ग्रेटर नोएडा ( अजय कुमार आर्य ) दिनांक 22 दिसंबर को
आचार्य दार्शनेय लोकेश के आवास पर यहां बड़े हर्ष व उल्लास के साथ कॉलोनी के निवासियों ने मकर संक्रांति का पर्व मनाया। इस अवसर पर आचार्य श्री ने सभी उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन किया और ऐतिहासिक एवं ज्योतिषीय गणना के आधार पर यह सिद्ध किया कि वास्तव में मकर संक्रांति का पर्व 22 दिसंबर को ही आता है। उन्होंने कहा कि मध्यकालीन इतिहास में जब भारत की विद्याओं पर ग्रहण लगा तो उस समय वैदिक परंपराओं में परिवर्तन हुआ और लोगों ने भारतीय ऋषि महर्षियों चिंतनशील व्यक्तित्वों के ज्योतिष और विज्ञान संबंधी सिद्धांतों को भी या तो उपेक्षित कर दिया या उनकी मनमानी व्याख्या करनी आरंभ कर दी। जिसकी चपेट में मकर संक्रांति का पर्व प्रमुख रूप से आया।
इस पर्व के विकृत स्वरूप ने हमारे सभी पर्वों की स्थिति को डांवाडोल कर दिया । जिससे संपूर्ण आर्यावर्त अर्थात भारतवर्ष में अपने पर्व और त्योहार को उल्टा सीधा मनाया जाने लगा।
आचार्य श्री ने कहा कि आज समय है कि हम अपने वैदिक और वैज्ञानिक पर्वों को ज्योतिषीय गणना के आधार पर मानना और मनाना आरंभ करें। अवसर पर सेक्टर वासियों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और आचार्य श्री की बात से सहमति व्यक्त करते हुए इस बात का संकल्प लिया कि वह स्वयं मिथ्या अवधारणाओं को छोड़ेंगे और वैज्ञानिक सत्य को स्वीकार करेंगे। आचार्य श्री ने उगता भारत को बताया कि इस अवसर पर ६ अलग-अलग यज्ञपात्रों के द्वारा २४ परिवारों तथा अन्य कुछ आमन्त्रित विद्वान जनों ने हिस्सेदारी सम्पन्न की है। पूर्व प्रधानाचार्य एवं वैदिक प्रवक्ता श्रीमान गजेन्द्र सिंह जी ने सभी याज्ञिकों का गरिमा पूर्ण उद्बोधन किया। उन्होंने पञ्चाङ्ग एवं पर्व सुधार की मशाल लेकर सत्य की आहट को विषय सन्दर्भित विद्वानों तक पंहुचाने में जो श्रम और साहस दिखाया है उसकी भूरी भूरी प्रसंशा की। पूर्व प्राचार्य ने कहा कि भारत वैज्ञानिक ऋषियों के चिंतन का देश है। यदि यहां पर भी पाखंड और अंधविश्वास को बढ़ावा दिया गया तो संपूर्ण संसार में अज्ञानता का अंधकार छा जाना निश्चित है। उन्होंने कहा कि आज के सारे संसार की गति और दिशा को सुधारने के लिए भारत को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर गर्व है कि आचार्य श्री दार्शनेय जी के मार्गदर्शन में भारत अपने अस्तित्व और वास्तविकता को पहचान रहा है। हमें भारत को सही संदर्भ हो और सही अर्थों में समझना होगा इसके लिए आवश्यक है कि इसके वैज्ञानिक चिंतन को और वैदिक सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। इस अवसर पर स्वयं आचार्य दार्शनेय लोकेश एवं वैदिक विद्वान श्री प्रीतम सिंह ने याज्ञिकों का पुरोहित्व सम्पन्न किया है। अंत में सभी उपस्थित जिन्होंने 22 दिसंबर को प्रतिवर्ष मकर संक्रांति मनाने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर डॉ. कृति वत्सला के गाये भजन, “जीवन की घड़ियाँ वृथा न खोवो, ॐ जपो हरी ॐ जपो’ ने सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के उपरान्त यज्ञोच्छिष्ट एवं खिचड़ी का प्रसाद और पुनः सामूहिक भोज उपलब्ध किया गया। कार्यक्रम के अन्त में आचार्य दार्शनेय लोकेश ने आयोजन के मुख्य कार्यकर्ता श्री नवीन कुलश्रेष्ठ श्री चन्द्र प्रकाश यादव एवं श्री अशोक सिंह ग्रेटर नोएडा का, वैदिक विचार मञ्च ग्रेटर नोएडा के सदस्यों सहित सभी उपस्थित भाई बहिनों का हार्दिक धन्यवाद किया।