गांधी महात्मा या महान समलैंगी ?

गोस्वामी तुलसीदास जी ने एक बड़े ही महत्त्व की और और शिक्षाप्रद बात कही है कि ,
“प्राकृत जन कीने गुणगाना . सिर धुन लागि पडा पछताना ”

अर्थात – एक सामान्य और अवगुणों से युक्त व्यक्ति की बढ़ चढ़ कर तारीफें करने वालों को एक दिन सिर पीट पीट कर पछताना पड़ता है . क्योंकि एक न एक दिन उसके कुकर्मों का भंडा फूट जाता है .यह बात मोहनदास करमचंद गांधी पर बिलकुल फिट होती है . जैसे कांगरेसियों ने उसे राष्ट्र पिता बना दिया यानी भारत का बाप , जबकि उसने पाकिस्तान को जन्म दिया था . इसी तरह जब गांधी रवीन्द्र नाथ टैगोर से मिलने शांति निकेतन गया तो तो उसको गुरुदेव कह कर अभिवादन किया था . और जवाब में टैगोर ने गांधी को महात्मा कह दिया . फारसी की एक कहावत है ”
” मन तुरा मुल्ला बिगोयम तू मिरा काजी बिगो “
यानि मैं तुझे मुल्ला जी पुकारना , और मैं तुझे काजी साहब कहा करूँगा .
इसी तरह कांगरेसियों ने नेहरू को “पंडित ‘ की उपाधि देकर उसे महान बना दिया . जबकि आज भारत का एक एक व्यक्ति जान चूका है कि भारत का विभाजन करा कर पाकिस्तान को जन्म देने वाला गाँधी ही था और कश्मीर को देश के लिए सर दर्द बनाने वाला नेहरु ही था .लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि जिसे कांगरेसी महात्मा कहते हैं वह एक महान सम लैगिक (Gay ) था .जिसे पुरुषों के साथ कुकर्म करवाने की आदत थी .अभी तक यह बात छुपी हुई थी लेकिन ,लेकिन 30 जनवरी सन 2013 में कांगरेसियों के बाप और स्वंभू महात्मा की पोल खुल गयी , जब इसकी 65 वीं जन्म तिथि मनाई जा रही थी .

1-गांधी की गंदी कथा
अमेरिका के एक “पुल्त्जर विजेता ( Pulitzer Prize-winning ) ” लेखक लेविल्ड ( Joseph Lelyveld ) ने गांधी की जीवनी लिखी है , जिसे ” अल्फ्रेड ए नोप (Alfred A Knop)ने सन 2011 में प्रकाशित किया है . इस किताब का नाम” महात्मा गांधी एन्ड हिज स्ट्रगल विथ इण्डिया ( greate soul mahatma gandhi and his struggle ) है .इस किताब में गाँधी और उसके एक जर्मन दोस्त के समलेंगी संबंधों के बारे में बड़ी चौंकाने वाली बातें बतायी गयी हैं , जो खुद गाँधी के जर्मन दोस्त ” हर्मन कौलेन बाश -Hermann Kallenbach ” ने बताई हैं .इसने कहा है कि जब गाँधी की कस्तूर बा से शादी हुई थी ,तो उसकी आयु 14 साल थी .और चार बच्चों को जन्म देने के बाद गाँधी ने सन 1908 में कस्तूरबा को छोड़ दिया था .और उसे एक जर्मन यहूदी के पास रख दिया था .उन दिनों में गाँधी दक्षिण अफ्रीका में काम कर रहे थे .वहीँ गाँधी की दोस्ती हर्मन कोलेन बाश से हुई थी , जो जर्मनी से आकर दक्षिण अफ्रीका में रहने लगा था , गाँधी उसी के साथ 1908 से 1910 तक एक ही घर में दो साल तक रहे . इसी दौरान गाँधी और उनके दोस्त में अनैतिक और समलेंगी संबध बन गए .और गाँधी इस व्यक्ति को उसी तरह प्यार करते थे ,जैसे कोई स्त्री अपने पति से प्यार करती है .गांधी ने पत्र में उस मित्र को लिखा था कि
“तुमने मेरे शारीर पर पूरा नियंत्रण कर लिया है . मैं तुम्हें इतना चाहता हूँ कि मैंने तुम्हारी तस्वीर अपने बेडरूम में लगा रखी है ”
.इस किताब में यह भी लिखा है कि गाँधी अपने दोस्त को प्रेमपत्र भी लिखा करते थे . जिनमे अश्लील शब्दों का प्रयोग भी होता था .आज यह पत्र इंगलैंड के संग्राहलय में मौजूद हैं
.2-गाँधी की नामर्दी
गाँधी पाखण्ड लीला में प्रवीण था , वह सार्वजनिक रूप से खुद को ब्रह्मचारी बताता था , लेकिन उसको नामर्दी की ऐसी बीमारी थी ,कि औरतों के सामने उसके लिंग में कोई उत्थान नहीं होता था .चाहे उसके सामने कोई नग्न स्त्री क्यों न आ जाये लेकिन जब वह अपने दोस्त से मिलता था .तो उसके लिंग में चेतना आ जाती थी जैसा कि इस किताब में लिखा है ,

“Gandhi’s organ only became aroused with his naked young ladies, because the love of his life was a German-Jewish architect and bodybuilder, Hermann Kallenbach”गाँधी ने जो पत्र कोलेन बाश को लिखे हैं ,उनमे गाँधी ने अपनी इस आदत स्वीकार किया है . और जब इतने सालों के पत्रों बाद को पढ़ा गया तो गाँधी के ब्रह्मचर्य का भंडा फ़ूट गया .और जब सन 2012 में गांधी के उन गंदे पत्रों की नीलामी की बात कांगरेस सरकार को पता चली तो उनके हाथ पैर फूल गए . चूँकि वह पत्र इंगलैड की एक ऐसी निजी संस्था के कब्जे में थे , जिस पर भारत की सरकार कोई दवाब नहीं डाल सकती थी .इसलिए सरकार ने उस सार्वजनिक नीलामी को रोकने के लिए एक उपाय किया .
3- पैसे देकर नीलामी रोकी
जब कांगरेसियों को डर लगा कि यदि गांधी के उन गंदे पत्रों नीलामी हो जाएगी तो दुनिया लोग उन पत्रों को पढ़ कर गांधी के ऊपर थूकेंगे , इसलिए सरकार ने 1.3 मिलियन डालर ( $1.3 Million ) देकर उन पत्रों की नीलामी रुकवा दी .यह खबर अंगरेजी अखबार ” दि हफिंगस्टन पोस्ट – The Huffington Post ” में दिनांक 7दिसंबर 2012 में छपी है .पूरी खबर इस प्रकार है ,
Indian Government Spends $1.3 Million To Stop Auction Of Gandhi Letters That May Show He Was Gay

The Huffington Post : By Laura Hibbard

Posted: 07/12/2012 1:40 pm Updated: 07/12/2012 4:22 pm

कांगरेसी सरकार ने सोचा होगा कि पैसा देकर गाँधी के कुकर्मों पर पर्दा पड़ा रहेगा , लेकिन किसी न किसी तरह से वह पत्र लोगों के हाथों में आगये और गांधी को महात्मा और राष्ट्रपिता बताने वालों का मुंह काला हो गया .
इसलिए जो लोग ऐसे समलेंगी व्यक्ति को अपना आदर्श मानतेहैं , वह इस लेख को जरुर पढ़ें .गाँधी जयंती के उपलक्ष पर यह लेख उन लोगों को समर्पित है .इसके बारे में यू ट्यूब में एक विडिओ देखिये .
Mahatma Gandhi Gay

.वैसे यह लेख हिंदी अखबार ” दैनिक जागरण में 29 मार्च सन 2011 को भी छाप चूका है .
इसलिए वरुण को छोड़ कर सभी गांधी ( गन्दी ) लोगों से दूर रहें .इसी मे देश और धर्म की भलाई है

(200/131)(20/10/2013)

बृजनंदन शर्मा

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