512 विक्रम में जब राजा स्कंद गुप्त की ओर से पंचायती संगठन के नाम पत्र लिखा गया तो उस समय खाप पंचायत के 500 नेता एकत्र हुए। जिनमें 500 सामंत भी एकत्रित हुए थे। दो लाख की सेना एकत्रित की गई थी और यह सारी सेना उस समय हूणों के विरुद्ध राजा को दे दी गई थी। यह लेख पुरानी पोथियों से वर्तमान सर्वखाप पंचायत के लेखक जगानंद भाट ने लिखा था।
आगे चलकर 594 वि0 में राजा यशोधर्मा को भी 75000 वीर मल्ल योद्धा पंचायत ने हूणों से लड़ने के लिए दिए थे। राजा यशोधर्मा के बारे में लिखा गया है कि उनका वजन 7- 8 मन का था । बहुत ही विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे। मंदसौर से वह शासन कर रहे थे। जिस समय राजा यशोधर्मा ने पंचायत के सामने सेना की सहायता लेने का आवेदन करते हुए अपना भाषण दिया था उस समय वहां उपस्थित देवियों ने 100 मन स्वर्ण के आभूषण उतार कर राजा को हथियार खरीदने के लिए दे दिए थे। जब रण के लिए सेना ने प्रस्थान किया था तो उस समय 5000 हाथी, 80000 घोड़े ,15000 ऊंट , 3000 रथ, 10000 बैलगाड़ी, और 2 लाख पैदल सेना चली थी। सब बिरादरियों के वीर योद्धा एक झंडे के नीचे जमा हो गए थे।
महा बलवान गुर्जर सरदार बलकर्ण
उस समय राजा के एक महा बलवान गुर्जर सरदार बलकर्ण ने 10000 घोड़े, 5000 हाथी, 500 ऊंट और 15000 पैदल सैनिकों से मिहिरकुल के दाएं पार्श्व पर भयंकर आक्रमण कर दिया। मिहिरकुल के ठीक सामने बीचों बीच महावीर शंकरदेव यादव और यशोधर्मा हूण सेना की छाती पर चढ़ गए। भयंकर संघर्ष हुआ। महासेनापति बलकर्ण रात्रि के युद्ध में भारत माता की रक्षाहित वेदी में प्राणों की बलि चढ़ाकर अमर हो गए। इस युद्ध में मिहिरकुल की सेना को भागना पड़ा था। उस समय राजपूत सरदार शालिचंद्र का भी इस विजय में विशेष योगदान रहा था।
राजा दाहिर को दिया पंचायत ने सहयोग
जब मोहम्मद बिन कासिम से पहले खलीफा द्वारा अब्दुल्ला के नेतृत्व में राजा दाहिर सेन के विरुद्ध सेना भेजी गई थी तो उस समय भी पंचायती सेना ने देश की रक्षा के लिए 75000 पंचायती सेना राजा दाहिर सेन को दी थी। देवल बंदरगाह के रक्षक मोहना जाट और भानु गुर्जर बनाए गए थे। जस्सा राजपूत ( राजा दाहिर सेन का पुत्र जयसिंह ) का भी उस समय विशेष योगदान रहा था। जस्सा ने अपने भाषण में कहा था कि मोहना और भानू मेरे पिता हैं ।मैं प्रधान सेनापति इनका बनाया हुआ हूं। उनकी आज्ञा में चलूंगा । जस्सा ने तलवार हाथ में लेकर प्रण किया कि प्राण रहते मातृभूमि की रक्षा करेंगे। भानू गुर्जर ने कहा कि राजकुमार जस्सा तू हमारा पुत्र है। बेटे बढ़ता चल, खून देकर देश की रक्षा करना हमारा धर्म है । आज सुपुत्र और कुपुत्र की परीक्षा है। जो कायर है, अभी से लड़ाई से हट जाए।
इन तीनों वीर योद्धाओं ने डेढ़ घंटे की लड़ाई में अरबों की सेना के पैर उखाड़ दिए थे। अब्दुल्ला मारा गया था। 35000 अरबी सेना में से 27000 सेना मारी गई और 8000 बचकर भाग गई । जस्सा की आधी सेना ने समतुला की समुद्री सेना पर आक्रमण किया और उसको पीस डाला। भागती हुई सेना समुद्र में डूब गई। बची हुई सेना ने बगदाद जाकर खलीफा को सब हाल सुनाया। इसी प्रकार खलीफा ने चार बार सेना भेजी हर बार सेना हार गई । खलीफा निराश हो गया।
डॉ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत