिः वाचं नः स्वदतु’ मंत्र का महाभाव और महान अर्थ जीवन में धारण करें।
5- ” समिधा से प्रेरणा” अपने जीवन को समिधा की तरह सरल, सरस एवं समर्पण से समलंकृत करें।
6- ” घृत से प्रेरणा” घृत से ज्योति,दीप्ति, तेज एवं प्रकाश का देदीप्यमान भाव संवरण करें।
7- ” सामग्री से प्रेरणा” सामग्री विविध वनस्पतियों, औषधियों एवं दिव्य पदार्थों का मिश्रण है। सब पदार्थ एक साथ , एकरूप से, एकव्रत से और एक संकल्प को साकार करने के लिए यज्ञकुंड में जाकर एकाकार होकर एक सुगन्धि से एक महान लक्ष्य को एकीभूत कर लेते हैं। क्या हम मानव सामग्री से मन,वचन एवं कर्म से एक होने का और एकरूपता का पाठ सीखेंगे।
8- ” यज्ञ से जीवननिर्माण की प्रेरणा”– यज्ञ जीवननिर्माण की पाठशाला है, गुणों की प्रयोगशाला है, जीवन जीने की कला है, भारतीय ऋषियों की पावन परंपरा है,यज्ञ में सुख के सनातन सूत्र हैं।
9- ” वेदपाठ से प्रेरणा”– सामवेद के मंत्रों का शुद्ध,स्पष्ट और अनुपम पाठ श्री सत्येन्द्र शास्त्री जी, श्री दयानन्द शर्मा शास्त्री जी एवं संस्कृत महाविद्यालय के दो सुयोग्य छात्र श्रद्धा से करेंगे।श्रुति के श्रवणमात्र से श्रवणेन्द्रिय धन्य हो जाती हैं।साम ही परम रस है। साम ही परम आनन्द है।
10- ” भजनों से प्रेरणा” – भजन गाने वाले गायकों की मधुर एवं रसीली वाणी में भजन सुनें,अपने मन को रस से भरें,भजन गुनगुनायें, भजन में डूब जायें,भजन में झूम जायें, भजन की झंकार से मन झंकृत हो जाये।
” भजन गाने वाले प्रेरक भजनों का चयन करें,पहले अभ्यास करें, सबको भजनामृत का पान करायें।”
11- ” सामवेद से प्रेरणा”– साम का क्या अर्थ है? वेद के कितने अर्थ हैं? सामवेद के पावनतम उपदेश क्या हैं? सामवेद के 1875 मंत्रों में क्या दिव्यभाव हैं? सामवेद की महामहिमा क्या है? सामवेद का पावनतम परम रस क्या है? सामवेद के दिव्य वरदान क्या है? सामवेद में मानवता के मननीय सूत्र क्या हैं?
” वेदानां सामवेदोsस्मि”– योगेश्वर श्रीकृष्ण ने गीता में सामवेद की क्या महिमा बताई है? आदि विचारों को श्रवण करने,चिंतन करने,मनन करने एवं धारण करने का यह सौभाग्यशाली सुअवसर है।
” श्रद्धा से सबको आना है।”
” भक्ति से झोली भरना है।।”
आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा
” यज्ञब्रह्मा”