दिग्विजय का सच और कांग्रेस की राजनीति
दिग्विजय सिंह उर्फ़ दिग्गी राजा अपने हिन्दू विरोधी विचारों ,और बेतुके बयानों के लिए जाने जाते हैं .सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि दिग्गी को सभी हिन्दू संगठनों से घोर एलर्जी है .चाहे वह आर एस एस हो या बी जे पी .चाहे बाबा रामदेव हों या अन्ना हजारे .दिग्गी कि नजर में वे सब लोग आतंकवादी और भ्रष्ट हैं ,जो भ्रष्टाचार का विरोध करता हो .लोग यह भी जानते हैं कि दिग्गी ने मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री की कुर्सी फिर से हथियाने के लिए चापलूसी और खुशामदखोरी की हदें पर कर दी हैं .
अपनी इसी स्वामीभक्ति के कारण वह पार्टी के महामंत्री और उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी बनाये गए है .कान्ग्रेसिओं की नजर में दिग्गी एक वरिष्ठ .निष्ठावान ,और पार्टी के प्रति समर्पित नेता हैं .
लेकिन यदि कोई यह कहे कि दस सालतक मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री रहते हुए ,दिग्गी ने खुद कांग्रस को चूना लगाया ,भोपाल स्थित कांग्रेस के कार्यालय “जवाहर भवन ‘को फर्जी ट्रस्ट बनाकर अपने क़ब्जे में कर लिया ,भवन से लगी हुई दुकानों का किराया हड़प कर लिया ,अदालत में झूठा शपथ पत्र दिया ,अपने लोगों को फर्जी कंपनिया बना कर रुपयों का घोटाला किया ,पार्टी में अपराधियों को संरक्षण दिया .तो कांग्रेसी ऐसा कहने वाले को फ़ौरन आर एस एस का आदमी कह देंगे ,और अगर कोई यह कहे कि दिग्विजय सिंह सार्वजनिक रूप से इंदिरा गाँधी को “राजनीतिक वेश्या “और सोनिया को “फोरेन माल “यानी विदेशी कहता था ,तो कांग्रेसी उस व्यक्ति को बाबा रामदेव ,या अन्ना हजारे का चमचा कह देंगे .
लेकिन यह सब आरोप किसी संघी या बाबा रामदेव के आदमी ने नहीं ,बल्कि मध्य प्रदेश कांगेस पार्टी के चेयर मेन Chairman ने लगाये हैं जो सन 1978 से 1993 तक पार्टी में बने रहे .और उनको Minister Status का दर्जा प्राप्त था .यही नहीं ,यह व्यक्ति राजीव गांधी के काफी निकट थे .इनके कार्यकाल में अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह एम् .पी में मुख्य मंत्री रहे .इन महोदय का नाम श्री आर. एम् .भटनागर है .आज इनकी आयु 76 के लगभग है .भटनागर जी ने दिग्विजय पर जो भी आरोप लगाये हैं .वह उन्होंने शपथ पूर्वक बताये हैं .जिनकी पुष्टि ,अखबारों ,विधानसभा के रिकार्ड ,और प्रमाणिक गुप्त दस्तावेजों से होती है .यही श्री भटनागर ने इसकी सूचना Top Secret पत्र दिनांक 9 अगस्त 1998 और दिनांक 29 सितम्बर 2001 को सोनिया को देदी थी .यह खबर इंदौर से साप्ताहिक “स्पुतनिक “ने अपने अंक 42 वर्ष 47 औरदिनांक 31 जनवरी -6 फरवरी के अखबार में विस्तार में छापी थी .,
अब हम दिग्विजय के कुछ कारनामों का सप्रमाण एक एक करके भंडा फोड़ेंगे जैसे ,
1 .जवाहर भवन की संपत्ति हड़प करना
,2 .अपने लोगों को नाजायज फायदा पंहुचाना ,
3 .अपराधियों को संरक्षण देना
,4 इंदिरा गाँधी के लिए वेश्या कहना .
1 -जवाहर भवन की संपत्ति गबन करना
दिग्विजय सिंह ने पहला घोटाला कांग्रेस की सम्पति को हड़प करने का किया था .सन 2006 से पूर्व म.प्र काग्रेस कमेटी का मुख्य कार्यालय लोक निर्माण विभाग के एक शेड में कहता था. बादमे मद्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी को अपना भवन बनाने हेतु म.प्र. आवास और पर्यावरण विभाग ने आदेश क्र. 3308 /4239 दिनांक 30 /11 /74 और पुनर्स्थापित आदेश दिनांक 30 अगस्त 1980 तथा आदेश दिनांक 20 /11 81 द्वारा रोशन पूरा भोपाल के नुजूल शीट क्रमांक 3 प्लाट 7 में 5140 वर्ग फुट जमीं बिना प्रीमियम के एक रूपया वार्षिक भूभाट लेकर स्थायी पट्टे पर आवंटित कर दिया था .और उस भूखंड का विधिवत कब्ज़ा कांग्रस कमिटी को नुजूल से लेकर 23 /11 81 को सौप दिया .भवन निर्माण हेतु सदस्यों और किरायेदारों से जो रुपया जमा हुआ उस से तीन मंजली ईमारत बनायीं गयी .जिसमे दो बड़े हाल और साथ में 59 दुकानें भी थीं .इस भवन का नाम “जवाहर भवन शोपिंग कोम्प्लेक्स “रखा गया. इस भवन की भूमि पूजा तत्कालीन मुख्य मंत्री अर्जुन सिंह ने 16 अगस्त 1984 को की थी.और उद्घाटन राजीव गाँधी ने किया था. निर्माण हेतु सदस्यों के चंदे से 29 .84 लाख और किराये से 66 .78 लाख जमा हुए थे. और कराए की राशी से पार्टी का खर्च चलने की बात कही गयी थी .
बबाद में दिग्विजय सिंह ने 19 /12 /85 को एक फर्जी ट्रस्ट बनाकर उस भवन पर कब्ज़ा कर लिया .यद्यपि उस ट्रस्ट का नाम “कांग्रेस कमिटी ट्रस्ट “था लेकिन उसका कांग्रेस से कोई सम्बन्ध नहीं था .दिग्विजय ने अनुभागीय अधिकारी (तहसीलदार )के समक्ष शपथपत्र देकर कहा की यह ट्रस्ट पुण्यार्थ है. और जवाहर भवन की सारी चल अचल सम्पति इसी ट्रस्ट की है .इस तरह कांग्रस दिग्विजय की किरायेदार बन गई .देखिये
(देशबंधु दिनांक 6 दिसंबर 1998 )
दिग्विजय ने उस ट्रस्ट का खुद को अध्यक्ष बना दिया .उक्त ट्रस्ट में निम्न पदाधिकारी थे.
अध्यक्ष -दिग्विजयसिंह पुत्र बलभद्र सिंह 2 .मोतीलाल वोरा ट्रस्टी 3 .जगत पाल सिंह मेनेजिंग ट्रस्टी .
इस ट्रस्ट के विरुद्ध न्यायालय अनुभागीय अधिकारी तहसील हुजुर भोपाल में एक जनहित याचिका भी दर्ज कीगयी थी. जो प्रकरण संख्या 04 बी -113 /85 -86 दिनांक 12 जुलाई 88 में दर्ज हुआ था. बाद में यह मामला श्री आर .एम् .भटनागर ने विधान सभा में भी उठवाया.म.प्र. विधान सभा के प्रश्न संख्या 9 (क्रमांक 579 )दिनांक 23 फरवरी 96 को उक्त ट्रस्ट के बारे में श्री करण सिंह ने यह सवाल किया था .क्या राज्यमंत्री धार्मिक न्यास यह बताने का कष्ट करेंगे की इस ट्रस्ट के पंजीयन के समय तक कितनी बार ट्रस्टियों के नाम बदले गए हैं ?जैसा की भटनागर ने 24 दिसंबर 98 को प्रश्न किया था .और पंजीयक से शिकायत की थी ?
इस पर विधान सभा में राज्यमंत्री धार्मिक न्यास श्री धनेन्द्र साहू ने उत्तर दिया था कि अबतक उक्त ट्रस्ट के ट्रस्टी चार बार बदले गए हैं और ट्रस्ट के भवन कि दुकाने पट्टे पर नहीं बल्कि किराये पर दी गयीं है. और इसकी अनुमति भी नहीं ली गयी थी .यही नहीं उक्त ट्रस्ट कि औडिट रिपोर्ट भी 31 मार्च 2000 तक नहीं दी गयी है .
इसके बाद दिग्विजय सिंह ने दुकानों से प्राप्त कराए क़ी पार्टी को न देकर अपने निजी काम में लगाना सुरु कर दिया .जिसकी खबर इंदौर से प्रकाशित “Free Press Journal “ने दिनांक 5 नवम्बर 1986 को इस हेडिंग से प्रकाशित की थी.”Digvijay accused of misusing party funds ”
श्री भटनागर ने बताया कि जवाहर भवन की 59 दुकानों से मिलाने वाले किराये से प्रति माह दो तीन लाख रुपये कि जगह सिर्फ मुश्किल 65000 /- ही जमा होते थे .इस प्रकार अकेले 10 सालों में करोड़ों का घपला किया गया है. उक्त ट्रस्ट का खाता पंजाब नॅशनल बैंक की भोपाल टी .टी. नगर ब्रांच में थी .जिसका खता नुम्बर 19371 है. खाते से पता चला कि 1 अप्रेल 2001 से 26 मार्च 2003 तक ट्रस्ट से “एक करोड़ ,इक्कीस लाख ,एक हजार छे सौ उनचास “रुपये नकले गए थे. जिसमे सेल्फ के नाम से 162739 /- दिग्विजय ने निकला था .बैंक का लोकर भी थी .जिसमे कई मूल्यवान वस्तुएं भी थी जो भेंट में मिली थी .असके आलावा नकद राशी भी थी .भटनागर ने बताया कि उस समय खाते में ग्यारह करोड़ राशी थी .लोकर कि दो चाभियाँ थी .एक जगतपाल सिह के पास ,और दूसरी दिग्विजय के पास थी .जब जगतपाल कि मौत होजाने के बाद लोकर खोला गया तो उसकी कीमती चीजे गायब थी .और खाते से 9 करोड़ रुपयों का कोई हिसाब नहीं मिला,देखिये साप्ताहिक पत्र इंदौर से प्रकाशित”
स्पुतनिक “दिनांक 31 जनवरी 2005 .
इसी पत्र में yah भी लिखा है कि दिग्विजय से ट्रस्ट से सेल्फ के नाम से 65000 /- निकाला था .और अपने मित्र राधा किशन मालवीय को स्कोर्पियो खरीदने को दिया था .बाद में उस गाड़ी को को शाजापुर में दुर्घटना ग्रस्त बता दिया था.आज भी जवाहर भवन दिग्विजय के कब्जे में है .श्री भटनागर ने इसकी शिकायत सोनिया को 31 जनवरी 2005 लिखित में शपथ पूर्वक कर दी थी .और मांग कि थी कि दिग्विजय से कांग्रेस की सम्पति वापस करवाई जाये .और उसे राजनीतिक सन्यास पर भेज दिया जाये .
वास्तव में दिग्विजय ऐसा व्यक्ति है जिसने खुद कांग्रेस को चूना लगाकर करोड़ों रुपये हड़प लिए .मेरे पास कई सबूत हैं .यदि कोई मित्र यह जानकारी बाबा राम देव या अन्ना हजारे तक पहुंचा दे तो यह दस्तावेज उनको भेजे जा सकते है .
अगले एपिसोड में दिग्विजय के आर्थिक घोटालों का भंडा फोड़ किया जायेगा .आप अवश्य पढ़िए .!
(87/46)Date -27/06/2011
बहुत से लेख हमको ऐसे प्राप्त होते हैं जिनके लेखक का नाम परिचय लेख के साथ नहीं होता है, ऐसे लेखों को ब्यूरो के नाम से प्रकाशित किया जाता है। यदि आपका लेख हमारी वैबसाइट पर आपने नाम के बिना प्रकाशित किया गया है तो आप हमे लेख पर कमेंट के माध्यम से सूचित कर लेख में अपना नाम लिखवा सकते हैं।