अभी हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में गए और बीजेपी राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में पूर्ण ही नहीं अपितु प्रचंड बहुमत लेने में सफल हुई । उसके बाद भाजपा ने जिस प्रकार अपने तीन नए मुख्यमंत्रियों के नामों की घोषणा की है उससे अच्छे-अच्छे राजनीतिक विश्लेषकों के मस्तिष्क घूम गए हैं। किसी ने भी नहीं सोचा था कि इन तीनो प्रांतों में इस प्रकार के नए चेहरे देखने को मिल सकते हैं। अब जबकि पूरा देश भाजपामय हो गया है तो सारे राजनीतिक बाजार में सन्नाटा छाया हुआ है । भाजपा से अलग कोई भी राजनीतिक दल यह नहीं समझ पा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए वह क्या रणनीति अपनाये ? भाजपा अपनी रणनीति पर काम करती भी दिखाई दे रही है और वह काम करते-करते इतनी दूर निकल गई है कि अब उसे पकड़ना कॉन्ग्रेस सहित किसी भी राजनीतिक दल के वश की बात नहीं रही है। इस सारी स्थिति को देखकर खरगोश और कछुए की वह कहानी याद आती है जिसे हम बचपन में पढ़ा करते थे। जिसमें खरगोश सोता रह गया था और कछुआ धीरे-धीरे आगे निकल गया था।
यदि हम लोकतंत्र की सच्चाई पर विचार करें तो पता चलता है कि लोकतंत्र में एक दो कदम आगे निकल गया व्यक्ति भी बाजी मार गया लगता है। यदि इन प्रांतों में से छत्तीसगढ़ में भी यदि कांग्रेस की सरकार आ गई होती तो आज हम यह नहीं कहते कि सारा देश भाजपा के रंग में रंग गया है। पर आज का सच यही है जो एक नेरेटिव के रूप में देश के आम मतदाता के मन मस्तिष्क में सेट हो चुका है कि भाजपा बाजी मार चुकी है और यही वह नेरेटिव होगा जो 2024 में भाजपा को सत्ता में लौटने में सहायक होगा।
वास्तव में, प्रधानमंत्री मोदी 2019 में ही अगले लोकसभा चुनावों की तैयारी में लग गए थे । जब प्रधानमंत्री मोदी ने धारा 370 को हटाया तो उसके माहौल को वह धीरे-धीरे सारे देश में कैश करते रहे। उसके पश्चात राम मंदिर का निर्णय आया। उस निर्णय के पश्चात एक नया निर्णय लिया गया कि राम मंदिर का निर्माण कब तक पूरा करना है ? उस निर्णय से 2024 को बांध दिया गया कि जब राम मंदिर का उद्घाटन होगा तो उसे 2024 में विजय दिलाने के लिए किस प्रकार कैश कर लेना है ? कांग्रेस इस पर जितना ही बोलती थी, उतना ही भाजपा को लाभ होता था। कांग्रेस यह नहीं समझ पाई कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रचे गए चक्रव्यूह में वह गिर चुकी है। पार्टी के बड़े नेता राहुल गांधी इस चक्रव्यूह में फंस तो गए हैं पर निकलना नहीं जानते।
भाजपा की तैयारियों के बीच कॉन्ग्रेस सहित सारा विपक्ष पूरे 5 वर्ष जूतों में दाल बांटता रह गया। अब जबकि इंडिया गठबंधन के माध्यम से विपक्ष ने सत्ता स्वार्थ के लिए ही सही अपनी एकता को दिखाने का एक प्रयास किया है तो वह भी इन विधानसभा चुनावों में औंधे मुंह गिर गया है। देश की जनता ने देख लिया है कि सारा विपक्ष अभी भी बेसुरे राग ही निकाल रहा है।
भाजपा ने विपक्ष से कई कदम आगे जाते हुए अपने तीनों जीते हुए प्रदेशों में मुख्यमंत्री के रूप में नए चेहरे जनता को दिए हैं। निश्चित रूप से नए चेहरों से नई अपेक्षाओं के साथ जनता जुड़ने का प्रयास करती है। नए नेता भी परंपरागत ढर्रे को बदलकर कुछ नया देने का प्रयास करते हैं। इसका लाभ निश्चित रूप से भाजपा को मिलने जा रहा है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ को एक आदिवासी विष्णु देव साय के हाथों में , मध्य प्रदेश को मोहन यादव अर्थात एक ओबीसी के हाथों में तथा राजस्थान को भजनलाल शर्मा के रूप में एक ब्राह्मण के हाथों में सौंप कर भाजपा ने देश के सर्व समाज को साधने का प्रयास किया है। नहीं लगता कि प्रधानमंत्री के इस कार्ड का कोई जवाब विपक्ष के पास है। प्रधानमंत्री मोदी ने तीन नए चेहरों को काम करने का अवसर देकर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि उनका लक्ष्य जनता के काम निपटाना है। इसके लिए नए चेहरे नई अपेक्षाओं और नई संभावनाओं के साथ आगे आने चाहिए। नई ऊर्जा नई गतिशीलता लेकर आती है। जिससे नई संभावनाओं के द्वार खुलते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रकार के निर्णय से विपक्ष की सारी राजनीति तार तार होकर रह गई है। विपक्ष जितना ही ओबीसी, एससी/ एसटी आदि के मकड़जाल में मोदी की भाजपा को उलझाने का प्रयास कर रहा था, उतनी ही सफलता के साथ वर्तमान समय में पीएम मोदी ने अपना तीर चल दिया है । जो सीधे विपक्ष के कलेजा में जाकर लगा है। जितनी देर में विपक्ष अपने कलेजा से इस तीर को निकाल कर कुछ नॉर्मल होने का आभास देगा, उतनी देर में तो ‘शिकार’ प्रधानमंत्री मोदी के हाथों में होगा।
जब नादिरशाह दिल्ली पर हमला करने के लिए अपने देश से चला था तो दिल्ली के बादशाह मोहम्मद शाह रंगीला के गुप्तचरों ने उसके चलने के समय से ही बार-बार आ आकर बादशाह को यह सूचना दी थी कि अब नादिरशाह अमुक स्थान पर आ चुका है अब अमुक स्थान पर आ चुका है। पर दिल्ली का मुगल बादशाह अपने रंगीले स्वभाव के कारण अपनी रंगीनियों में खोया रहा और बार-बार एक ही बात कहता था कि ‘अभी दिल्ली दूर है।’ बस, यही कुछ आज के विपक्ष के साथ हुआ है। जो 5 साल सत्ता सुंदरी के सुनहरे ख्वाबों में खोया रहा और चुनावों के बारे में सोचता रहा कि ‘अभी दिल्ली दूर है।’ समय आने पर सब कुछ कर लिया जाएगा। अब जबकि चुनाव सिर पर आ गए हैं तो विपक्ष को कुछ भी नहीं सूझ रहा है।
सारे विपक्ष को पाला मार गया है। लंगडी सोच का शिकार बना विपक्ष इस समय पैर की मोच का भी शिकार है। पाला मारी हुई फसल कभी खड़ी नहीं होती ।लंगडी सोच कभी अच्छा सोचने नहीं देती और पैर की मोच कभी आगे बढ़ने नहीं देती। बार-बार गठबंधन के नाम पर नए-नए ठगबंधन ला लाकर जनता को दिखाना पाला मारी हुई फसल है। धारा 370 को फिर से बहाल कराने की वकालत करना लंगडी सोच है। घर में बैठे रहकर यह उम्मीद करते रहना कि प्रधानमंत्री मोदी कोई गलती करेंगे और उनके विकेट गिरने पर सत्ता स्वयं हमें मिल जाएगी, पैर की मोच है। अब देश की जनता को इस प्रकार की राजनीतिक मूर्खताओं से निर्मित किया जाना संभव नहीं है।
विपक्ष उन देशद्रोही लोगों के हाथों की कठपुतली बन चुका है जो देश में इस्लामी सत्ता स्थापित कर देश के हिंदू समाज को उसी तरीके से खत्म करने के ख्वाब देख रहे हैं जैसा कि पाकिस्तान में किया जा चुका है। इसके लिए देश की जनता को भी जागरूक रहने की आवश्यकता है। भारत को इस्लामिक देश बनाने की तैयारी कर रहे ये लोग अपने राजनीतिक गुणा भाग में इस समय कहीं यादव को तो कहीं हरिजन को और कहीं ओबीसी को अपने साथ लाकर हुकूमतों को बदलने की कोशिश में लगे हुए हैं । आज ये उन अर्द्ध हिंदुओं से अपने लिए काम ले रहे हैं जो हिंदू होकर मुस्लिम हितों की वकालत करते हैं, कल को सत्ता प्राप्त करने के पश्चात ये वही करेंगे जो इनके पूर्वजों ने किया था।
डॉ राकेश कुमार आर्य
(लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है। )