कहा – विश्व भर में मानवीय मूल्यों की प्रेरणा संवहन में गीता समर्थ
बांसवाड़ा, 23 दिसम्बर/ श्रीमद्भगवद्गीता जयन्ती पर श्री गोविन्द गुरु राजकीय महाविद्यालय के राधाकृष्णन् सभागार में गीता जयन्ती महोत्सव शनिवार को आयोजित किया गया जिसमें गीता के उपदेशों को जीवन में आत्मसात कर व्यष्टि से समष्टि तक को कल्याणकारी दिशा एवं दृष्टि प्रदान करने का संकल्प लिया गया। गीता हमें धर्म का पालन करते हुए अधर्म पर विजय प्राप्त करने तथा सद्वृत्तियों का परिपालन करने तथा कराने के लिए प्रेरणा का संचार करती है।
महोत्सव भारतमाता मन्दिर के महन्त संतश्री रामस्वरूप महाराज के मुख्य आतिथ्य तथा कॉलेज प्राचार्या डॉ. कल्याणमल सिंघाड़ा की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। इसमें सामाजिक चिन्तक श्री शिवलहरी, शिक्षाविद् श्री कन्हैयालाल वैष्णव एवं प्राच्यविद्याविद् ब्रह्मर्षि पं. हर्षवर्धन व्यास विशिष्ट अतिथि थे।
गीमा जयन्ती महोत्सव का आयोजन श्री गोविन्द गुरु राजकीय महाविद्यालय और गायत्री मण्डल एवं श्री रामानन्द सरस्वती वेद पाठशाला के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
वैदिक ऋचाओं और गीता श्लोकोच्चारण ने मोहा मन
आरंभ में अतिथियों ने वैदिक ऋचाओं एवं स्वस्तिवाचन के बीच सरस्वती पूजन किया एवं दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का शुभारंभ किया। भारत माता मन्दिर के बालकों तथा श्री रामानन्द सरस्वती वेद पाठशाला एवं गायत्री मण्डल के साधकों द्वारा किया गया सुमधुर वेद पाठ आकर्षण का केन्द्र रहा।
महोत्सव में गीता के विभिन्न प्रमुख श्लोकों का समवेत स्वरों में उच्चारण किया गया। केयूर एवं आशीष दवे, पं. सुशील त्रिवेदी तथा वेद पाठशाला के विद्यार्थियों ने वैदिक सूक्त की सुमधुर प्रस्तुति दी।
प्राचीन वेद परम्परा हुई साकार
वेद विद्वान पं. सूर्यशंकर नागर ने वैदिक ऋचाओं का गान करते हुए सूर्य सूक्त एवं शांखायनी शाखा की ऋचाओं को प्रस्तुत कर प्राचीन वेद परम्परा की याद दिला दी।
गीता सर्वोपरि वैश्विक
इन सभी वक्ताओं ने श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित ज्ञान योग, कर्मयोग एवं भक्तियोग पर अपने विचार व्यक्त करते हुए भगवान श्रीकृष्ण उपदेशित दिव्य वाणी को मानवीय मूल्यों के साथ जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने का महासूत्र निरूपित किया और कहा कि गीता धर्म, भाषा, पंथ, जाति, देश, काल और तमाम सीमाओं से परे असीमित एवं अखूट ऊर्जा स्रोत है जो सदियों से प्रेरणा का संचार कर रही है।
इस दौरान् गीता के ज्ञान, कर्म एवं भक्ति योग पर महन्त रामस्वरूप महाराज, कन्हैयालाल वैष्णव तथा शिवलहरी ने विशेष व्याख्यान दिया। गीता के सार तत्व और सम सामयिक प्रासंगिकता पर डॉ. राजेश जोशी तथा ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के जिला केन्द्र की संचालिका कल्पना दीदी ने गीता पर प्रेरक जानकारी दी।
दुनिया का सर्वोच्च एकमात्र ग्रंथ है गीता
अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. कल्याणकल सिंगाड़ा ने गीता के अतुलनीय महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से प्रकट यह दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयन्ती मनाई जाती है।
आरंभ में स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए प्रो. डॉ. राजेश जोशी ने सभी अतिथियों एवं संभागियों का स्वागत किया और महोत्सव आयोजन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
समारोह का संचालन खुश व्यास एवं आभार प्रदर्शन डॉ. राजेश जोशी ने किया। अन्त में ब्रह्मर्षि पं. हर्षवर्धन व्यास द्वारा प्रस्तुत वैदिक राष्ट्रगान से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
गीता पुस्तकें भेंट
महोत्सव में डॉ. राजेश जोशी, पं. सुशील त्रिवेदी तथा गायत्री मण्डल के उपाध्यक्ष अनिमेष पुरोहित ने अतिथियों का उपरणा से स्वागत किया और गीता पुस्तकें भेंट की। छात्रों को भी गीता की पुस्तकें भेंट की गई।
समारोह में ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी, सामाजिक चिन्तक यशवन्त भावसार, महाविद्यालय के व्याख्यातागण, गायत्री मण्डल एवं वेद पाठशाला के पदाधिकारीगण, सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक चिन्तकों, गणमान्य नागरिकों, महाविद्यालय के संस्कृत विभाग, एम.एम. पूर्वार्द्ध और राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्र-छात्राओं आदि ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।
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