कंप्यूटर साक्षरता और ग्रामीण किशोरियां
कंप्यूटर साक्षरता से जोड़ना होगा ग्रामीण किशोरियों को
हरीश कुमार
पुंछ, जम्मू
जब से टेक्नोलॉजी का विकास हुआ है, पूरी दुनिया एक गाँव के रूप में सिमट गई है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका कंप्यूटर की है। आज के समय में कंप्यूटर का ज्ञान होना पहली प्राथमिकता हो गई है। टेक्नोलॉजी के इस दौर में बिना कंप्यूटर के आज किसी भी फील्ड में आगे बढ़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो गया है। आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां कंप्यूटर का इस्तेमाल जरूरी ना बन गया हो। गवर्नमेंट फील्ड हो या प्राइवेट सेक्टर, कोई भी क्षेत्र बिना इसके अधूरा है। जब बात कंप्यूटर की आती है तो यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर देश और दुनिया में कंप्यूटर साक्षरता दर कितनी है और कितने प्रतिशत लोग कंप्यूटर से आज के समय में जुड़े हैं?
वैसे तो विश्व का बड़ा हिस्सा कंप्यूटर की जानकारी रखता है। भारत की लगभग शहरी आबादी कंप्यूटर से जुड़ी हुई है। परंतु दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में आज भी कंप्यूटर की साक्षरता दर कम है। विशेषकर पुरुषों की अपेक्षा ग्रामीण महिलाओं और किशोरियां कंप्यूटर की जानकारी से अभी भी दूर हैं। विश्व में सर्वाधिक कंप्यूटर उपयोग वाला देश जहां संयुक्त राष्ट्र अमेरिका है, वहीं अगर भारत की बात की जाए तो इस सूची में भारत का स्थान 19वां है। देश में जहां 59 प्रतिशत पुरुष डिजिटल लिटरेसी हैं, वहीं मात्र 29 प्रतिशत महिलाएं ही कंप्यूटर चलाना जानती हैं। इन आंकड़ों से यह साफ हो जाता है कि कंप्यूटर साक्षरता दर अभी भी भारत में कहीं ना कहीं कम है। इस मामले में महिलाएं तो बहुत पीछे हैं। यह युग कंप्यूटर का है इसलिए महिलाओं और किशोरियों को इसमें दक्ष होना ही पड़ेगा।
लोगों में कंप्यूटर की जानकारी एवं महत्व को बढ़ाने के उद्देश्य से नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफर्मेशन टेक्नोलॉजी के द्वारा साल 2001 में विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस की भी शुरुआत की गई है। प्रति वर्ष 2 दिसंबर को आयोजित इस दिवस के माध्यम से लोगों को कंप्यूटर साक्षरता की दिशा में जागरूक भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से कंप्यूटर साक्षरता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। इस दिशा में भारतीय सेना भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जो जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों के युवाओं विशेषकर किशोरियों को कंप्यूटर की जानकारी देने और उसमें दक्ष करने के उद्देश्य से अपना योगदान दे रही है।
भारतीय सेना की ओर से जम्मू जिला स्थित अखनूर तहसील के सीमावर्ती इलाका ख़ुई मिलान के एक सरकारी हाई स्कूल के छात्र-छात्राओं को तीन माह में कंप्यूटर कोर्स कराने का प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसमें बच्चों को कंप्यूटर की बेसिक जानकारी दी जाएगी ताकि वह इससे न केवल परिचित हो सकें बल्कि भविष्य में इसके माध्यम से रोजगार हासिल कर सकें। इस कोर्स को पूरा करने वाले छात्र-छात्राओं को सर्टिफिकेट भी दिए जाएंगे। इस स्कूल में सेना द्वारा नियुक्त किए गए कंप्यूटर टीचर बलवीर सिंह कहते हैं कि 90 दिनों में हम बच्चों को बेसिक सिखाएंगे और हमारी कोशिश रहेगी कि हर बच्चा इसमें दक्ष हो जाए। उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में छात्राएं उत्साह के साथ इस कोर्स को सीख रही हैं। बलवीर सिंह कहते हैं कि हमारा लक्ष्य है कि हर शहरी क्षेत्रों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी कंप्यूटर की बेसिक जानकारी अवश्य होनी चाहिए। अन्यथा आज के टेक्नोलॉजी के इस दौर में वह पीछे रह जाएंगे।
इस संबंध में आंचलिक शिक्षा अधिकारी विदुषी गुप्ता का कहना है कि पहले बच्चों को स्वयं आर्मी वाले कंप्यूटर सिखाते थे। लेकिन बच्चे रोज आर्मी वालों के पास जाकर कंप्यूटर नहीं सीख पाते थे। जिसको देखते हुए हमारी आर्मी ने स्कूल को 10 कंप्यूटर डोनेट किया है ताकि बच्चों को कंप्यूटर सीखने दूर न जाना पड़े। इसी हाई स्कूल की एक छात्रा संजीवनी वर्मा कहती है कि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर है। जिसके कारण मैं कंप्यूटर सीखने कहीं नहीं जा सकती थी। अब भारतीय सेना ने हमारे स्कूल में कंप्यूटर दिए हैं और साथ में उसे सिखाने के लिए टीचर भी दिया है। जो हमें कंप्यूटर सीखा रहे हैं। यह हमारे लिए बहुत लाभदायक साबित हो रहा है। वह कहती है कि आज का भारत डिजिटल हो रहा है। जिस के चलते हमें कंप्यूटर जरूर सीखना चाहिए।
वहीं सीमावर्ती जिला पुंछ के मंगनाड गाँव में एक गैर सरकारी संस्था “सेवा भारती” ने बच्चों को कंप्यूटर सिखाने के लिए एक सेंटर स्थापित किया है। जहां दो कंप्यूटर दिए गए हैं। इसे सिखाने के लिए संस्था की ओर से एक शिक्षक भी नियुक्त किया गया है। जो प्रतिदिन शाम के समय एक-दो घंटे किशोर और किशोरियों को कंप्यूटर की जानकारी देते हैं। संस्था की यह पहल इस गांव की किशोरियों के लिए वरदान साबित हो रहा है क्योंकि इस गांव में कंप्यूटर साक्षरता दर की बहुत कमी है और महिला कंप्यूटर साक्षरता दर तो ना के बराबर है। इस संबंध में एक 22 वर्षीय स्थानीय किशोर प्रिंस कुमार कहते हैं कि मैं रोज शाम को इस कंप्यूटर सेंटर में एक से दो घंटे सीखने आता हूं। पहले मुझे कंप्यूटर का कुछ भी पता नहीं था। लेकिन अब धीरे-धीरे कंप्यूटर की बहुत सी चीज़ें सीख गया हूं।
वहीं एक 25 वर्षीय महिला सुरक्षा देवी कहती हैं कि कंप्यूटर की जानकारी के बिना डिजिटल बनना मुश्किल है। वैसे तो आज हर इंसान के पास स्मार्टफोन है। जो एक प्रकार का कंप्यूटर ही है। परंतु कुछ चीज ऐसी हैं जिसे सीखे बिना कंप्यूटर की जानकारी अधूरी है। इसलिए मैंने यहां कुछ बेसिक चीजें सीखी हैं। जिसके चलते आज मुझे इंटरनेट की अच्छी खासी जानकारी हो गई है। आज मैं एमएस वर्ड और एक्सेल पर काम करना सीख गई हूँ। यह जानकारी मुझे भविष्य में सफल बनाएगी। वह कहती हैं कि आज की किशोरियों चाहे वह ग्रामीण क्षेत्रों की ही क्यों न हों, उन्हें कंप्यूटर में साक्षर अवश्य होनी चाहिए क्योंकि यह उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा। (चरखा फीचर)