श्री कृष्ण जन्मभूमि के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
1947 में घोसी मुसलमानों के अवैध कब्जे मे थी कृष्ण जन्मभूमि
फिर उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला ने कैसे बनवाया मंदिर ?
-1670 में औरंगजेब ने मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़ दिया था…
उसके बाद 281 सालों तक कृष्ण जन्मभूमि पर कोई मंदिर नहीं था…
सिर्फ एक बहुत छोटा सा अस्थाई मंदिर बनाकर घंटा लगा दिया गया था
जहां स्थानीय पंडे और पुजारी दर्शन करवाते थे…
वो प्रतीक रूप में ही था…
कि यहां पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ है
-आज जिस मंदिर को हम कृष्ण जन्मभूमि पर देखते हैं
वो सिर्फ 30-40 साल ही पुराना है…
इस मंदिर का निर्माण कार्य 1984 में पूरा हुआ था…
इस वर्तमान मंदिर का निर्माण कैसे हुआ ?
आपको समझाते हैं…
-आजादी के पहले करीब साल 1940 में उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला ने मथुरा का दौरा किया था..
तब उन्होंने देखा था कि कृष्णजन्मभूमि की जमीन पर घोसी मुसलमानों ने अवैध कब्जा जमा रखा था
-इसके अलावा बहुत लंबे समय से यहां पर पुराने तोड़े गए मंदिरों का मलबा भी पड़ा हुआ था…
- जुगल किशोर बिड़ला ने जब कृष्ण जन्मभूमि का बुरा हाल देखा तो वो काफी दुखी हुए । 1940 में जुगल किशोर बिड़ला ने मदन मोहन मालवीय को एक चिट्ठी लिखकर
कहा कि वो पैसा लगाने को तैयार हैं
आप यहां पर एक भव्य केशवदेव मंदिर का निर्माण करवाइए । -
लेकिन केशव देव का मंदिर बनाने के लिए पहले कृष्ण जन्मभूमि की जमीन को खरीदना जरूरी था ।
-1707 में औरंगजेब की मृत्यु हुई
और 1803 में मराठों ने मुगलों को गोवर्धन के युद्ध में हरा दिया
और उन्होंने कृष्ण जन्मभूमि को सरकारी जमीन घोषित कर दिया
-1803 में अंग्रेजों ने मराठा सूबेदार दौलतराव सिंधिया को हराकर
मथुरा पर कंट्रोल कर लिया ।
अंग्रेजों ने भी मराठों की पॉलिसी को जारी रखते हुए
कृष्ण जन्मभूमि को सरकारी जमीन ही दर्ज रहने दिया
- 1815 तक कृष्ण जन्मभूमि सरकारी जमीन के तौर पर दर्ज थी…
लेकिन साल 1815 में अंग्रेजों ने कृष्ण जन्मभूमि की नीलामी की -
बनारस के राजा पटनीमल ने साल 1815 में 13.37 एकड़ का पूरा कृष्ण जन्मभूमि परिसर खरीद लिया ।
जहां मस्जिद खड़ी थी
वो जमीन भी राजा पटनीमल के नाम पर लिख दी गई -
साल 1832 में शाही ईदगाह के मुअज्जिन ने ब्रिटिश कोर्ट में केस दायर किया
लेकिन अंग्रेज जजों ने ईदगाह के मुअज्जिन का केस खारिज कर दिया -
1947 के पहले पूरी कृष्ण जन्मभूमि
बनारस के राजा पटनीमल के वंशज राय किशन दास के नाम पर थी। -
8 फरवरी 1944 को मदन मोहन मालवीय की मदद से
जुगल किशोर बिड़ला ने 13.37 एकड़ की ये पूरी जमीन
राय किशन दास से 13 हजार रुपए में खरीद ली -
साल 1951 में कृष्ण जन्मभूमि से यथा संभव अवैध कब्जे हटवाए गए ।
फिर जुगल किशोर बिड़ला ने 21 फरवरी 1951 को श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की…
तब मदन मोहन मालवीय की मृत्यु हो चुकी थी
लेकिन जुगल किशोर बिड़ला ने मदन मोहन मालवीय के सपने को साकार करने के लिए जन्मभूमि पर निर्माण कार्य शुरू करवाया
-उद्योगपति विष्णु हरि डालमिया
और रामनाथ गोयकना ने भी कृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए काफी धन खर्च किया…
और इस तरह औरंगजेब के द्वारा मंदिर का विध्वंस किए जाने के 281 साल बाद दोबारा कृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर बनकर तैयार हुआ ।
-आगे हम आपको बताएंगे कि ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने जब 16,500 करोड़ की कीमत का भव्य मंदिर कृष्ण जन्मभूमि पर बनवाया
तो उस वक्त जहांगीर ने धर्मांध होने के बाद भी मंदिर बनने का विरोध क्यों नहीं किया ?